आज हम लोग सुभद्रा कुमारी चौहान का जीवन परिचय पढने वाले है. कवयित्री सुभद्रा कुमारी चौहान का जन्म 16 अगस्त 1904 ईस्वी को प्रयागराज में हुआ था.
मैं आपको बताना चाहूंगा कि मैं भी अपनी दसवीं कक्षा की पढ़ाई के दौरान सुभद्रा जी के जीवन परिचय को सबसे सरल भाभाषा में खोज रहा था परन्तु उन दिनों में मुझे की भी ऐसा लेख नही मिला जो सबसे सरल तरीके से बता पाए.
फिर मैंने उन दिनों अपने अध्यापक की मदद से सुभद्रा जी के जीवनी के बारे में बेहतरीन तरीके से जाना था जो मुझे आज भी याद है और मैं आपको आज वह जीवन परिचय बताने वाला हु.
प्रिय छात्रो यदि आप लोग हमारी इस लेख को अंत तक पढ़ते हैं तो मैं गारंटी देता हूं कि सुभद्रा कुमारी चौहान का जीवन परिचय हिंदी में बेहतरीन तरीके से समझ में आ जाएगी.
जो विद्यार्थी कक्षा 10 में पढ़ते हैं उन्हें मैंने अक्सर देखा कि वह इंटरनेट पर जीवन परिचय को खोजते रहते हैं, परंतु उन्हें सही जीवन परिचय बताने वाला कोई नहीं होता है.
इसलिए मैं आज अपने इस लेख के माध्यम से आप सभी को सबसे सरल और बेहतरीन तरीके से सुभद्रा जी के जीवन परिचय को बताने वाला हूं जिसको पढ़ते ही आपको याद हो जाएगा.
संक्षिप्त में सुभद्रा कुमारी चौहान के जीवन के बारे में
हम लोग सबसे पहले Subhadra Kumari Chauhan Ka Jivan Parichay संक्षिप्त रूप में पढ़ेंगे उसके बाद से हम सुभद्रा कुमारी चौहान के जीवन की एक-एक हिस्से को पढ़ते हुए अंत तक बढ़ेंगे.
कवयित्री का नाम | सुभद्रा कुमारी चौहान |
जन्म वर्ष | 16 अगस्त 1904 ईस्वी |
जन्म स्थान | यूपी राज्य के प्रयागराज जिले में स्थित निहालपुर ग्राम में |
मृत्यु वर्ष | 15 फरवरी 1948 ईस्वी |
मृत्यु स्थान | सिवनी जिला, मध्य – प्रदेश राज्य |
आयु | 43 वर्ष |
पेशा | कवयित्री |
पिता जी का नाम | श्री ठाकुर रामनाथ सिंह जी |
माता जी का नाम | श्रीमती धिराज कुँवरी जी |
पति का नाम | ठाकुर लक्ष्मण सिंह जी |
भाई – बहन | चार बहने और दो भाई |
शिक्षा | नौवी कक्षा |
काल | आधुनिक काल |
युग | उत्तर छायावाद |
भाषा | सरल बोलचाल की भाषा |
शैली | चित्रात्मक एवं काव्यात्मक शैली |
पुरस्कार | सेकसरिया पुरस्कार द्वारा सम्मानित हुई |
प्रमुख रचनाये | झाँसी की रानी, मुकुल, बिखरे मोती, उन्मादिनी, मुकुल तथा अन्य कविताएँ आदि |
साहित्य में स्थान | सुभद्रा कुमारी अति लोकप्रिय कथाकार कवयित्री के रूप में हिन्दी साहित्य जगत में स्थान रखती थी |
टेबल के माध्यम से आप लोगों ने सुभद्रा जी की जीवनी का ओवरव्यू को समझ लिया है. आप चाहे तो इसे अपने नोट्स में भी लिख सकते हैं. यह छोटी-छोटी बिंदु की मदद से ही आप लोग सुभद्रा जी के जीवन के बारे में समझ सकते हैं.
सुभद्रा कुमारी चौहान का जीवन परिचय
श्रीमती सुभद्रा कुमारी चौहान जी का जन्म 16 अगस्त 1904 ईस्वी में यूपी राज्य के इलाहाबाद (अब प्रयागराज) जिले में स्थित निहालपुर ग्राम में हुआ था.
इनके पिता जी का नाम श्री ठाकुर रामनाथ सिंह जी था और माता जी का नाम श्रीमती धिराज कुँवरी जी था. सुभद्रा की प्रारंभिक शिक्षा इलाहाबाद में हुई थी. इन्होने केवल नौवी कक्षा तक ही पढाई कर पायी थी.
इनका विवाह 15 वर्ष की आयु में खंडवा निवासी ठाकुर लक्ष्मण सिंह के साथ हो गया था. विवाह के बाद सुभद्रा जी के जीवन में नया मोड़ आया.
गांधी जी के आंदोलन का इनके ऊपर गहरा प्रभाव पड़ा था और उनसे प्रेरित होकर यह राष्ट्र प्रेम की कविताएं लिखने लगी थी. सुभद्रा कुमारी एक सरल हृदय की महिला थी जिन्होंने साहित्य की हरदम सेवा की है.
इनका जीवन बड़ा ही सहज और साधारण था और इन्हें आगे चल के मध्य प्रदेश विधानसभा की सदस्य चुना गया था. 15 फरवरी सन 1948 ईस्वी में सिवनी जिला, मध्य – प्रदेश राज्य में इनकी मृत्यु हो गयी थी.
सुभद्रा कुमारी चौहान का जीवन परिचय PDF
यदि आप लोग सुभद्रा कुमारी चौहान का जीवन परिचय PDF फाइल को डाउनलोड करना चाहते हैं तो मैं अब जो बताने वाला हूं उसको आप फॉलो कर सकते हैं.
मैंने आपको सुभद्रा कुमारी चौहान का जीवन परिचय बहुत ही अच्छे समझा दिया है जिसे आप पढ़ करके भी अपने नोट्स को बना सकते हैं.
इसके अलावा कई छात्र ऐसे होते हैं जो पीडीएफ को डाउनलोड करके उसके माध्यम से अपना नोट्स बनाना पसंद करते हैं तो उनके लिए मैं नीचे पीडीऍफ़ का व्यू देखने के लिए दे दिया है जिसे छात्र देख भी सकते हैं और उसे अपने मोबाइल में सेव करके नोट्स भी बना सकते हैं.
मुझे उम्मीद है कि अब आपने सुभद्रा जी के जीवन परिचय का पीडीएफ फाइल को डाउनलोड कर लिए है और अब आप लोग अपने नोट्स को बेहतरीन तरीके से बना सकते है.
सुभद्रा कुमारी चौहान की प्रमुख रचनाएं
सुभद्रा कुमारी चौहान की प्रमुख रचनाएं झाँसी की रानी, मुकुल, बिखरे मोती, उन्मादिनी, मुकुल तथा अन्य कविताएँ आदि है. सुभद्रा चौहान की कहानी संग्रह ‘बिखरे मोटी’ थी. रचनाओं को आप कुछ निम्नलिखित प्रकाश से भी लिख सकते हैं –
- कहानी संग्रह: बिखरे मोती, सीधे-साधे चित्र
- बाल साहित्य: झांसी की रानी, कदम्ब का पेड़
- कविता संग्रह: मुकुल, मुकुल तथा अन्य कविताएं
आप लोग चाहे तो सुभद्रा जी की रचनाओं को मैंने जैसा बताया वैसा भी नोट्स में लिख सकते हैं. यदि आप लोग बोर्ड एग्जाम में उनकी रचनाओं को लिखना चाहते हैं तो आप एक से दो लाइन में भी लिख करके अपना एग्जाम दे सकते हैं.
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सुभद्रा कुमारी चौहान का साहित्यिक परिचय
सुभद्रा कुमारी उत्तर छायावाद युग के एक प्रसिद्ध कवयित्री थी जिन्होंने साहित्य जगत में अपनी रचनाओं से अपना नाम बनायीं है.
सुभद्रा जी के रचनाओं में देशभक्ति एवं राष्ट्रीयता का स्वर निकलती है. इनकी अकेली कविता ‘झांसी की रानी’ ही इन्हें अमर कर देने के लिए पर्याप्त है जोकि इन्हें साहित्य के क्षेत्र में विशेष प्रसिद्धी दिलाती है.
सुभद्रा जी वीर रस की एकमात्र कवयित्री थी. इन्हें ‘मुकुल’ काव्य संग्रह पर सेकसरिया पुरस्कार से भी सम्मानित किया जा चुका है.
सुभद्रा कुमारी चौहान का कला एवं भाव पक्ष
सुभद्रा जी ने सरल, सरस खड़ी बोली में काव्य रचना की है. इन्होने भाव पूर्ण शैली में कविता लिखी है और अलंकारों का सहज प्रयोग उनके काव्य में हुआ है. इन्होंने अपनी कविताओं में मुख्य रूप से वीर रस का प्रयोग किया है.
सुभद्रा जी के काव्य का मूल स्वर राष्ट्रीय चेतना तथा देश प्रेम है. अत्याचार के प्रति सुभद्रा जी ने आक्रोश व्यक्त किया है.
सुभद्रा कुमारी चौहान की भाषा शैली
सुभद्रा कुमारी चौहान की भाषा सरल आम बोलचाल की भाषा थी इन्होंने अपने रचनाओं में भाषा तत्सम शब्द का प्रयोग किया है.
हिंदी खड़ी बोली भाषाओं का भी इन्होंने सुगमता से प्रयोग कर अपनी रचनाओं को आम लोगों तक पहुचाया.
सुभद्रा कुमारी जी अलंकारों व मुक्तक शैली का अपने कवियों में ज्यादातर प्रयोग किया है उनकी सहेली काव्य के संदर्भ को बढ़ा देती है.
उनके काव्य में दो प्रमुख रस वीर वह वात्सल्य रस का ज्यादातर प्रयोग हुआ दिखता है जो कि उनकी रचनाओं को आकर्षक बनाती है.
सुभद्रा कुमारी चौहान की काव्यगत विशेषताएँ PDF
अब हम लोग सुभद्रा कुमारी चौहान की काव्यगत विशेषताओं के बारे में जानेंगे. इसके तरीका हम लोग सुभद्रा जी के काव्यगत विशेषताओं की पीडीएफ को डाउनलोड करने बारे में भी जानेंगे.
सुभद्रा जी ने अपनी काव्य के माध्यम से साहित्य जगत को जगमग कर दिया है. इनकी काव्यगत विशेषताएं निम्नलिखित है –
- वीर भावना की मुख्यता – सुभद्रा जी की कविताओं में वीर रस की भावना और देशभक्ति को अहमियत दी गई है. उनकी कविताओं में ऊर्जा और साहस दिखता है.
- देशप्रेम – उनकी कविताओं में राष्ट्रीय जागरूकता, देश प्रेम और अपने देश के लिए बलिदान की भावना है.
- अनुभूति का महत्व – उनकी कविताओं में मुक्त अनुभूतियों का सामान्य रूप से बयान किया गया है. वे महिला के मातृभाव की भावना को भी प्रकट करती हैं.
- वीरांगना – सुभद्रा जी एक बहुत ही बहादुर महिला थी इन्होंने नारी के लिए सदैव आवाज उठाया है और अपने कविताओं में नारी शक्ति का भी बखूबी जिक्र किया है.
मुझे उम्मीद है कि आप लोग इनकी काव्यगत विशेषताओं को समझ गए हैं. बहुत सारे ऐसे विद्यार्थी होंगे जो इनका पीडीएफ फाइल को डाउनलोड करना चाहते हैं जो कि नीचे आपको डाउनलोड पर क्लिक करके सुभद्रा कुमारी चौहान की काव्यगत विशेषताएँ PDF फाइल को डाउनलोड कर सकते हैं.
काव्यगत विशेषताएँ PDF फाइल को डाउनलोड करके आप अपने मोबाइल में बिना इंटरनेट के भी आसानी से पढ़ सकते हैं.
आप चाहे तो इसका प्रिंटआउट कर करके अपने प्रोजेक्ट फाइल अथवा अपने नोट्स के रूप में भी प्रयोग कर सकते हैं.
FAQs
चलिए अब हम लोग सुभद्रा कुमारी चौहान का जीवन परिचय संबंधित अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्नों को जान लेते हैं. यदि आपके मन में भी सुभद्रा चौहान के जीवन परिचय से संबंधित कोई प्रश्न है तो नीचे दिए गए सवालों का जवाब पढ़ करके अपना प्रश्न का उत्तर जान सकते हैं.
प्रश्न: सुभद्रा कुमारी चौहान का जन्म कहां हुआ था?
उत्तर: सुभद्रा कुमारी चौहान का जन्म 16 अगस्त 1904 ई को उत्तर प्रदेश राज्य के प्रयाग जिले के अंतर्गत निहालपुर नामक ग्राम में एक साधारण परिवार में हुआ था.
प्रश्न: सुभद्रा कुमारी चौहान का मृत्यु कहां हुआ था?
उत्तर: सुभद्रा कुमारी चौहान की मृत्यु 15 फरवरी वर्ष 1948 ईस्वी को मध्य प्रदेश राज्य के अंतर्गत सिवनी जिला में हुआ था.
प्रश्न: सुभद्रा कुमारी चौहान की मृत्यु कैसे हुई?
उत्तर: सुभद्रा कुमारी चौहान की मृत्यु 1948 ईस्वी में एक कार दुर्घटना के वजह से अचानक से मौत हो गई थी. उनकी मौत एक दुर्घटनाग्रस्त था जो कि साहित्य जगत को दुखी कर गया था.
प्रश्न: सुभद्रा कुमारी चौहान के माता पिता का क्या नाम है?
उत्तर: सुभद्रा कुमारी चौहान के माता-पिता का नाम रामनाथ सिंह ठाकुर एवं धिराज कुँवरी था. इनके पिता रामनाथ सिंह शिक्षा के प्रेमी थे और इन्हीं की देखरेख में सुभद्रा ने अपनी प्रारंभिक शिक्षा को पूर्ण किया था.
प्रश्न: सुभद्रा कुमारी चौहान के पति का क्या नाम था?
उत्तर: सुभद्रा कुमारी चौहान के पति का नाम लक्ष्मण सिंह था जो कि इसे 15 वर्ष की आयु में ही विवाह कर लिए थे.
प्रश्न: सुभद्रा की अमर कहानी कौन सी थी?
उत्तर: सुभद्रा की अमर कहानी ‘झांसी की रानी’ थी. यह इनकी पहली सबसे प्रसिद्ध रचना थी जिसे इनकी अमर कहानी के नाम से भी जाना जाता है.
प्रश्न: सुभद्रा कुमारी चौहान की रचनाओं की क्या विशेषता है?
उत्तर: सुभद्रा कुमारी चौहान की रचनाओं की रचनाओ में यह विशेषता देखा गया की इन्होने राष्ट्रीय आंदोलन, स्त्रियों की स्वतंत्रता और जातियों का समाज में उत्थान जैसे महत्वपूर्ण विषयों को शामिल किया गया है.
निष्कर्ष
प्रिय छात्रों एवं पथ को मुझे उम्मीद है कि आपको “सुभद्रा कुमारी चौहान का जीवन परिचय” बहुत ही अच्छे से समझ में आ गया है और अब आप सुभद्रा जी के जीवनी के बारे में बेहतरीन तरीके से जान चुके हैं
सुभद्रा जी हिंदी साहित्य के एक महान कवयित्री रही है और इन्होंने साहित्य पर अपना गहरा प्रभाव छोड़ा है. आज हमने सुभद्रा जी के बारे में काफी कुछ सिखा और जाना है.
यदि आप लोग बोर्ड एग्जाम की तैयारी कर रहे हैं और इस वजह से इनके जीवन परिचय को पढ़ने एवं लिखना चाहते हैं तो इसके लिए मैं इस लेख में पीडीएफ भी दिया है जिसकी मदद से अपने नोट्स को बना सकते हैं.
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