[PDF] रहीम दास का जीवन परिचय: Rahim Das Ka Jivan Parichay Class 9th

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प्रिय छात्रो यदि आप ‘Rahim Das Ka Jivan Parichay’ को विस्तार से सटीक जानकारी जानना चाहते है, तो आप इसे अंत तक पढ़े मैं आपको रहीम दास का जीवन परिचय बताने वाला हु.

मैं आपके जानकरी के लिए आपको बताना चाहूँगा की रहीमदास का जीवन परिचय कक्षा 9th और 10th के बच्चो के लिए बहुत ही महत्वपूर्ण विषय बन जाता है.

मैं आपको आज सटीक जानकारी देने वाला हु और साथ ही में आपको इनका जीवन परिचय साहित्यिक परिचय भाषा शैली रचनाये के साथ अन्य जानकारी का एक पीडीऍफ़ फाइल भी दे दूंगा जिसके मदद से आप लोग अपनी तैयारी को और आसान बना सकते है.

पूरा नाम नामअब्दुर्रहीम खान-ए-खाना
अन्य नामरहीम दास
जन्म वर्ष17 दिसम्बर सन् 1556 ई०
जन्म स्थानलाहौर (वर्तमान पाकिस्तान)
पिता जी का नामबैरम खां
माता जी का नामसुल्ताना बेगम
पत्नी का नामबानो बेगम
पुत्र अथवा पुत्री का नामशाहनवाज, रहमानदाद एवं दाराब
धर्ममुस्लिम
भाषाब्रज
शैलीसरस एवं मधुर
उपाधिकवि
रचनायेरहीम सतसई, रहीम रत्नावली, रहीम विलास एवं रहिमन शतक आदि
मृत्यु वर्ष1 अक्टूबर सन् 1627 ई०
मृत्यु स्थानआगरा (मुगलों का साम्राज्य में)

विस्तार से जानिए ‘Rahim Das Ka Jivan Parichay’ के बारे में

रहीम दास का जन्म 17 दिसम्बर सन् 1556 ई० में लाहौर में हुआ था जोकि अब पाकिस्तान में पड़ता है. रहीम दास का पूरा नाम अब्दुर्रहीम खान-ए-खाना है.

रहीम दास के पिता जी का नाम बैरम खाँ और माता जी का नाम सुल्ताना बेगम था. रहीम दास की निकाह बानो बेगम से हुई थी. रहीम दास के पुत्र/पुत्री का नाम शाहनवाज, रहमानदाद एवं दाराब था.

उनके पिता, बैरम खान, मुगल सम्राट अकबर के संरक्षक के रूप में एक प्रमुख स्थान रखते थे. हालाँकि, अज्ञात कारणों से, अकबर बैरम खान से नाराज हो गए और उन पर विद्रोह का आरोप लगाया.

इसके चलते बैरम खान को मक्का की तीर्थयात्रा करनी पड़ी, जहां दुखद रूप से, उनके विरोधी मुबारक खान ने उनकी हत्या कर दी.

बैरम खान के दुर्भाग्यपूर्ण निधन के बाद, अकबर ने रहीम और उसकी मां को अपना समर्थन दिया, और यह सुनिश्चित किया कि रहीम की शिक्षा पर उचित ध्यान दिया जाए.

रहीम ने अपनी शैक्षिक यात्रा अपने पिता के मार्गदर्शन में शुरू की. हालाँकि, अपने पिता के निधन के बाद, रहीम ने अपना ध्यान कविता लिखने और भगवद गीता के अध्ययन में डूबने पर केंद्रित कर दिया.

उनकी काव्य रचनाएँ उनकी दृढ़ भक्ति और धार्मिक भावनाओं, विशेषकर ईश्वर के साथ उनके गहरे संबंध से बहुत प्रभावित थीं

रहीम ने हिंदी, संस्कृत, अरबी, फ़ारसी और तुर्की जैसी भाषाओं में महारत हासिल करके असाधारण भाषाई कौशल का प्रदर्शन किया.

उनकी प्रतिभा से प्रभावित होकर, अकबर ने रहीम की दयालुता और परोपकारिता को रेखांकित करते हुए, उन्हें अपने दरबार के नौ प्रतिभाशाली दिमागों, नवरत्नों में एक स्थान दिया.

अपनी मुस्लिम आस्था के बावजूद, रहीम की श्री कृष्ण के प्रति गहरी भक्ति थी. अकबर के निधन के बाद, रहीम ने खुद को जहाँगीर द्वारा चित्रकूट में नजरबंद कर लिया.

अपने पूरे जीवन में, रहीम ने केशवदास और गोस्वामी तुलसीदास के साथ घनिष्ठ मित्रता बनाए रखी. रहीम दास की मृत्यु 1 अक्टूबर सन् 1627 ई० में आगरा में हो गयी थी.

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रहीम दास के गुरु कौन थे

रहीम दास के गुरु मुल्ला मुहम्मद अमीन रहीम थे जोकि इनको भाषाओ की शिक्षा दिए. रहीम दास ने अपनी शिक्षा मुल्ला मुहम्मद अमीन रहीम से प्राप्त की.

जिन्होंने उन्हें तुर्की, अरबी और फ़ारसी भाषाओं का ज्ञान दिया. भाषा निर्देश के अलावा, उन्होंने रहीम की कविता पर सहयोग किया और गणित, तर्कशास्त्र और फ़ारसी व्याकरण जैसे विषयों पर गहन अध्ययन किया.

रहीम दास का जन्म

रहीम दास का जन्म 17 दिसम्बर सन् 1556 ई० में हुआ था और इनका जन्म स्थान लाहौर था जिसे अब वर्तमान में पाकिस्तान में जाना जाता है.

रहीम दास आगे चल कर एक साहित्य के महान कवि हुए जिनके दोहे आज भी लोगो द्वारा मधुरता से सुने जाते है.

रहीम की भक्ति भावना स्पष्ट कीजिए

रहीम की भक्ति भावना भारतीय साहित्य और संस्कृति में महत्वपूर्ण है, और वे एक प्रमुख भक्ति कवि हैं जिन्होंने अपनी कविताओं के माध्यम से भगवान की प्रेम और भक्ति की महत्वपूर्ण भावना को स्पष्ट किया. उनकी भक्ति भावना कुछ इस प्रकार है:

  1. प्रेम और सद्गुण: रहीम की कविताओं में प्रेम और सद्गुणों की महत्वपूर्ण भावना होती है. वे भगवान को एक प्रिय साथी और अच्छा दोस्त के रूप में देखते हैं और उनके लिए भक्ति और प्रेम की भावना से भरपूर होते हैं.
  2. भक्ति के रूप: रहीम की कविताओं में भक्ति को एक आंतरिक अनुभव के रूप में दिखाया गया है. वे भगवान के साथ एक मानसिक संवाद में रहते हैं और अपने मन, बुद्धि और आत्मा को उनके प्रेम में समर्पित करते हैं.
  3. सामाजिक समर्थन: रहीम की कविताओं में भक्ति को सामाजिक समर्थन और सामाजिक समाज के लिए एक मार्गदर्शक के रूप में भी दिखाया गया है. वे सबको समान धर्मिक भावनाओं की समझ और सहानुभूति की ओर प्रोत्साहित करते हैं.
  4. भगवान के नाम का महत्व: रहीम की कविताओं में भगवान के नाम का महत्व बड़ा उच्च रूप में प्रमोट किया गया है. वे मानते हैं कि भगवान के नाम का जप और स्मरण व्यक्ति को दिव्य अनुभव में ले जाता है.

रहीम की भक्ति भावना भारतीय साहित्य में आध्यात्मिकता, प्रेम, सद्गुण, और समर्पण की महत्वपूर्ण भावनाओं को बढ़ावा देती है और व्यक्ति को एक उच्च धार्मिक और मानविक मानवीय दृष्टिकोण की ओर प्रवृत्त करती है.

रहीम दास जी किस के उपासक थे

रहीम दास जी मुग़ल सम्राट अकबर के उपासक थे. वे अकबर के दरबार में नौकरी करते थे और उन्होंने अकबर के साथ बड़ी भक्ति भावना और सद्गुण का पालन किया था.

रहीम दास की कविताओं में भगवान की प्रेम और भक्ति की महत्वपूर्ण भावना होती है, और उन्होंने अकबर के द्वारा प्रचारित धर्मिक समझ को बढ़ावा दिया.

रहीम का पूरा नाम क्या था

रहीम दासका पूरा नाम अब्दुर्रहीम खान-ए-खाना था जोकि बहुत लम्बा नाम है इसलिए लोग इन्हें रहीम दास कह कर बुलाते थे.

Free Rahim Das Ka Jivan Parichay PDF

प्रिय मित्रो एवं छात्रो आप लोगो ने रहीमदास का जीवन परिचय पढ़ चुके है अब बारी है Rahim Das Ka Jivan Parichay PDF की जोकि बिलकुल फ्री में आप सभी को मिलने वाली है. इस पीडीऍफ़ के अंदर आपको रहीम दास का जीवन परिचय, साहित्यिक परिचय, रचनाये इत्यादि मिलेंगी.

आप इस पीडीऍफ़ को अपने मोबाइल में सेव करके भी रख सकते है और कभी भी आसानी से पढ़ सकते है जिससे आपको Rahim Das Ji Ka Jeevan Parichay का रिविजन होता रहेगा.

आपको इस लेख के अंत तक ए विडियो लेक्चर भी मिल जाएगा जिसके मदद से आप लोग रहीम दस की जीवनी को देख सुन करके भी समझ सकते है.

प्रिय छात्रो आपको इस पीडीऍफ़ में रहीम की प्रमुख रचनाएँ pdf के अंदर ही मिलेगी साथ ही में आपको कुछ अन्य जानकारिया भी मौजूद है जिसे पढ़ करके आप लोग रहीम दास का जीवन परिचय के बारे में और अधिक जान सकते है.

रहीम दास का साहित्यिक परिचय – Rahim Das Ka Sahityik Parichay

रहीम दास एक महत्वपूर्ण हिन्दी और अवधी कवि थे. रहीम दास को आपके अद्वितीय साहित्य और धार्मिक दृष्टिकोण के लिए प्रसिद्ध किया जाता है, और उनका काव्य और दोहे आज भी भारतीय साहित्य के महत्वपूर्ण हिस्से के रूप में मान्यता प्राप्त करते हैं.

रहीम दास का काव्य और दोहा साहित्य के क्षेत्र में महत्वपूर्ण योगदान करे हैं. उनके दोहे सामाजिक और धार्मिक संदेशों को सुन्दरता से प्रस्तुत करते हैं और लोगों के दिलों में स्थान बना चुके हैं.

उन्होंने भगवान के प्रति अपनी गहरी भक्ति और धार्मिक भावनाओं को अपने काव्य में व्यक्त किया और इसके आलावा समाज में समानता और न्याय की प्रतिष्ठा की.

रहीम दास की कविताएँ हिन्दी और अवधी में लिखी गई थीं, और उन्होंने अपने साहित्य में भक्ति, नैतिकता, और मानवता के महत्वपूर्ण मुद्दे उठाए.

उनका साहित्य आज भी भारतीय साहित्य के एक महत्वपूर्ण हिस्से के रूप में प्रसिद्ध है और उन्हें “संत कवि” के रूप में जाना जाता है.

रहीम दास का काव्य संग्रह “रहीम संग्रह” उनके प्रमुख काव्य रचनाओं का संग्रह है और इसमें उनकी अद्वितीय कविताएँ शामिल हैं.

उनके काव्य और दोहे आज भी भारतीय साहित्य के अद्वितीय धरोहर के रूप में मान्यता प्राप्त करते हैं और उनकी भक्ति और धार्मिक दृष्टिकोण का परिचय देते हैं.

रहीम की प्रमुख रचनाएँ

रहीम दास की प्रमुख रचनाएँ निम्नलिखित है –

  • रहीम सतसई – रहीम द्वारा रचित संस्कृत में सौ सात सटीक प्रेम कविताओं का संग्रह.
  • रहीम रत्नावली – मुग़ल दरबार के अख़बार कवि रहीम द्वारा रचित कविताओं का संग्रह.
  • श्रृंगार सतसई – भारतीय कविता में श्रृंगार भाव को व्यक्त करने वाले संस्कृत काव्य ग्रंथ.
  • रास पंचाध्यायी – श्रीकृष्ण के रास लीला को पांच अध्यायों में वर्णन करने वाला संस्कृत ग्रंथ.
  • बरवै नायिका – बरवै राग के आधार पर अष्टनायिका के प्रेम विषयक संस्कृत ग्रंथ.
  • मदनाष्टक – मदन (कामदेव) की पूजा और महत्व को गुणगान करने वाला संस्कृत ग्रंथ.

ये ग्रंथ कवि Rahim Das Ki Pramukh Rachnaye हैं और उनके साहित्यिक योगदान को महत्वपूर्ण बनाते हैं.

ये ग्रंथ भक्ति, प्रेम, और काव्य कला के विभिन्न पहलुओं को प्रस्तुत करते हैं और भारतीय साहित्य के मौलिक हिस्से हैं.

रहीम दास की ये प्रमुख रचनाएँ उनके साहित्य के महत्वपूर्ण हिस्से हैं और आज भी उनके काव्य का मानन किया जाता है.

रहीम दास की भाषा शैली

रहीम दास की भाषा शैली काव्य और भक्ति साहित्य के क्षेत्र में अत्यधिक प्रसिद्ध है. उनकी भाषा शैली सरलता और सुगमता के साथ जुड़ी होती है.

उनके रचनाओं में साधारण जीवन की गतिविधियों और मानवीय भावनाओं का विवरण किया जाता है, जिससे पाठकों को आसानी से समझने में मदद मिलती है.

रहीम दास के दोहे और काव्य में व्यापक सामाजिक संदेश और नैतिकता के सिख होते हैं, जो अक्सर हास्य और व्यंग्य के साथ प्रस्तुत किए जाते हैं.

उनकी भाषा साधारण लोगों के दिलों तक पहुंचने में सहायक होती है और उनके काव्य का सामाजिक संदेश बड़े प्रभावशाली तरीके से प्रस्तुत होता है.

रहीम दास की भाषा शैली का मुख्य लक्ष्य था सामाजिक और धार्मिक संदेशों को लोगों के बीच आसानी से पहुंचाना, और उन्होंने इसे अपनी सरल और सुगम भाषा में किया.

इसके बल पर, उनका साहित्य आज भी मानवता के महत्वपूर्ण मुद्दों को सुगमता से प्रस्तुत करने के रूप में महत्वपूर्ण है.

रहीम दास के काव्य में कला पक्ष

रहीम दास के कविताओ में कला पक्ष उनके साहित्यिक कौशल और व्यक्तिगत अभिव्यक्ति के साथ जुड़ा हुआ था.

उन्होंने अपनी रचनाओं में काव्य और भक्ति कला का अद्वितीय संगम किया और इसके माध्यम से विभिन्न भावनाओं को अद्वितीय तरीके से व्यक्त किया.

रहीम दास की कविताएँ और दोहे उनके कला कौशल का अद्वितीय प्रमाण हैं, और वे अपने छंदों और भाषा के माध्यम से व्यक्तिगत अभिव्यक्ति करते थे.

उनके काव्य में सरलता और सुगमता की भावना होती थी, जिससे वे आम लोगों के बीच पहुंच सकते थे.

उनका कला पक्ष न केवल कविताओं में दिखता है, बल्कि उन्होंने अपनी भक्ति कला में भी अपनी अद्वितीय भावनाओं को व्यक्त किया.

उनकी कविताएँ और भक्ति गीत उनके गहरे आध्यात्मिक अनुभवों का परिचायक होते हैं, और इसके माध्यम से वे भगवान के प्रति अपनी अद्वितीय भक्ति को प्रकट करते थे.

इस तरीके से, रहीम दास का कला पक्ष उनके साहित्यिक और धार्मिक योगदान का महत्वपूर्ण हिस्सा था.

रहीम दास के काव्य में भाव पक्ष

रहीम दास के काव्य में भाव पक्ष अत्यंत महत्वपूर्ण होता है. उनकी कविताओं में विभिन्न भावनाओं को गहराई से व्यक्त करने का प्रयास किया गया है.

  • भक्ति भावना: रहीम दास की कविताओं में भक्ति भावना का महत्वपूर्ण स्थान होता है. वे अपने काव्य में अपने भगवान के प्रति अपनी गहरी भक्ति को प्रकट करते हैं और इसके माध्यम से आध्यात्मिक संवाद को प्रस्तुत करते हैं.
  • सामाजिक भावना: उनकी कविताओं में सामाजिक और नैतिक भावनाओं का प्रस्तुतीकरण भी होता है. वे समाज के विभिन्न पहलुओं को छानने और उजागर करने का प्रयास करते हैं, जैसे कि नैतिकता, न्याय, और मानवता के मुद्दे.
  • हास्य और व्यंग्य: रहीम दास के काव्य में हास्य और व्यंग्य भी विशेष महत्व रखते हैं. वे आम लोगों के दैनिक जीवन की विभिन्न पहलुओं को मजाकिया रूप में व्यक्त करते हैं, जिससे उनकी कविताएँ मनोरंजनपूर्ण और सोचने पर आमंत्रित करने वाली होती हैं.

रहीम दास के काव्य में ये भावनाएँ और भाव पक्ष उनकी कविताओं को रूचिकर और अद्वितीय बनाते हैं, और उन्हें भारतीय साहित्य के महत्वपूर्ण कवियों में एक महत्वपूर्ण स्थान पर रखते हैं.

रहीम दास के दोहे अर्थ सहित

रहीम दास के दोहे भाषा और धर्म के मामलों पर विचार करने के लिए महत्वपूर्ण हैं, और इन्हें आध्यात्मिक और मानवता के संदेश के रूप में माना जाता है. यहां कुछ रहीम दास के प्रसिद्ध दोहे और उनके अर्थ हैं:

दोहा 1

   बिन पाणी, साबुन बिना, बिना अंगना उजाला। 
   बिना नावे, बिना रेख, बिना दीपक राग-द्वेष ज्यूँ अंधियारा।।

अर्थ - इस दोहे में रहीम दास कह रहे हैं कि बिना पानी, साबुन और अंगना के, और बिना नावे, रेखा और दीपक के, राग और द्वेष की भावना जैसे अंधकार की तरह होती है. यह उनका संदेश है कि हमें सबका साथ और समर्थन देने की भावना रखनी चाहिए, ताकि समाज में उजाला और सुख-शांति हो सके.

दोहा 2

   संत सुजान हरि आपन भेजा, राम रतन धन पंथर तेजा। 

   हरि अनुरक्त आदम संत के, सब बिधि परम गति उस ते जाई।।

अर्थ - इस दोहे में रहीम दास कह रहे हैं कि संतों को हरि (भगवान) ने अपने आप भेजा है, और वे राम रतन (भगवान की प्रेमिका सीता के चूड़ामणि) के धन के पथ पर तेजी से बढ़ रहे हैं. संत जिनका हरि में अद्भुत भक्ति है, उन्हें सभी मार्गों पर परम गति प्राप्त होती है.
Video Lecture on Rahim Das Ka Jivan Parichay

FAQs: Rahim Das Ka Jivan Parichay

प्रिय छात्रो जैसा की हम लोग अपने हर लेख के अंत में कुछ सवालो का उत्तर पढ़ते है ठीक आज भी हम लोग Rahim Das ji Ka Jivan Parichay से सम्बंधित कुछ महत्वपूर्ण प्रश्नों का उत्तर पढेंगे.

यदि आपके मन में भी कोई प्रश्न है रहीम दास के जीवनी को लेकर तो आप इसे पढ़ करके अपने उत्तर को जान सकते है.

प्रश्न: कबीर रहीम दास जी का जीवन परिचय?

उत्तर: रहीम दास जी, भारतीय साहित्य के महत्वपूर्ण भक्ति कवि थे, और उनका जन्म 16वीं सदी के आसपास हुआ था. उनका जन्म और बचपन दिल्ली के पुराने शहर आगरा में हुआ था, और उनका नाम अब्दुल रहीम था.

रहीम दास का जीवन कविता और भक्ति में ही व्यतीत हुआ. उन्होंने मुग़ल सम्राट अकबर के दरबार में सेवा की और उनके दरबार में मंत्री के पद पर काम किया. अकबर और रहीम के बीच मित्रता थी, और वे बड़े प्रतिष्ठित थे.

रहीम दास की कविताएँ प्रेम, भक्ति, और मानवता के मुद्दों पर आधारित थीं. उनकी कविताएँ आसानी से समझी जा सकती थीं और वे भाग्यशाली थे कि उनकी कविताएँ सामाजिक समर्थन और सद्गुणों की प्रशंसा करती थीं. उनकी प्रमुख रचनाएँ “रहीम दोहावली” और “रहीम सागर” हैं.

रहीम दास जी के काव्य में वे अकबर के साथी, महाकवि रामायण और महाभारत के किस्से, और भगवान की प्रेम और भक्ति की महत्वपूर्ण भावनाओं को स्पष्ट करते हैं. उनके काव्य ने भारतीय साहित्य में एक महत्वपूर्ण स्थान प्राप्त किया है और आज भी उनके द्वारा रची गई कविताएँ प्रसिद्ध हैं.

प्रश्न: रहीम दास की रचना कौन सी है?

उत्तर: रहीम दास की एक महत्वपूर्ण रचना “रहीम दोहावली” है. यह काव्यसंग्रह उनकी प्रमुख कविताओं का संग्रह है और इसमें उनकी भक्ति, प्रेम, और मानवता के मुद्दों पर आधारित दोहों का संग्रह है. “रहीम दोहावली” उनके काव्यकृति का महत्वपूर्ण हिस्सा है और भारतीय साहित्य में उनकी महत्वपूर्ण योगदान को प्रतिष्ठित करता है.

प्रश्न: रहीम सतसई किसकी रचना है?

उत्तर: रहीम सतसई कवि रहीम दास की प्रमुख रचनाओ में से एक है.

प्रश्न: रहीम दास किसकी भक्ति करते थे?

उत्तर: रहीम दास कृष्ण जी की भक्ति करते थे, हालाँकि रहीम दास एक मुश्लिम थे फिर भी ये कृष्ण भक्त थे.

अंत में क्या सिखा

प्रिय छात्रो आज हम लोगों ने ‘Rahim Das Ka Jivan Parichay’ के बारे में काफी विस्तार से जाना और समझा है और मैं आशा करता हु की आप लोगो को भी रहीम दास के जीवन परिचय काफी बढ़िया से समझ में आ गया होगा.

हमने रहीम दास की जीवनी का एक पीडीऍफ़ फाइल भी आप लोगो के साथ शेयर किया है जिसके मदद से आप और बढ़िया से अपनी तैयारी कर सकते है.

Rahim Das Ka Jivan Parichay Class 9th में पढ़ रहे विद्यार्थियों के लिए सबसे ज्यादा महत्वपूर्ण है क्योंकि उनके बोर्ड एग्जाम में कई बार आ चुके है.

आप लोगो से मैं अनुरोध करूँगा की आप लोग मेरे द्वारा बताये गए रहीम दास का जीवन परिचय को अवश्य लिखे क्योंकि यह जीवन परिचय मैने अपनी गहन रिसर्च एवं अध्धयन के बाद आप लोगो को आज बता रहा हु.

प्रिय स्टूडेंट्स, मेरा नाम आशीर्वाद चौरसिया है और मैंने हिन्दी विषय से स्नातक भी किया है। आपको इस ब्लॉग पर हिन्दी से जुड़े सभी तरह के जानकारिय मिलेगी। इसके अतिरिक्त आपको सभी क्लासेज की नोट्स एवं विडियो लेक्चर हमारे NCERT eNotes YouTube चैनल पर मिल जाएगी।

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