ध्रुवयात्रा कहानी का सारांश जैनेंद्र कुमार द्वारा लिखित मनोवैज्ञानिक एवं मार्मिक कहानी है। इसमें कहानी में जैनेन्द्र जी एक सुसंस्कारित युवती के प्रेम को दर्शाया गया है।
मैं आपको बता देना चाहता हूं कि यूपी बोर्ड कक्षा 12th के एग्जाम में Dhruv Yatra Kahani Ka Saransh पूछा जाता है। यदि आप इस कहानी को याद नहीं कर पाते हैं और जल्दी समझ नहीं पाते हैं तो आज आपको सबसे सरल और आसान शब्दों में समझाने वाला हूं।
लेखक जैनेंद्र कुमार ने प्रेम को एक पवित्र बंधन और विवाह को सामाजिक बंधन के रूप में जिक्र किया है। लेखक के अनुसार प्रेम में पवित्रता होती है और विवाह में स्वार्थ होती है।
ध्रुवयात्रा कहानी का सारांश
लेखक जैनेंद्र कुमार द्वारा लिखित ध्रुव यात्रा कहानी में राजा रिपुदमन की ध्रुवो पर यात्रा का वर्णन किया गया है। राजा उत्तरी ध्रुव जीत करके यूरोप के नगर में बधाइयां लेते हुए दिल्ली आते हैं।
उनकी प्रेयसी उर्मिला अन्य खबरों की तरह इस खबर को भी पढ़ती है। लेकिन यह जान करके उर्मिला के अंदर किसी प्रकार की व्याकुलता और खुशी नहीं दिखती है।
राजा रिपुदमन एवं उर्मिला के बीच बहुत पहले से एक गहरा प्रेम संबंध है। लेकिन यह दोनों आपस में विवाह नहीं किए थे क्योंकि राजा विवाह को सामाजिक बंधन और प्रेम को सत्य मानते हैं।
राजा रिपुदमन को नींद कम और मंत्र पर नियंत्रण नहीं रहने की समस्या महसूस होती है और वह आचार्य मारुति से जाकर मिलते हैं। आचार्य मारुति राजा का मानसिक उपचार करते हैं और इन्हें शारीरिक रूप से स्वस्थ बताते हैं।
उर्मिला आचार्य मारुति की लड़की रहती है। एक दिन राजा रिपुदमन उर्मिला से मिलते हैं। इन दोनों का आपस में विवाह नहीं हुआ होता है परंतु इन दोनों का एक संतान रहता है।
राजा रिपुदमन और उर्मिला के बीच उनके संतान के नाम को लेकर चर्चा होती है। उर्मिला राजा से कहती है कि तुम मेरे और बच्चे की जिम्मेदारी से मुक्त रहो और दक्षिण ध्रुव पर विजय प्राप्त करके आओ।
राजा उर्मिला से कहते हैं कि वह अब यात्रा को यहीं पर रोक करके परिवारिक जीवन में शामिल होना चाहते हैं परंतु उर्मिला इस बात से इनकार कर देती है।
राजा रिपुदमन आचार्य को बताते हैं की उर्मिला को यात्रा से वापस लौट आने की खुशी नहीं है। वह वापस से दक्षिण ध्रुव की यात्रा पर भेजना चाहती है। उसके अनुसार यात्रा की कही समाप्ति नहीं होती है।
मारुति राजा को बताते हैं कि उर्मिला उसी की ही पुत्री है। आचार्य मारुति जो की उर्मिला के पिताजी है वह खुद भी शादी के लिए मनाते हैं परंतु उर्मिला किसी की बात नहीं सुनती है।
अंत में राजा रिपुदमन दक्षिण ध्रुव जाने के लिए तैयार हो जाते है किंतु तीसरे दिन उर्मिला ने अखबार में पढ़ा कि राजा रिपुदमन सवेरे खून में भर पाए गए। राजा के कनपटी के आर पार गोली का निशाना था।
उन्होंने एक पत्र लिखा था कि मैं किसी के वचन को पूरा करने जा रहा था परंतु ध्रुव पर बचना मुमकिन नहीं था। मैं वहां जाकर भी अब भी वापस नहीं लौट पाऊंगा और ऐसे यहां पर भी नहीं बचूंगा। भगवान मेरे प्रिय के लिए मेरी आत्मा की रक्षा करें।
जैनेंद्र कुमार जी द्वारा लिखित ध्रुवयात्रा कहानी का सारांश का यही पर समापन होता है। यदि आप लोग बहादुर कहानी का सारांश पढ़ना चाहते हैं तो मैं इसके बारे में ही बताया है जिसे आप जाकर के पढ़ सकते हैं।
ध्रुव यात्रा कहानी का उद्देश्य
ध्रुव यात्रा हिंदी के सुप्रसिद्ध कहानीकार एवं कथाकार लेखक जैनेंद्र कुमार जी द्वारा लिखित एक मनोवैज्ञानिक और मार्मिक कहानी है।
जिसमें मानवीय संवेदना को मनोवैज्ञानिक तथा दार्शनिक दृष्टिकोण से नवीन विचारधारा को दिखाया गया है। इस कहानी का मुख्य पात्र राजा रिपुदमन और उनकी प्रेमिका उर्मिला और आचार्य मारुति है।
इस कहानी में लेखक जैनेंद्र कुमार जी ने बताया कि प्रेम एक पवित्र बंधन है। प्रेम की भावना व्यक्ति को लक्ष्य तक पहुंचने में सहायता प्रदान करती है। लेखक के अनुसार प्रेम एक पवित्र बंधन है और विवाह एक स्वार्थपूर्ण सामाजिक बंधन है।
कहानीकार के अनुसार सार्वभौमिक और अलौकिक उपलब्धि अधिक श्रेष्ठ है। ध्रुव – यात्रा कहानी का मुख्य उद्देश्य प्रेम को सर्वोच्च दिखाना है और इसमें कहानीकार जैनेंद्र कुमार जी को पूर्ण सफलता मिली है।
इसे भी पढ़े: पंचलाइट कहानी का सारांश
FAQs: Dhruv Yatra Kahani Ka Saransh से जुड़े
बहुत सारे ऐसे लोग होते हैं जिनको ध्रुवयात्रा कहानी के सारांश से संबंधित कुछ प्रश्नों का जवाब नहीं मिलता है।
मैं अब ध्रुव यात्रा कहानी से जुड़े अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्नों का जवाब देने वाला हूं जो कि आप लोगों के मन में रह जाता है।
ध्रुव यात्रा कहानी के लेखक
ध्रुव यात्रा कहानी के लेखक जैनेंद्र कुमार है इन्होंने इस कहानी के माध्यम से प्रेम को पवित्र बंधन के रूप में दर्शाया है जोकि एक मनोवैज्ञानिक एवं मार्मिक कहानी है।
ध्रुवयात्रा कहानी का अर्थ क्या है
ध्रुव यात्रा का अर्थ ध्रुवो पर यात्रा करना है। इसमें राजा रिपुदमन ध्रुव पर यात्रा करते हैं। वह उत्तरी ध्रुव के यात्रा करके आने के पश्चात यूरोप वासियों से बहुत सम्मान पाते हैं और उनकी प्रेमिका उन्हें दक्षिण ध्रुव की यात्रा पर भेजना चाहती है।
‘ध्रुव-यात्रा’ कहानी के नायक का चरित्र-चित्रण कीजिए
ध्रुव यात्रा कहानी के नायक राजा रिपुदमन और नायिका उर्मिला है। इस कहानी का एक और पात्र जो कि आचार्य मारुति है वह उर्मिला के सगे पिताजी होते हैं।
आचार्य मारुति जोकि एक चिकित्सक है वह उर्मिला के पिता भी होते हैं। इस कहानी में ज्यादा पात्र नहीं है, परन्तु कहानी में कम पात्र होने से भी यह एक सफल कहानी रही है। इन तीनों पत्रों के माध्यम से संपूर्ण कहानी घटित हुई है।
लेखक ने कहानी में नायक – नायिका का चरित्र मनोवैज्ञानिक ढंग से दर्शाया है जिसमें यह दिखाया गया है कि प्रेम नि:स्वार्थ बंधन होता है जो कि सांसारिक बंधनों से मुक्त होता है। ऐसे ही नायक एवं नायिका कर्मनाशा कहानी के सारांश में बताई गयी है।
ध्रुवयात्रा कहानी कैसे लिखे
ध्रुव यात्रा कहानी को लिखने के लिए आप निम्न बिंदुओं को फॉलो कर सकते हैं –
- कहानी का सारांश आपको पता होना चाहिए।
- सबसे पहले लेखक का नाम लिखिए जिसने ध्रुव यात्रा कहानी लिखी है।
- कहानी का स्टार्टिंग मुख्य पात्र से करें।
- कहानी लिखते समय सरल शब्दों का चयन करें।
- मुख्य शब्दों को कहानी में जरूर लिखें।
- कहानी में सभी पत्रों का जिक्र जरूर करें।
इस प्रकार से आप ध्रुव यात्रा कहानी को बहुत ही आसानी से लिख सकते हैं और अपने बोर्ड एग्जाम में सबसे अच्छा अंक का सकते हैं।
निष्कर्ष
हमने आज के इस आर्टिकल में Dhruv Yatra Kahani Ka Saransh को बहुत ही बेहतरीन तरीके से समझा है जो की जैनेंद्र कुमार जी द्वारा लिखा गया है।
इसमें जैनेंद्र कुमार जी ने नि:स्वार्थ प्रेम भावना का सुंदर चित्रण प्रस्तुत किया है। इस कहानी में मुख्य रूप से तीन पात्र राजा रिपुदमन, उर्मिला और आचार्य मारुति होते हैं।
1 thought on “ध्रुवयात्रा कहानी का सारांश कक्षा 12th | Dhruv Yatra Kahani Ka Saransh”