आज के इस आर्टिकल में ऊर्जा किसे कहते हैं और उर्जा की परिभाषा, प्रकार एवं उदाहरण सहित विस्तार से जानेंगे।
किसी भी वस्तु अथवा जीव द्वारा कार्य करने की क्षमता उर्जा कहलाती है। ऊर्जा की साहयता से ही कोई भी वस्तु अथवा जीव अथवा मशीन अपने कार्य को कर पाता है।
जब हम कोई भी कार्य करते हैं तो उसको करते-करते थक जाते हैं तब कहा जाता है कि हमारी ऊर्जा कम हो गई है जिसको हम आराम करके अथवा भोजन करके पुनः प्राप्त करते हैं।
अतः हम कह सकते हैं की कार्य करने के लिए ऊर्जा की आवश्यकता पड़ती है और इस प्रकार ऊर्जा कार्य में परिवर्तित हो जाती है।
समझिये ऊर्जा किसे कहते हैं?
किसी भी वस्तु के कार्य करने की क्षमता को उसे वस्तु की ऊर्जा (Energy) कहते हैं। अर्थात कोई भी वस्तु अथवा मशीन अथवा जीव द्वारा किसी कार्य करने की क्षमता को उसकी ऊर्जा कहते हैं।
उर्जा एक ऐसी क्षमता है जिसे कभी भी नष्ट नहीं किया सकता और यह केवल एक रूप से दूसरे रूप में परिवर्तित होता है।
M.K.S. तथा S.I. पद्धति में ऊर्जा का मात्रक ‘जूल‘ है और यह ऊर्जा का सबसे छोटा मात्रक है।
इसके अतिरिक्त ऊर्जा के कुछ अन्य मात्रक जो कि औद्योगिक क्षेत्र में उपयोग किए जाते हैं वह ‘वाट – घंटा‘ तथा ‘किलोवाट – घंटा‘ का होता है। एक किलोवाट घंटा को हम एक यूनिट के नाम से भी जानते हैं।
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ऊर्जा की परिभाषा
ऊर्जा एक भौतिक अदिश राशि है, इसमें न तो द्रव्यमान होता है और न ही यह स्थान घेरती है। किसी वस्तु की कार्य करने की क्षमता ही उस वस्तु की ऊर्जा है।
ऊर्जा का उदाहरण
कोई भी वस्तु अथवा मशीन अथवा जीव जब कार्य करने लगती है तो उसकी संचित ऊर्जा धीरे-धीरे खत्म होने लगती है।
इसके उदाहरण के लिए हम एक घड़ी जो की मशीन है उसको लेकर समझ सकते हैं। जब उसकी सुइया निरंतर चलती रहती है तो उसकी सेल में समाहित ऊर्जा धीरे-धीरे खत्म होने लगती है।
ऐसे ही किसी वाहन में भी संचित ऊर्जा उसके निरंतर चलने से धीरे-धीरे खत्म होती है और उसको पुनः प्राप्त करने के लिए वाहन की संसाधन पेट्रोल अथवा डीजल आदि का सहायता लेकर प्राप्त किया जाता है।
उर्जा कभी भी खत्म नहीं होता है और वह एक रूप से दूसरे रूप में परिवर्तित होता है। जैसे – वाहन के लिए पेट्रोल खर्च होकर उसकी गतिज ऊर्जा में परिवर्तित हो जाता है।
मनुष्य भी इसी प्रक्रिया को दोहराता है और वह भी जब किसी कार्य को करता है तो उसके अंदर संचित ऊर्जा धीरे-धीरे खत्म होने लगती है।
मनुष्य इस ऊर्जा को पुनः प्राप्त करने के लिए व्यक्ति कुछ देर आराम करता है अथवा भोजन करता है जिससे उसे ताकत मिलती है और पुनः कार्य करने की क्षमता विकसित होती है।
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मूल रूप से ऊर्जा के प्रकार
हर वस्तु अथवा मशीन अथवा जीव के लिए अलग-अलग ऊर्जा का संसाधन होते हैं। इसलिए ऊर्जा के भी विभिन्न रूप होते हैं, परंतु ऊर्जा मुख्य रूप से दो प्रकार की होती है –
- गतिज ऊर्जा (Kinetic Energy)
- स्थितिज ऊर्जा (Potential Energy)
1. गतिज ऊर्जा किसे कहते हैं
किसी भी वस्तु अथवा मशीन अथवा जीव में उसकी गति के कारण समाहित ऊर्जा को उस वस्तु अथवा मशीन तथा जीव की गतिज ऊर्जा कहते हैं।
हम इसको कुछ इस प्रकार से भी समझ सकते हैं कि किसी वस्तु में उसकी गति के कारण कार्य करने की जो क्षमता होती है उसे ही वस्तु की गतिज ऊर्जा कहते हैं और यह भी एक अदिश राशि है।
गतिज ऊर्जा का उदाहरण चलती हुई वहान, खिलाड़ी द्वारा फेंका गया गेंद अथवा फुटबॉल, उड़ती हुई हवाई जहाज, गुरुत्वाकर्षण के कारण गिरता हुआ सेव आदि है।
यदि किसी वस्तु का द्रव्यमान ‘m’ है और वह ‘v’ वेग से गतिमान है तब इसके गति ऊर्जा का सूत्र निम्न होगा –
गतिज ऊर्जा (K) = 1/2mv2 जूल
इसका मात्रक भी ‘जूल‘ है और गतिज ऊर्जा के सूत्र में ‘m’ वस्तु की द्रव्यमान और ‘v’ वस्तु का वेग है ।
2. स्थितिज ऊर्जा किसे कहते हैं
किसी भी वस्तु अथवा मशीन अथवा जीव में उसके स्थिति के कारण जो उसमें ऊर्जा समाहित होती है वही स्थितिज ऊर्जा कहलाती है।
स्थितिज ऊर्जा का उदाहरण छत से लटका हुआ पंखा, तना हुआ धनुष का तीर अथवा गुलेल, बांध में एकत्रित हुई पानी, पेड़ पर लटकता फल आदि है।
यदि कोई ‘m’ द्रव्यमान वाली वस्तु पृथ्वी से ‘h’ ऊंचाई ऊपर स्थित है तब इसका सूत्र निम्न होगा –
स्थितिज ऊर्जा (U) = mgh जूल
स्थितिज ऊर्जा कोई ‘U’ से प्रदर्शित करते हैं और सूत्र में ‘m’ वस्तु का द्रव्यमान ‘g’ गुरुत्वीय त्वरण और ‘h’ वस्तु की भूमि से ऊंचाई है।
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गतिज ऊर्जा और स्थितिज ऊर्जा में अंतर
गतिज ऊर्जा और स्थितिज ऊर्जा के बारे में आप लोग अलग-अलग पढ़ चुके हैं। अब हम गतिज और स्थितिज ऊर्जा के बीच अंतर को टेबल के माध्यम से समझते हैं।
क्रमांक | गतिज उर्जा | स्थितिज उर्जा |
1. | गतिज ऊर्जा किसी वस्तु के गति के कारण होती है। | स्थितिज उर्जा किसी वस्तु के स्थिति कारण होती है। |
2. | वस्तु की वेग में परिवर्तन होने से इसके गतिज ऊर्जा परिवर्तन होता है। | वस्तु की ऊंचाई में परिवर्तन से इसके स्थितिज ऊर्जा में परिवर्तन होता है। |
3. | गतिज ऊर्जा संचित ऊर्जा नहीं होती है। | स्थितिज ऊर्जा संचित ऊर्जा होती है। |
4. | गतिज ऊर्जा का उदाहरण पेड़ो से टूट के गिरता फल आदि है। | स्थितिज ऊर्जा का उदाहरण पेड़ से लटका हुआ फल, छत से लटका हुआ पंखा आदि है। |
5. | यह क्रियाशील ऊर्जा है। | यह क्रियाशील ऊर्जा नहीं है। |
निष्कर्ष
हम लोगों ने ऊर्जा किसे कहते हैं हिंदी में एवं ऊर्जा के प्रकार और ऊर्जा का उदाहरण को बेहतरीन तरीके से पढ़ा और समझा है।
इसके साथ हम लोगों ने गतिज ऊर्जा किसे कहते हैं और स्थितिज ऊर्जा किसे कहते हैं को उदाहरण के सहायता से भी बेहतरीन तरीके से समझ लिया है एवं साथ ही इसके सूत्र और मात्रक को भी जाना है।