आज के इस आर्टिकल में हम लोग कक्षा 12 हिंदी आरोह अध्याय 1 प्रश्न उत्तर को पढ़ेंगे। हरिवंश राय बच्चन की कविताएं जो की उत्तर जानेंगे जोकि आरोह पाठ्यपुस्तक में दी गई है।
इस लेख को पूरा जरुर पढ़िए मैं आपको भरोसा दिलाता हूं की अंत तक आपको Class 12 Hindi Aroh Chapter 1 Question Answer बहुत ही बेहतरीन तरीके से समझ में आने वाला है।
क्योंकि मैं खुद अपनी 12वीं कक्षा में हिंदी आरोह अध्याय 1 में प्रश्न उत्तर को बहुत ही बेहतरीन तरीके से लिख करके बोर्ड परीक्षा में सबसे अधिक अंक हासिल किये थे।
कक्षा 12 हिंदी आरोह अध्याय 1 प्रश्न उत्तर को जानिए
हिंदी कक्षा 12th में आरोह पाठ्य पुस्तक का पहला चैप्टर आत्म परिचय जो की हरिवंश राय बच्चन जी द्वारा लिखी गई थी। हरिवंश राय बच्चन पाठ के प्रश्न उत्तर कक्षा 12th के पाठ्यक्रम में शामिल है जिसके बारे में हम लोग जानने वाले है।
अध्याय पहला आत्म परिचय में उन्होंने कविताएं लिखी है जिसका प्रश्न उत्तर हम लोग जानने वाले हैं। आरोह पाठ्य पुस्तक में पहला चैप्टर में कुल 6 प्रश्न है जिनके उत्तर का सारांश कुछ इस प्रकार है –
- कवि संसार को प्रेम का संदेश देना चाहा है बिना यह सोचे की संसार उसके बारे में क्या सोचेगा।
- दूसरे प्रश्न में कवि ने ज्ञान और अज्ञानी के इस संसार के मोह माया में उलझे हुए के बारे में बताया है।
- तीसरे प्रश्न में कवि ने यमक अलंकार के द्वारा चमत्कार उत्पन्न करने की कोशिश की है।
- चौथे प्रश्न में कवि ने अपने अंदर की छिपी हुई पीड़ा, आत्मविश्वास और क्रांति को प्रकट किया है।
- पांचवी प्रश्न में कवि ने यह बताया है कि बच्चे भोजन की आशा में नीड़ो से बाहर झाकते हैं।
- छठे प्रश्न के माध्यम से कवि ने समय रहते अपने लक्ष्य को प्राप्त करने का संदेश दिया है।
अब हम लोग कक्षा 12 हिंदी आरोह अध्याय 1 प्रश्न उत्तर को एक – एक करके विस्तार से जानेंगे. यह सभी उत्तर बहुत ही सरल शब्दों में है ज्सिको आप आसानी से पढ़ करके याद कर सकते है।
प्रश्न 1: कविता एक ओर जग – जीवन का भार लिए घूमने की बात करती है और दूसरी ओर “मैं कभी न जग का ध्यान किया करता हूं” विपरीत से लगते इन कथनों का क्या आशय है?
उत्तर: कवि ने अपने जीवन को विरुद्धो का सामंजस्य कहा है। यहां पर भी कवि ने ‘जगजीवन का भार’ और ‘मैं कभी न जग का ध्यान किया करता हूं’ दो विपरीत बातों का वर्णन किया है।
कभी सर्वत्र प्रेम की अभिलाषा रखते हैं, किंतु कवि की प्रेयसी की मृत्यु के कारण कवि को जगजीवन भार स्वरूप लगने लगता है।
कवि संसार के भले की कामना करते है इसलिए समस्त संसार को वह प्रेम का संदेश देना चाहते हैं। कवि संसार को केवल प्यार बांटना चाहते हैं इसलिए वह प्रेम का गुणगान करते हैं।
कभी अपना परिचय एक मुग्ध, पागल प्रेमी के रूप में देते हैं जिसका उद्देश्य संसार में प्यार का संदेश फैलाना है।
कवि प्यार की बातें करने में संसार की परवाह नहीं करते है कि संसार उसकी प्रशंसा करेगा या निंदा करेगा।
प्रश्न 2: जहां पर दाना रहते हैं, वहीं नादान भी होते हैं – कवि ने ऐसा क्यों कहा होगा?
उत्तर: कवि ने ऐसा इसलिए कहा है क्योंकि कवि के अनुसार संसार में ज्ञानी व अज्ञानी दोनों तरह के मनुष्य रहते हैं। दोनों ही सत्य को प्राप्त करने में असमर्थ है।
ज्ञानी को ज्ञान का घमंड है तो अज्ञानी को ज्ञान के अभाव के कारण सत्य को प्राप्त नहीं कर सकता है। जहा ज्ञानी होते हैं वही अज्ञानी लोग का पता चल पाता है।
दोनों ही संसार के मोह माया में उलझ गए हैं। इसलिए अपने लक्ष्य प्राप्ति को भूल गए हैं। कवि ने इस स्वार्थी संसार के कारण अपना सीखा हुआ सांसारिक ज्ञान भूलना चाहता है।
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प्रश्न 3: मैं और, और जग और कहां का नाता – पंक्ति में और शब्द की विशेषता बताइए?
उत्तर: इस पंक्ति में तीन बार ‘और’ शब्द का प्रयोग हुआ है। इस प्रश्न में ‘और’ शब्द के अलग-अलग अर्थ होने के कारण यहां यमक अलंकार है।
पहले ‘मैं और’ में ‘और’ का अर्थ अन्य/अलग/भिन्न है तथा अंतिम ‘जग और’ में भी ‘और’ शब्द का यही अर्थ है। इसके अलावा शेष बिच वाले ‘और’ शब्द का प्रयोग संयोजक अथवा जोड़ने वाले शब्द के रूप में हुआ है। कवि का कहना है कि मैं अलग हूं और संसार अलग है। हमारे गुणों का कोई मेल नहीं है।
प्रश्न 4: शीतल वाणी में आग के होने का क्या अभिप्राय है?
उत्तर: कवि की वाणी शीतल, मधुर और कोमल है। लेकिन इस कोमल वाणी में उसके हृदय की वेदना, पीड़ा और विरह की आग छिपी हुई है। हम यह भी कह सकते हैं कि कवि को शीतल वाणी में क्रांति की भावना भरी है।
कवि अपनी मधुर आवाज में जोश, आत्मविश्वास, साहस, दृढ़ता, प्रेमअग्नि जैसे भाव लिए हुए हैं। कवि चाहता है की क्रांति से यह संसार प्रेममय हो जाए।
प्रश्न 5: बच्चे किस बात की आशा में नीड़ों से झाँक रहे होंगे?
उत्तर: चिड़िया के बच्चे कुछ पाने की आशा में नीड़ो अर्थात घोसला से झांक रहे हैं। चिड़िया अपने बच्चों के लिए भोजन अर्थात दाना का प्रबंध करने बाहर जाती है।
बच्चे अपनी मां के आने का इंतजार करते-करते घोसले से बाहर झाकते हैं। बच्चे इस आशा और उम्मीद के साथ देखते हैं कि उनकी मां शीघ्र ही भेजन लेकर लौट रही होगी।
बच्चे अपनी मां के अब तक नहीं लौटने के कारण व्याकुल है। इस व्याकुलता के कारण भी बच्चे थोड़ी-थोड़ी देर में नीड़ो से झांकते रहते हैं।
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प्रश्न 6: दिन जल्दी-जल्दी ढलता है – की आवृत्ति से कविता की किसी विशेषता का पता चलता है?
उत्तर: दिन जल्दी-जल्दी ढलता है की आवृत्ति से कवि ने यह संदेश दिया है कि समय रहते व्यक्ति को अपना लक्ष्य प्राप्त कर लेना चाहिए अर्थात लक्ष्य प्राप्ति का जज्बा व्यक्ति के मन में हो तो वह उसे समय पर प्राप्त कर ले।
कवि यह भी कहना चाहते हैं कि व्यक्ति के जीवन से दिन अर्थात सुख का समय जल्दी-जल्दी बीत जाता है और रात्रि/अंधकार अर्थात दु:ख का समय आ जाता है।
लक्ष्य को प्राप्त करने का उत्साह व्यक्ति के पैरों में गति भर देता है। यह रचना गीत शैली में है तथा यह पंक्ति कविता की नीवं है जिसे कविता में बार-बार दोहराया जाता है।
इस प्रकार से कक्षा 12 हिंदी आरोह अध्याय 1 प्रश्न उत्तर समाप्त होता है। आरोह पाठ्य पुस्तक में कुल 6 प्रश्न थे जिसका उत्तर मैंने दे दिया है।
FAQs: अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न
अब हम लोग कक्षा 12 हिंदी आरोह अध्याय 1 प्रश्न उत्तर से अक्सर पूछे जाने वाले भी प्रश्न है जिसके बारे में निचे मैंने बताया है।
कवि सुख और दुख दोनों परिस्थितियों में प्रसन्न कैसे हो सकता है?
कवि का ऐसा कहना है कि वह सुख में ज्यादा प्रसन्न नहीं होता है और ना ही दु:ख में ज्यादा दुखी होता है। वह दोनों परिस्थितियों के बीच में जीता है क्योंकि कवि का कहना यह है कि सुख और दुःख जिंदगी में आते जाते रहते हैं इसलिए कवि दोनों परिस्थितियों में प्रसन्न रहता है।
आत्म परिचय कविता में कवि जीवन में क्या लिए फिरता है?
आत्म परिचय कविता में कवि अपने जीवन में सपनो का संसार को लिए फिरता है। कवि अपने जीवन में बहुत कठिनाइयां एवं पीड़ा से गुजर रहा होता है। कवि का उद्देश्य यह संसार में प्रेम बांटना है।
दिन जल्दी जल्दी ढलता है कविता का उद्देश्य क्या है?
दिन जल्दी-जल्दी ढलता है कविता का उद्देश्य मनुष्य को समय रहते अपने लक्ष्य प्राप्त कर लेने का उद्देश्य देता है। कवि ने इस कविता में कहा है कि जीवन बहुत ही छोटी है अतः मनुष्य ने अपने सपने में जिस लक्ष्य को देखा है उसे समय रहते पूरा कर लेना चाहिए।
शीतल वाणी में आग में कौन सा अलंकार है?
शीतल वाणी में आग में विरोधाभाष अलंकार है क्योंकि शीतल वाणी में और यह दोनों शब्द एक दूसरे की विरोधी शब्द है। कवि ने इस वाक्य माध्यम से अपने अंदर जल रही अग्नि के बारे में बताया है।
कवि बच्चन के हृदय में कौन सी अग्नि जल रही है?
कवि हरिवंश राय बच्चन के हृदय में क्रांति, साहस, प्रेमअग्नि एवं उनके अंदर छिपे हुए पीड़ा की अग्नि जल रही होती है।
कभी जग का ध्यान क्यों नहीं करना चाहता है?
कवि नि:स्वार्थ प्रेम में विश्वास रखता है और उसका कहना यह है कि वह वह जग का ध्यान नहीं करता है क्योंकि संसार स्वार्थी है। कवि संसार में प्रेम का सन्देश देना चाहता है और वह यह नही सोचता की संसार उसके बारे में क्या सोचेगी।
निष्कर्ष
प्रिय छात्रों आज के हमने इस लेख में ‘कक्षा 12 हिंदी आरोह अध्याय 1 प्रश्न उत्तर‘ को बहुत ही बेहतरीन तरीके से पढ़ लिया है।
अब आप लोगों को अध्याय पहले आत्म परिचय का सभी प्रश्न बहुत ही अच्छे से समझ में आ गया है। यह अध्याय हरिवंश राय बच्चन जी द्वारा लिखी गई थी जिनकी कविताओं की प्रश्नों का उत्तर आपको इस लेख के माध्यम से मिल चूका है।
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