कर्मनाशा की हार कहानी की समीक्षा एवं सारांश कक्षा 12th

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कर्मनाशा की हार कहानी की समीक्षा कक्षा 12 के बोर्ड एग्जाम में पूछा जाता है। यह कहानी डॉ शिवप्रसाद सिंह की सामाजिक कहानी है जिसमें अंधविश्वास के बारे में लेखक ने बताया है।

यदि आप लोग इस कर्मनाशा की हार की कहानी को सबसे सरल और आसान तरीके से समझाना चाहते हैं तो आप हमारे इस आर्टिकल को पूरा अंत तक पढ़िए। कक्षा 12th के बोर्ड परीक्षा में इसका समीक्षा करने के लिए आता है।

मैं आप सभी को Karmnasha Ki Haar Kahani Ka Saransh और समीक्षा के बारे में सबसे आसान शब्दों में बताने वाला हूं जिसको आप पढ़ करके आसानी से याद कर सकते हैं।

कर्मनाशा की हार कहानी की समीक्षा

कर्मनाशा एक नदी का नाम रहता है जिसके किनारे एक गांव नयीडीह बसी हुई होती है। उस गांव में भैरव पांडे नामक एक व्यक्ति होता है जो पैरों से अपाहिज रहता है।

भैरव पांडे के माता-पिता इस दुनिया से कब का चल बसे होते हैं और भैरव पांडे के एक छोटा भाई रहता है जिसका पालन पोषण वह अपने पुत्र की तरह करते हैं।

उनके छोटे भाई का नाम कुलदीप होता है जो कि अब 16 वर्ष का एक नवयुवक हो चुका होता है। भैरव पांडे की मकान के समीप ही एक मल्लाह परिवार के लोग रहते हैं और फूलमत उस परिवार की विधवा पुत्री रहती है।

एक दिन फूलमत भैरव पांडे के यहां बाल्टी मांगने जाती है। बाल्टी लेते समय वह कुलदीप से टकरा जाती है। पहले तो वह डर जाती है फिर वह मुस्कुरा करके निकल जाती है।

कुलदीप भी उसकी मुस्कुराहट देखकर मुग्ध हो जाता है। भैरव पांडे यहसब देख लेते हैं और कुलदीप पर नजर रखने लगते हैं। आगे चलकर कुलदीप और फुलमतिया में प्रेम संबंध बन जाता है।

वे दोनों एक दिन चांदनी रात में कर्मनाशा के तट पर छुप कर मिलने गए। भैरो पांडे उन दोनों को देख लेते हैं और यह सब देखकर वह बहुत क्रोधित हो जाते हैं और उन दोनों को बहुत डांटे हैं।

कुलदीप के गाल पर थप्पड़ भी जड़ देते हैं और लज्जा एवं भय के कारण कुलदीप घर से भाग जाता है। इसी लज्जा और भय के कारण भैरव पांडे भी फुलमतिया और कुलदीप के प्रेम संबंध के बारे में किसी को नहीं बताते हैं।

कुछ महीनो बाद कर्मनाशा नदी में बाढ़ आने वाली होती है परंतु गांव वालों में यह अंधविश्वास है की कर्मनाशा में जब बाढ़ आती है तब वह मानव बलि मांगती है।

फुलमतिया विधवा रहती है और वह कुलदीप के बच्चों को जन्म दे चुकी रहती है। गांव में यह सब पता चलने के बाद सब लोग फूलमत को ही इस बाढ़ का वजह मानते हैं और गांव वाले फुलमतिया को बच्चे सहित नदी में फेंकने का सोचते हैं।

फूलमतीया अपने बच्चों को छाती से चिपकाए भयभीत खड़े रहती है। उसी क्षण भैरो पांडे आए और वह इस क्रूरता को रोकना चाहे किंतु सामाजिक प्रतिष्ठा के नष्ट होने के डर से वह सत्य को नहीं बता रहे थे।

अंत में भैरव पांडे बच्चे को गोद में लेकर बिना डरे ऊंची आवाज में कहते है कि फूलमत उनके छोटे भाई की पत्नी है और उनकी बहू है और उसका बच्चा उनके छोटे भाई का एकलौता पुत्र है।

गांव के मुखिया कहते हैं कि पाप का दंड तो भोगना पड़ेगा। इसी पर भैरव पांडे ऊंची स्वर में कहते हैं कि यदि वह यहां एकत्रित सभी के पापों को एक-एक करके गिनाने लग जाए तो यहां सभी खड़े लोगों को कर्मनाशा की नदी में फेंकना पड़ जाएगा।

भीड़ में सन्नाटा छा गया नदी की बाढ़ भी उतर गई और सब अपने अपने घर चले जाते है। कहानी की समीक्षा यही में समाप्त होती है।

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कर्मनाशा की हार कहानी का सारांश

कर्मनाशा की हार कहानी का सारांश कुछ इस प्रकार है कि कर्मनाशा नदी के किनारे गिरिडीह नामक एक गांव रहती है। जिसमें एक व्यक्ति भैरव पांडे रहते हैं जो की पैरों से अपाहिज रहते हैं।

भैरव पांडे के माता-पिता की मृत्यु बहुत पहले हो चुकी रहती है। उसके बाद यह अपने छोटे भाई का पालन पोषण करते हैं जो कि अब 16 वर्ष का हो चुका रहता है।

भैरव पांडे के घर के जस्ट बगल में एक मल्लाह परिवार रहता है। उस परिवार की एक विधवा पुत्री फूलमत रहती है जिससे कुलदीप का अवैध प्रेम संबंध रहता है।

भैरव पांडे को फुलमतिया और कुलदीप के प्रेम के बारे में पता चल जाता है और एक दिन वह पकड़ लेते हैं। उस दिन कुलदीप को एक थप्पड़ लगा देते हैं फिर कुलदीप डर और लज्जा के कारण गांव छोड़कर चला जाता है।

कुछ महीनो बाद कर्मनाशा नदी में बाढ़ आने वाली होती है जिसका वजह गांव वाले फुलमतिया को मानते हैं क्योंकि विधवा होते हुए भी उसका एक नाजायज पुत्र रहता है।

गाव वाले यह निश्चय करते हैं की फुलमतिया को उसके बच्चे सहित नदी में फेक दिया जाएगा। वहीं पर खड़े भैरो पांडे इस क्रूरता को रोकने के लिए ऊंची आवाज में कहते हैं कि यदि वह उपस्थित सभी लोगों के पापों को एक-एक करके गिनाने लग जाए तो सभी को नदी में फेंकने पड़ेगा।

इतना कहने के बाद गांव वालों में सन्नाटा छा जाता है और सभी अपने घर चले जाते हैं इस प्रकार यह कथावस्तु समाप्त हो जाती है।

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कर्मनाशा की हार’ कहानी के प्रमुख पात्र का चरित्र-चित्रण

कर्मनाशा की हर कहानी के प्रमुख पत्र भैरव पांडे और उसका छोटा भाई कुलदीप और उसकी प्रेमिका फुलमतिया एवं गांव वासी होते हैं।

भैरव पांडे एक धर्मनिहित एवं कर्मकांड में आस्था रखने वाले व्यक्ति है जो की एक धार्मिक उद्देश्य से अपना जीवन व्यतीत करते हैं यह एक धर्म प्रेमी होते हैं

अपने भाई को सबसे करीबी मानते हुए भी और इतना प्रेम करने के बावजूद भी उसके गलत कर्मों पर डाँटते और भला बुरा कह कर पिट भी देते हैं। भैरव पांडे एक सच्चरित्र व्यक्ति के रूप में इस कहानी में चित्रित हुए हैं।

भैरो पांडे परम साहसी और निर्भीक व्यक्ति भी थे जो समाज में अंधविश्वास को दूर करने के लिए वह अपने साहस को भी दिखाएं है।

इस प्रकार भैरव पांडे का चरित्र एक आदर्शवादी, गंभीर विचारशील तथा प्रगतिशील विचारों के मानव का चरित्र है जो समाज में फैली अंधविश्वासों को समाप्त करने का प्रयास करते हैं।

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कर्मनाशा की हार’ कहानी का उद्देश्य

कथाकार डॉ शिवप्रसाद सिंह जी के द्वारा लिखी कहानी कर्मनाशा कहानी का उद्देश्य समाज में पाखंडों और अंधविश्वासों से मुक्त करना है। इस कहानी के माध्यम से लेखक ने समाज में विधवा स्त्री के प्रति सहानुभूति को प्रकट किया है जिसमें लेखक को सफलता मिली है।

लेखक ने कहानी के माध्यम से यह दर्शाया है कि गांव समाज में घटित हुई घटनाओं को कंधे विश्वास से जोड़कर किसी और असहाय व्यक्ति को ठेस पहुचाने की प्रयत्न नहीं करनी चाहिए।

कर्मनाशा की हार’ कहानी pdf

यदि आप लोग का कर्मनाशा की हार’ कहानी pdf को डाउनलोड करना चाहते हैं तो आप नीचे डाउनलोड किए गए बटन पर क्लिक करके इस फाइल को डाउनलोड कर सकते हैं।

आपको Karmnasha ki haar kahani ka saransh pdf फाइल में मिल जाएगी। जिसको आप बहुत ही आसानी से पढ़ करके याद कर सकते हैं और अपने बोर्ड एग्जाम में लिखकर के एक बढ़िया मार्क्स पास हो सकते हैं।

कर्मनाशा कहानी डॉ शिव प्रसाद सिंह जी द्वारा लिखी गई ऐसी कहानी है जिसमें समाज में हो रहे पाखंडों और अंधविश्वासों पर प्रकाश डालना है। लेखक ने इस कहानी के माध्यम से कर्मनाशा नदी में बाढ़ आने का अंधविश्वास को तोड़ा है।

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FAQs

अब हम लोग कर्मनाशा की हार कहानी से अक्सर पूछे जाने वाले कुछ सवालों को जानेंगे जिससे हमें इस कहानी के बारे में और अच्छे से ज्ञान प्राप्त हो जाएगा। मैं नीचे Karmnasha Ki Haar Question Answer दिया है जिसको आप कर सकते हैं।

कर्मनाशा की हार क्या है?

कर्मनाशा की हार गांव में बढ़ते अंधविश्वास की हार है। इस कहानी में कर्मनाशा एक नदी का नाम रहता है जिसमें बाढ़ के आने को लेकर गांव में अंधविश्वास फैला रहता है। लेखक ने इस कहानी के माध्यम से गाव के लोगो का अंधविश्वास दूर कर कर कर्मनाशा नदी को हरा दिया है।

कर्मनाशा की हार कहानी के लेखक कौन हैं?

कर्मनाशा की हार कहानी के लेखक डॉ० शिव प्रसाद सिंह जी है और इस कहानी के माध्यम से इन्होंने पाखंडों और अंधविश्वासों को के ऊपर प्रकाश डालने का सफल प्रयास किया है जिसमें इन्हें सफलता भी मिली है।

कर्मनाशा की हार किसकी रचना है

कर्मनाशा की हर डॉ शिवप्रसाद सिंह जी की रचना है और कर्मनाशा की हार का प्रकाशन वर्ष 1958 ईस्वी है।

कर्मनाशा को बलि क्यों चढ़ाई जाती थी

कर्मनाशा को बलि गांव वालों के अंधविश्वास के कारण चढ़ाई जाती थी। इस कहानी में गांव में यह अंधविश्वास फैला रहता है कि गांव में जब बाढ़ आती है तो मानव बलि मांगती है। इसी पर प्रकाश डालने के लिए शिव प्रसाद सिंह ने इस कहानी को लिखा है जिसमें इन्हें सफलता मिली है।

निष्कर्ष

प्रिय छात्रों आज के हमने इस लेख में कर्मनाशा की हार कहानी की समीक्षा और कर्मनाशा की हार कहानी का सारांश के बारे में बहुत ही बेहतरीन तरीके से पढ़ा और समझाहै।

मैंने आपको कर्मनाशा की हार की कहानी बहुत ही बेहतरीन तरीके से समझाइ है जिसको आप बहुत ही अच्छे से पढ़ चुके हैं। इस कहानी के माध्यम से लेखक ने गांव वालों के अंदर मौजूद अंधविश्वास को दूर करने का सफल प्रयास किया है।

प्रिय स्टूडेंट्स, मेरा नाम आशीर्वाद चौरसिया है और मैंने हिन्दी विषय से स्नातक भी किया है। आपको इस ब्लॉग पर हिन्दी से जुड़े सभी तरह के जानकारिय मिलेगी। इसके अतिरिक्त आपको सभी क्लासेज की नोट्स एवं विडियो लेक्चर हमारे NCERT eNotes YouTube चैनल पर मिल जाएगी।

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