प्रिय छात्रो आज मैं “Jaishankar Prasad Ka Jivan Parichay” बताने वाला हु. मैं आज आप सभी को जयशंकर प्रसाद का जन्म कब हुआ था और मृत्यु कब हुआ था बताने वाला हु.
आप इस ब्लॉग से और भी स्टडी मैटेरियल पढ़कर अपनी तैयारी को एक नयी रफ़्तार दे सकते है. मैंने बहुत सारे कवियों का जीवन परिचय और साहित्यिक परिचय को बता दिया है. अगर आप पढना चाहते है तो निचे लिंक मिल जाएगी आप लोग पढ़ सकते है.
मैं आज आप सभी के समक्ष Jaishankar Prasad Ka Jivan Parichay Shortcut Mein प्रस्तुत करूँगा जिसे आप मात्र दो से तीन बार अच्छे से पढ़ लेंगे तो आपको यह तैयार हो जायेगा.
यदि आप लोग इसे तैयार कर लेंगे तो आपके बोर्ड में अच्छे अंक आने की संभावना और बढ़ जाएगी. क्योंकि यह बोर्ड में लगभग हर वर्ष पूछा जाता है. आप पिछले कुछ वर्षो का पेपर लेकर देख सकते है की कितनी बार यह पूछा जा चूका है.
संक्षिप्त में Jaishankar Prasad Ka Jivan Parichay जानिए
प्रिय छात्रो हम लोग पहले एक टेबल के मध्यम से Jaishankar Prasad Ka Jivan Parichay को संक्षिप्त में समझेंगे. यदि आप लोग यह टेबल अच्छे से समझ लेते है तो आप लोग कक्षा 10 या कक्षा 12 में पूछे गए जयशंकर प्रसाद का जीवन परिचय को आसानी से लिख सकते है.
पूरा नाम | जयशंकर प्रसाद साहू |
अन्य नाम | जयशंकर प्रसाद |
जन्म वर्ष | 30 जनवरी सन् 1889 ई० में |
जन्म स्थान | उत्तर – प्रदेश में स्थित काशी (वाराणसी) |
पिता जी का नाम | बाबु देवी प्रसाद जी |
माता जी का नाम | श्रीमती मुन्नी देवी जी |
दादा जी का नाम | बाबू शिवरतन साहू |
शादिया | तीन शादिया |
पत्नी का नाम | विंध्यवासिनी देवी, सरस्वती देवी, कमला देवी |
पत्नी के मृत्यु का कारण | क्षय रोग |
पुत्र का नाम | रत्नशंकर प्रसाद |
शिक्षा | घर पर ही हिंदी, अंग्रेजी, संस्कृत, उर्दू तथा फारसी का गहन अध्ययन |
भाषा | संस्कृत, ब्रजभाषा एवं हिन्दी |
शैली | विचारपूर्ण, भावात्मक एवं सरल |
सम्मानित | मंगलाप्रसाद पारितोषिक |
प्रमुख रचनाये | आँसू, चित्राधार, कामायनी, इंद्रजाल, चन्द्रगुप्त आदि |
साहित्य में स्थान | साहित्य में अद्वितीय स्थान रहा है एवं छायावाद का प्रवर्तक माना जाता है. |
मृत्यु वर्ष | 15 नवम्बर सन् 1937 ई० |
मृत्यु स्थान | काशी (वाराणसी) में |
जयशंकर प्रसाद की मृत्यु का वजह | क्षय रोग से ग्रसित |
प्रिय छात्रो मुझे उम्मीद है की आपको जयशंकर प्रसाद का जीवन परिचय संक्षिप्त में समझ में आ गयी होगी. आगे अब हम लोग इसको विस्तार से जानेंगे.
हम आपको इसके बाद अंत में एक पीडीऍफ़ फाइल भी देंगे जिसके मदद से आप लोग और बेहतर तरीके से जीवनी को पढ़ सकते है.
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विस्तार से जानिए ‘जयशंकर प्रसाद का जीवन परिचय’ हिंदी में
कवि जयशंकर प्रसाद का जन्म काशी में 30 जनवरी सन् 1889 ई० में हुआ था. जयशंकर प्रसाद जी एक महान कवि उपन्यासकार और नाटकार थे.
इनकी बचपन बहुत दयनीय बीती. इनकी तीनो पत्नियों का देहान्त हो गया था. जयशंकर प्रसाद की मृत्यु 15 नवम्बर सन् 1937 ई० को क्षय रोग के वजह से हो गयी थी.
जयशंकर प्रसाद का जन्म वर्ष एवं स्थान
जयशंकर प्रसाद का जन्म 30 जनवरी सन् 1889 ईस्वी में उत्तर – प्रदेश में काशी के एक प्रतिष्ठित वैश्व परिवार में हुआ था. जयशंकर प्रसाद जी भारतीय साहित्य के एक महान कवि थे जोकि अनेको रचनाये की. काशी स्थान इनके लेखन का एक महत्वपूर्ण स्थान है जहा पे इन्होने अपनी साहित्यिक रचनाये की थी.
जयशंकर प्रसाद के माता – पिता
जयशंकर प्रसाद के पिता जी का नाम बाबु देवी प्रसाद जी था और माता जी का नाम मुन्नी देवी था. जयशंकर प्रसाद के वाराणसी के एक प्रसिद्ध ‘सुँघनी साहू’ परिवार से थे. उनके पूर्वज जौनपुर, उत्तर प्रदेश, से आए थे. वहां पर उन्होंने तम्बाकू का व्यापार करना शुरू किया था.
प्रसाद जी के माता-पिता का परिवारिक जीवन संघर्षपूर्ण था, और उनके बचपन में ही माता-पिता का देहांत हो गया. उनके बड़े भाई का भी दुर्भाग्यवश मृत्यु हो गया.
इसके बावजूद, जयशंकर प्रसाद ने साहित्य के क्षेत्र में अपनी प्रतिभा का परिचय किया और महान कवि बने.
जयशंकर प्रसाद के दादा जी
जयशंकर प्रसाद के दादा जी बाबू शिवरतन साहू भी भारतीय साहित्य के प्रसिद्ध कवि थे. उनका जन्म वर्ष 1850 में हुआ था. वे वाराणसी के प्रसिद्ध लेखक और संस्कृति प्रेमी थे और उन्होंने अपने जीवन में कई महत्वपूर्ण काव्य और नाटक लिखे.
उनका योगदान हिन्दी साहित्य में महत्वपूर्ण रहा है और उन्होंने भारतीय संस्कृति को अपनी रचनाओं के माध्यम से प्रस्तुत किया. उनकी कविताएँ और लेखन आज भी महत्वपूर्ण हैं और उन्होंने साहित्य के क्षेत्र में अपनी विशेष पहचान बनाई.
जयशंकर प्रसाद की बचपन जीवन
जयशंकर प्रसाद का बचपन जीवन कठिनाइयों से भरपूर था. उनका जन्म वाराणसी में हुआ था, और उनके परिवार का आर्थिक स्थिति अच्छी नहीं थी.
उनके पिता का नाम देवी प्रसाद था और वे कवि और संस्कृत प्रेमी थे. जयशंकर प्रसाद का बचपन बीमारियों और आर्थिक संकटों के बीच बिता, लेकिन वे संस्कृत और हिंदी के प्रति गहरी रुचि रखते थे. उन्होंने बचपन में कविता लिखना शुरू किया था, जो उनके छायावाद के साहित्यिक यात्रा की शुरुआत थी.
जयशंकर प्रसाद शिक्षा
जयशंकर प्रसाद ने अपनी शिक्षा को मुख्य रूप से घर पर प्राप्त की. उन्होंने क्वीन्स कॉलेज से अठावीं कक्षा तक की पढ़ाई की और उसके बाद घर पर ही आगे की शिक्षा प्राप्त की.
इन्होंने हिंदी, संस्कृत, फारसी, और अंग्रेजी की पढ़ाई की और अपनी साक्षरता का विकास किया. उन्होंने वेद, पुराण, इतिहास, साहित्य, और दर्शनशास्त्र आदि का स्वाध्याय किया और गहरा ज्ञान प्राप्त किया.
उनके शिक्षकों में रसमय सिद्ध, गोपाल बाबा, और दीनबन्धु ब्रह्मचारी जैसे प्रमुख विद्वान थे, जो उनके शिक्षा में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएं. उनका अध्ययन संस्कृत के क्षेत्र में भी गहरा था, और वे इस भाषा के प्रेमी थे.
जयशंकर प्रसाद वैवाहिक जीवन
जयशंकर प्रसाद का वैवाहिक जीवन अत्यंत संघर्षपूर्ण था. उनका पहला विवाह 1909 में हुआ, लेकिन उनकी पहली पत्नी विंध्यवासिनी देवी को क्षय रोग के कारण खो दिया.
1916 में वे दूसरी बार विवाहित हुए, लेकिन उनकी दूसरी पत्नी सरस्वती देवी भी क्षय रोग में लिपट गई और 1919 में उनकी मृत्यु हो गई. इसके बाद, उनका तीसरा विवाह 1919 में हुआ, और उनके तीसरे विवाहीत पत्नी का नाम कमला देवी था.
तीसरी पत्नी से जन्मे उनके एक ही पुत्र रत्नशंकर प्रसाद थे, जिनका जन्म 1922 में हुआ. जयशंकर प्रसाद के वैवाहिक जीवन में कई कठिनाइयाँ थीं, लेकिन वे अपने साहित्यिक कार्य में समर्पित रहे.
जयशंकर प्रसाद को सम्मानित
जयशंकर प्रसाद को 1938 में इनकी रचना ‘कामायनी’ पर ‘मंगलाप्रसाद पारितोषिक’ से सम्मानित किया गया. इस सम्मान ने उनके साहित्यिक योगदान को मान्यता दी और उन्हें भारतीय साहित्य के महत्वपूर्ण लेखकों में से एक बनाया.
मंगलाप्रसाद पारितोषिक एक महत्वपूर्ण साहित्यिक पुरस्कार है जो भारत सरकार द्वारा प्रतिवर्ष दिल्ली में साहित्यिक क्षेत्र में उत्कृष्टता प्राप्त करने वाले लेखकों को प्रमोट करने के उद्देश्य से प्रदान किया जाता था.
वर्ष 2007 से यह पारितोषिक पुरस्कार देना बन्द है. इस सम्मान ने जयशंकर प्रसाद की कविताओं और साहित्यिक कृतियों की महत्वपूर्ण मूल्यांकन की ओर कदम बढ़ाया.
जयशंकर प्रसाद की मृत्यु वर्ष एवं स्थान
जयशंकर प्रसाद की मृत्यु 15 नवंबर 1937 को हुई थी, और यह उत्तर प्रदेश राज्य के काशी, भारत में हुई थी. उनकी जीवन की आख़िरी दिन में, वे अपने लकड़ी के मक्तान में विश्राम कर रहे थे, जहाँ पर उनका देहांत हुआ.
उनकी प्राचीनतम पत्नी का भी यही स्थान था, जो क्षय रोग से पीड़ित थी. जयशंकर प्रसाद की यह असमय मृत्यु एक दुखद चरण था, जब वे काव्य और साहित्य के क्षेत्र में अपनी महत्वपूर्ण योगदान के साथ इस दुनिया को छोड़कर चले गए.
जयशंकर प्रसाद की मृत्यु का वजह
जयशंकर प्रसाद की मृत्यु का कारण क्षय रोग था. उन्होंने अपने जीवन में इस खतरनाक रोग का सामना किया और लम्बे समय तक इसके शिकार रहे.
वे इस रोग के बावजूद भारतीय साहित्य के क्षेत्र में महत्वपूर्ण काव्य और निबंधों का निर्माण करते रहे. उनके जीवन का आख़िरी समय कष्टपूर्ण था, लेकिन वे अपने साहित्यिक कार्यों में आत्मा को समर्पित किए रहे.
उनकी मृत्यु ने हिन्दी साहित्य को एक महत्वपूर्ण साहित्यिक कवि की हानि पहुँचाई, लेकिन उनके काव्य और उपन्यास आज भी हमारे साहित्य की महत्वपूर्ण धारा के हिस्से के रूप में अमर हैं.
जयशंकर प्रसाद का जीवन परिचय कक्षा 12 PDF
प्रिय छात्रो मैं आपको जो पीडीऍफ़ फाइल देने वाला हु वह हर तरह के कक्षा के लिए उपयोगी है चाहे आप कक्षा 9th, कक्षा 10th, कक्षा 11th,कक्षा 12th, में से किसी भी Class में पढ़ते हो. आप लोग Jaishankar Prasad ka Jivan Parichay PDF से पढ़ करके अपने एग्जाम में लिख सकते है.
File Name | जयशंकर प्रसाद का जीवन परिचय PDF |
File Size | 370 Kb |
Details | जीवन परिचय, साहित्यिक परिचय, रचनाये |
No of Page | 05 |
Quality | Ultra High |
Price | Free |
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दोस्तों यह पूरी हुई आपकी जयशंकर प्रसाद का जीवन परिचय कक्षा 10 का और 12 का और मैं अब आपको आगे जयशंकर प्रसाद की रचनाएँ भाषा शैली साहित्य में स्थान तथा साहित्यिक परिचय बताने वाला हु.
अब आप लोग उपर पढ़ चुके है की जयशंकर प्रसाद का जीवन परिचय शॉर्टकट में ही मैंने आपको दिया है जिसे आप आसानी से याद कर सकते है. अब मैं आपको Jaishankar Prasad Ka Jivan Parichay Pdf Download कैसे करना है यह भी अभी थोड़ी देर में बता दूंगा.
जयशंकर प्रसाद का जीवन परिचय कक्षा 12 में भी है हाईस्कूल में भी है. इसलिए यदि आप हाईस्कूल के स्टूडेंट्स है तो इसे अच्छे से तैयार कर लीजिये ताकि आपको इंटरमीडिएट में याद न करना पड़े.
यह सब बाते आपको कोई नहीं बताएगा. लेकिन मैं आपको हर एक टॉपिक में बताता हु की यह आगे आपको कहा – कहा काम आएगी. आप लोग Jaishankar Prasad Ka Jivan Parichay Class 10 pdf में अवश्य देखेंगे इसलिए इसे अभी से आप पुरे मन से याद कीजिये.
वैसे भी मैं आपको जयशंकर प्रसाद का जीवन परिचय क्लास 12 और 10 दोनों के लिए एक पीडीऍफ़ दूंगा जिसमे जयशंकर प्रसाद का जीवन परिचय एवं साहित्यिक परिचय के साथ – साथ रचनाये एवं कृतियाँ रहेंगी.
जो लोग अभी हाईस्कूल में है उन्हें सिर्फ जयशंकर प्रसाद का जीवन परिचय लिखिए इतना ही बोला जायेगा. इसलिए वह अभी इतना ही तैयार करेंगे. लेकिन जो लोग इंटरमीडिएट के छात्र है उन्हें सब तैयार करना है.
मुझे उम्मीद है की आप लोगो को जयशंकर प्रसाद का जीवन परिचय क्या है इसका जवाब मिल गया है. यदि आप साहित्यिक परिचय के बारे में जानना चाहते है तो आप इसके लिए हमारी दूसरी हेडिंग से पढना शुरू कर सकते है, तब तक मैं कुछ जरुरी बाते बता देता हु.
आप लोगो का काफी दिनों से मन था की मैं Jaishankar Prasad Ka Jivan Parichay Bataiye के उपर लेख लिखू इसलिए मैंने आज आपको यह बता दिया है. अब आप लोग अपनी तैयारी को जारी रख सकते है.
जयशंकर प्रसाद का साहित्यिक परिचय PDF कक्षा 12
जयशंकर प्रसाद का साहित्यिक परिचय: जयशंकर प्रसाद छायावाद के प्रवर्त्तक, उन्नायक तथा प्रतिनिधि कवी होने के साथ – साथ युग प्रवर्त्तक नाटककार, कथाकार और उपन्यासकार भी थे.
जयशंकर प्रसाद जी को इनकी विशिष्ट रचना ‘कामायनी’ पर ‘मंगलाप्रसाद पारितोषिक’ भी मिल चूका है. इन्होने साहित्य के क्षेत्र में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है.
यह हमेशा साहित्य के सेवा में लगे रहे. इनकी कई रचनाओ में इनको पुरस्कार से भी सम्मानित किया गया है. इन्होने पूरी निष्ठां से साहित्य की पूजा की है.
इन्होने अपनी रचनाओ में अच्छे शब्दों का प्रयोग करके अपने कवी प्रेमियों के दिल को जीता है.
जयशंकर प्रसाद भारतीय साहित्य के प्रमुख कवि और साहित्यकार थे. उन्होंने हिंदी साहित्य को छायावाद के माध्यम से नया दिशा देने का महत्वपूर्ण योगदान किया.
उनकी कविताएँ, कहानियाँ, उपन्यास, और निबंध विशेष रूप से भारतीय समाज और मानवता के मुद्दों पर आधारित थे.
उनका जीवन और काव्य दोनों ही आध्यात्मिकता, भक्ति, और मानवीयता के प्रति गहरे आदर्शों का प्रतीक था. उन्होंने कविता, कहानी, उपन्यास, और निबंध के माध्यम से समाज को सजीव किया और उसे समस्याओं का समाधान ढ़ूंढने की प्रेरणा दी.
जयशंकर प्रसाद का साहित्य आज भी भारतीय साहित्य के महत्वपूर्ण हिस्से के रूप में प्रमाणित है और उन्होंने छायावाद की प्रमुख धारा का निर्माण किया, जिसका महत्वपूर्ण स्थान हिंदी साहित्य में है.
जयशंकर प्रसाद का साहित्य में स्थान अथवा साहित्यिक योगदान
जयशंकर प्रसाद जी का साहित्य में विशिष्ट स्थान एवं योगदान है. इन्होने अपनी प्रतिभा से हिंदी जगत को जगमग किया है. जयशंकर प्रसाद का साहित्य में महत्वपूर्ण स्थान है, उनका साहित्यिक योगदान विशेषत निम्न है –
- छायावाद के प्रवर्तक: जयशंकर प्रसाद ने छायावाद की धारा को प्रमोट किया और विकसित किया, जिससे हिन्दी साहित्य में नये और आधुनिक रसधारा बना.
- कविता, कहानी, उपन्यास और निबंधकार: उन्होंने हर क्षेत्र में अपने महान कौशल का प्रदर्शन किया. उनकी कविताएँ, कहानियाँ, उपन्यास, और निबंध साहित्य के विभिन्न आयामों पर गहरा प्रभाव डाली.
- सामाजिक सुधारक: उनके लेखन में सामाजिक सुधार और न्याय के प्रति गहरी भावनाओं का प्रतीक मिलता है.
- राष्ट्रीय भावना का प्रतीक: उनकी कविताओं में भारतीयता और राष्ट्रीय भावना को महत्वपूर्ण स्थान मिलता है, और वे भारतीय संस्कृति के प्रति अपनी अदृष्ट स्नेहभावना को दर्शाते हैं.
- प्रेरणास्पद: उनके लेखन से लोगों को साहित्य, धर्म, और मानवीय जीवन के प्रति प्रेरित किया और उन्हें सोचने के लिए प्रोत्साहित किया.
इन कारणों से, जयशंकर प्रसाद को भारतीय साहित्य का महत्वपूर्ण संग्रहकार और समाजसेवी कवि के रूप में सम्मान दिलाया जाता है.
जयशंकर प्रसाद की प्रमुख रचनाएं
दोस्तों चलिए अब हम लोग जयशंकर प्रसाद की काव्य कृतियाँ के बारे में जान लेते है ताकि हम लोगो का यह टॉपिक पूरा हो जाये. यदि आपको अंत तक कही भी डाउट रह जाती है तो आप कमेंट में बता सकते है.
मैं आपको किसी दिन Jaishankar Prasad Ki Rachna Yaad Karne Ki Trick भी बता दूंगा. यदि आप चाहते है की मैं यह अभी बताऊ तो इसके लिए आपको निचे कमेंट में मुझे बताना होगा.
मैं ऐसा इलिए बोल रहा हु ताकि मुझे पता लग सके की मैं इतना मेहनत कर रहा हु तो आप सभी के पास अच्छे से पहुच रही है भी या नहीं. मैं आपको जल्द ही Jaishankar Prasad Ki Rachnaye Trick के साथ अच्छे से समझा दूंगा.
जयशंकर प्रसाद की रचनाये निम्नलिखित है –
- काव्य: आँसू, चित्राधार, लहर, झरना, कानन कुसुम, प्रेम पथिक.
- महाकाव्य: कामायनी.
- नाटक: चन्द्रगुप्त, स्कंदगुप्त, जन्मेजय का नागयज्ञ, कामना, एक घूँट, राज्यश्री, कल्याणी, अजादशत्रु और प्रायश्चित.
- उपन्यास: कंकाल, तितली, इरावती.
- निबन्ध: काव्य और कला.
- कहानी संग्रह: आकाशदीप, इंद्रजाल, प्रतिध्वनि, आँधी.
आशा है मित्रो आपको Jaishankar Prasad Ki Kritiyan समझ में आ गयी है और आपने इसे अपने नोट्स में लिख लिए होंगे. आप यदि इतना लम्बा चौड़ा देख कर परेशान हो रहे है तो मैं आपको बता दू की परेशान होने की जरूरत नहीं है.
आपको मैंने पूरा बस इस लिए बातया है की अगर यह बहुविकल्पीय में आये तो आपको याद रहे. बाकी तो आपको Jaishankar Prasad Ki Rachna मात्र कुछ ही लिखनी है.
आपको पूरा लिखने की जरुरत नहीं है. आशा है अब आप अपने टीचर द्वारा जयशंकर प्रसाद की रचना बताइए पूछे जाने पर तुरंत जवाब दे देंगे. मैं ऐसे ही आपके लिए महत्वपूर्ण प्रश्नों का उत्तर लाता रहूँगा.
जयशंकर प्रसाद की भाषा – शैली
जयशंकर प्रसाद की भाषा शैली ब्रजभाषा और खड़ी बोली के साथ-साथ अन्य भाषाओं का भी योग होता था. उन्होंने अपने काव्य में छायावादी धारा की प्राधान्य दी, जिसमें भावनाओं और विचारों को सुंदरता के साथ व्यक्त किया गया.
उनकी कविताओं में शब्दों का चुनाव और तालमील, रस की प्राप्ति, और चित्रलेखन का कुशलता दिखाई देता है. वे अपने काव्य में सामाजिक और राष्ट्रीय विषयों को भी महत्वपूर्ण बनाते थे, जिससे उनकी भाषा शैली और अर्थवाद सामाजिक संदेश को पहुंचाने में मदद करते थे.
जयशंकर प्रसाद का जीवन परिचय कैसे लिखा जाता है?
जयशंकर प्रसाद का जीवन परिचय विस्तार से लिखने के लिए आप निम्नलिखित तरीके का अनुसरण कर सकते हैं:
- प्रारंभ करें: आपके परिचय का प्रारंभ जन्म और जन्मस्थल से करें, जिससे पढ़ने वाले को उनके प्रारंभिक जीवन के बारे में जानकारी मिले.
- बचपन और परिवार: उनके परिवार के सदस्यों के बारे में जानकारी दें, उनके माता-पिता, दादा-दादी, और उनके परिवार के महत्वपूर्ण घटनाओं के साथ.
- शिक्षा: उनकी शिक्षा के बारे में बताएं, उनके शिक्षा के अनुभव और शिक्षा से जुड़े महत्वपूर्ण क्षणों का उल्लेख करें.
- साहित्यिक करियर: उनके साहित्यिक करियर के विकास के बारे में बताएं, उनके प्रमुख काव्य, निबंध, या किताबों का जिक्र करें.
- योगदान: उनके साहित्य में उनके योगदान के बारे में विस्तार से चर्चा करें, और उनके लेखनी में किस तरह के विचार और दृष्टिकोण प्रकट किए.
- महत्वपूर्ण यात्राएं और धार्मिकता: उनकी महत्वपूर्ण यात्राओं और धार्मिक अनुष्ठानों के बारे में जानकारी प्रदान करें, जो उनके व्यक्तिगत और साहित्यिक जीवन को प्रभावित किया.
- उनका अद्भुत योगदान: उनके योगदान के विचारों, विचारशीलता, और साहित्यिक महत्व के बारे में विवरण दें, जिससे उन्होंने हिन्दी साहित्य को उन्नति दिलाई.
- अंतिम दिन: उनकी मृत्यु के बाद के जीवन के बारे में थोड़ी सी जानकारी दें और उनके सम्मान में किए गए कवि मंगला प्रसाद पारितोषिक से सम्मान के बारे में बताएं.
इस तरह से, आप जयशंकर प्रसाद के जीवन का संक्षेपित परिचय तैयार कर सकते हैं, जिससे पढ़ने वालों को उनके महत्वपूर्ण योगदान का सारांश मिलेगा.
FAQs: अधिकतर पूछे जाने वाले प्रश्न
प्रश्न: जयशंकर प्रसाद जी का जन्म कब और कहां हुआ था?
उत्तर: जयशंकर प्रसाद जी का जन्म 30 जनवरी सन् 1889 ई० में काशी जिसे वर्तमान में वाराणसी के नाम से जाना जाता है, वह पर हुआ था.
प्रश्न: जयशंकर प्रसाद की पत्नी का नाम क्या है?
उत्तर: जयशंकर प्रसाद की तीन पत्नियाँ थी. इनकी पहली पत्नी का नाम विंध्यवासिनी देवी एवं दूसरी पत्नी का नाम सरस्वती देवी तथा तीसरी पत्नी का नाम कमला देवी था. इनकी तीनो पत्नी क्षय रोग से ग्रसित होकर मर गयी.
प्रश्न: जयशंकर प्रसाद का पूरा नाम क्या है?
उत्तर: जयशंकर प्रसाद का पूरा नाम ‘जयशंकर प्रसाद साहू’ था, जो की कशी में जन्मे थे.
प्रश्न: जयशंकर प्रसाद की मृत्यु कब हुई?
उत्तर: जयशंकर प्रसाद की मृत्यु 15 नवम्बर सन् 1937 ईस्वी में क्षय रोग के कारण हो गयी थी.
प्रश्न: जयशंकर प्रसाद का जन्म कहां हुआ?
उत्तर: जयशंकर प्रसाद का जन्म उत्तर – प्रदेश के प्राचीन पवित्र स्थल काशी में हुई थी.
प्रश्न: जयशंकर प्रसाद ने कहा तक की पढ़ाई की थी?
उत्तर: जयशंकर प्रसाद ने काशी के क्वींस कालेज से आठवी तक ही पढाई की थी. इन्होने अपनी आगे की पढाई घर पे स्वयं से की थी.
निषकर्ष
प्रिय छात्रो आज हम लोगो ने बहुत ही अच्छे से ‘Jaishankar Prasad Ka Jivan Parichay’ के बारे में जाना है. इसके साथ ही हम लोग जयशंकर प्रसाद की साहित्यिक परिचय कक्षा 12th के बारे में भी अच्छे से जाना है.
मैंने आप सभी के साथ जयशंकर प्रसाद की जीवन परिचय कक्षा 10 pdf भी साझा की है जिसकी मदद से आप और बेहतर तरीके से बोर्ड एग्जाम की तैयारी कर सकते है.
आशा है आप सभी को “जयशंकर प्रसाद का जीवन परिचय और साहित्यिक परिचय शॉर्टकट में” काफी पसंद आया होगा और इसे आप अपने सभी मित्रो के पास शेयर जरुर करेंगे.
Bhut achha hai jivan prachiya 100 percentage loag ko jaladhi yadd ho jayega