अनुप्रास अलंकार की परिभाषा और उदाहरण सहित लिखिए

मेरे प्यारे मित्रो आज हम फिर से हाजिर है “अनुप्रास अलंकार की परिभाषा और उदाहरण सहित लिखिए” का जवाब लेकर आया हु. यदि आप अनुप्रास अलंकार किसे कहते है? यह जानना चाहते है तो इसे अंत तक पढ़िए. मैं आपको अनुप्रास अलंकार के परिभाषा और उदाहरण बताऊंगा और वह भी सबसे सरल शब्दों में.

यदि आप Anupras Alankar Ki Paribhasha Tatha Udaharan Sahit Likhiye Hindi Mein चाहते है तो आप निचे स्क्रॉलिंग कीजिये. आपको निचे मिल जाएगी. मैं आपको परिभाषा और एक्साम्पल बताने से पहले कुछ जरुरी बाते बताना चाहूँगा.

आप लोगो को मैं यह बताना चाहूँगा की आपके बोर्ड एग्जाम में यह 2 अंक में पूछे जाते है. यही नहीं यह बोर्ड एग्जाम के आलावा और भी बहुत से प्रतियोगी परीक्षा में यह पूछा जाता है.

इसलिए वह लोग Anupras Alankar Ki Paribhasha Tatha Udaharan को जरुर तैयार करे. यह आपके बोर्ड में अच्छे अंक दिलाने में काफी योगदान देगा. यदि आप इसे अभी तैयार कर लेते है तो आपको यह आगे भी अन्य जगहों पर मदद करेगी.

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डॉ वासुदेव शरण अग्रवाल जी का जीवन परिचय एवं साहित्यिक परिचय, कृतियाँ रचनाये

दोस्तों आज हम आपको डॉ वासुदेव शरण अग्रवाल जी का जीवन परिचय एवं साहित्यिक परिचय के साथ – साथ कृतियाँ यानी रचनाये भी बताएँगे. हमने एक सिरीज शुरू किया है जिसमे आपको सबसे सरल शब्दों में जीवन परिचय एवं कृतिया देखने को मिलेगी. 

यदि आप सबसे आसान में Vasudev Sharan Agrawal Ka Jivan Parichay Sahitya Parichay Hindi Mein चाहते है तो आप इसे अंत तक पढ़िए. मैं आपको इतने अच्छे से बताऊंगा की आपको रट्टा मारने की जरुरत नहीं पड़ेगी. 

आप लोगो को तो पता ही होगा की वासुदेव शरण अग्रवाल का जीवन परिचय कक्षा 12 में सामान्य हिंदी में पूछा जाता है. इसके अलावा भी बहुत सारे एग्जाम में वासुदेव शरण अग्रवाल का साहित्यिक परिचय को पूछ दिया जाता है.

सरल शब्दों में ‘डॉ वासुदेव शरण अग्रवाल जी का जीवन परिचय एवं साहित्यिक परिचय

जीवन परिचय: डॉ० वासुदेव शरण अग्रवाल का जन्म सन् 1904 ई० में लखनऊ के मेरठ जिले के खेड़ा नामक ग्राम में हुआ था. इनके माता – पिता लखनऊ में रहते थे. इसलिए इनकी बाल्यावस्था लखनऊ में ही व्यतीत हुई.

लखनऊ विश्वविद्धालय से इन्होने एम० ए० की परीक्षा उत्तीर्ण की. यही से इन्होने पीएचडी व डी० लिट्० की उपाधि प्राप्त की. इन्होने पाली, संस्कृत, अंग्रेजी आदि भाषाओ तथा प्राचीन भारतीय संस्कृति और पुरातत्व का गहन अध्ययन किया.

उसके बाद ये भारतीय पुरातत्व विभाग के अध्यक्ष भी रहे. ये बहुत से संस्थाओ के सभापति भी रहे. ये उच्च कोटि के विद्वान माने जाते है. हिंदी जगत के जाने माने लेखक वसुदेवशरण अग्रवाल जी सन् 1967 ई० को इस संसार को छोड़ कर चले गए.

दोस्तों यह तो Vasudev Sharan Agrawal Ka Jivan Parichay Class 12th वाला अभी पूरा हुआ है. अभी तो इनका साहित्यिक परिचय बाकी है. चलिए अब हम वासुदेव शरण अग्रवाल का साहित्यिक परिचय के बारे में जान लेते है.

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