प्रिय छात्रो क्या आप लोग ‘Ghananand Ka Jivan Parichay’ को सर्च करे रहे है? तो यह लेख आपजे लिए ही समर्पित है.
इस लेख के अंदर मैं आपको बताने वाला हु की घनानन्द का जीवन परिचय एवं इससे सम्बंधित सारे प्रश्नों का उत्तर में देने वाला हु.
यदि आप लोग इस लेख को पूरा अंत तक पढ़ते है तो मैं यह दावा करता हु की पुरे इन्टरनेट पे यह सबसे बेस्ट लेख है जोकि घनानन्द का जीवन परिचय के बारे में है.
मैंने बहुत ही गहन अधयन्न के बाद यह लेख लिखा है जिसमे आप सभी को kavi ghananand ka jeevan parichay के बारे में विस्तृत जानकरी देने वाला हु.
नाम | घनानंद |
अन्य नाम | आनन्दघन |
जन्म | 1689 ई० (संवत 1746) |
जन्म स्थान | अज्ञात है, परन्तु दिल्ली के आस – पास माना जाता है |
माता – पिता | अज्ञात |
गुरु का नाम | अबुल फजल |
जाति | वैश्य |
प्रेमिका | सुजान |
काल | रीतिकाल |
आश्रय देने वाला राजा | मोहम्मद शाह रंगीले |
भाषा | ब्रज |
रस | श्रंगार (वियोग) |
छंद | कवित्त, सवैया |
मृत्यु | 1760 ई० (संवत 1817) |
Ghananand Ka Jivan Parichay PDF
प्रिय छात्रो अब हम लोग चलिए एक बढ़िया से घनानन्द का जीवन परिचय को लिखते है और वह भी सबसे आसान भाषा में.
हम लोग Ghananand Ka Jivan Parichay को पढेंगे भी और अंत में आपको घनानन्द की जीवन परिचय की PDF एवं घनानंद की प्रेम व्यंजना pdf फाइल भी देंगे.
घनानंद का जन्म कब और कहां हुआ था
घनानंद का जीवन परिचय: कवि घनानंद का जन्म सन् 1689 ई० (संवत 1746) में हुआ था. इनका जन्म स्थान किसी को ज्ञात नही है लेकिन माना जाता है की इनका प्रारंभिक जीवन दिल्ली में बिता था.
इनके माता पिता का नाम भी किसी को ज्ञात नही है. कुछ ऐसे विद्वान् भी है जिनका मानना यह है की घनानंद का जन्म वृन्दावन अथवा बुलंदशहर में हुआ था.
घनानंद की जाती वैश्य थी. ये सुजान नामक स्त्री से प्रेम करते थे. सुजान घनानंद की प्रेमिका थी.
सुजान ने इनके साथ बेवफाई कर डी थी जिसके बाद वह अपना पूरा जीवन दुःख और अभाव में बिताया.
घनानंद सुजान को कभी भुला नहीं पाए और उन्होंने अपनी अधिकत्तर रचनाओ में सुजान के नाम का प्रयोग किया है. उनकी रचनाओ से स्पष्ट होता है की वह जीवन भर प्रेम के पीड़ा में रहे.
घनानंद रीतिकाल के कवि थे. इन्होने ने अपनी अधिकांश रचनाये ब्रज भाषा में की है और श्रृंगार रस का ज्यादा प्रयोग किया है.
इन्होने अपनी रचनाओ में श्रृंगार रस में भी वियोग रस का ज्यादा प्रयोग किया था. घनानंद अपनी कविताओ में कवित्त और सवैया छंद का प्रयोग ज्यादा प्रयोग किया है.
घनानन्द ने अपनी आरंभिक जीवन दिल्ली में और उत्तर जीवन वृन्दावन में व्यतीत किये है. घनानन्द को आश्रय देने वाला राजा का नाम मोहम्मद शाह रंगीले था जिनके दरबार से निकाले जाने के बाद वृन्दावन चले गए थे.
घनानन्द को आनंदघन के नाम से भी जाना जाता है. बचपन से ही इन्हें संगीत और साहित्य का बहुत शौक था और आगे चलकर इस शौक ने इन्हें आपार सफलता दिलाई.
कवि घनानंद की शिक्षा फारसी भाषा से शुरू हुई थी और ऐसा माना जाता है की घनानंद की रूचि पढाई में बहुत थी.
घनानन्द के गुरु का नाम अबुल फजल था. घनानंद की बुद्धि शुरू से ही बहुत तेज थी. इन्होने फारसी भाषा का ज्ञान बहुत अच्छे से और जल्दी से अर्जित कर लिया था.
घनानन्द फारसी का ज्ञान प्राप्त करने के बाद इन्होने सम्राट शाह के मीर मुंशी के पद पर नियुक्त कर लिया गया था.
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घनानंद की मृत्यु कब हुई
घनानंद की मृत्यु को लेकर भी कई विद्वानों के अलग-अलग मत हैं. कवि घनानंद की मृत्यु को लेकर दो मत प्रस्तुत किए हैं.
पहले मत में कुछ विद्वानों का मानना है कि उनकी मृत्यु वृंदावन में नादिरशाह के आक्रमण के दौरान ही हो गयी थी.
परन्तु कुछ विद्वानों ने इसका खंडन किया और अपना मत प्रस्तुत करते हुए यह माना है कि जब वृंदावन में अब्दुल शाह दुर्रानी ने आक्रमण किया था तब उसी आक्रमण में घनानन्द की मृत्यु हुई थी. घनानन्द की मृत्यु की तिथि सन् 1760 ई० (सवंत् 1817) में मानी जाती है.
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आशा है छात्रो आप सभी को Ghananand Ka Jivan Parichay काफी अच्छे से समझ में आया होगा.
मैंने आपको लेख के साथ घनानन्द जीवनी का पीडीऍफ़ फाइल भी दिया है आपको जिससे आप और भी सुगमता के साथ पढ़ सकते है.
घनानंद का साहित्यिक परिचय pdf
प्रिय छात्रो चलिए अब हम लोग घनानन्द का साहित्यिक परिचय के बारे में जान लेते है. हम लोग इसको भी काफी सरलता से समझेंगे.
आपको हम घनानंद का साहित्यिक परिचय pdf भी देंगे जिससे आप अपनी तैयारी को और बेहतर कर सकते है. चलिए शुरू करते है –
घनानंद का साहित्यिक परिचय: घनानंद अपनी रचनाओं में स्वच्छंद प्रेम का जिक्र करते हैं. ऐसा माना जाता है कि घनानंद प्रेम के पीर कवि थे और घनानंद की मुख्य साहित्यिक विशेषता यह है कि वह उनकी रचनाओं में किए गए प्रेम का वर्णन लक्षण से नही बल्कि हृदय से संबंधित है.
जब वह अपनी रचनाओं में प्रेम का वर्णन स्पष्ट रूप से करते हैं. इनकी रचनाओं में किसी प्रकार का कोई बनावट एवं छिपावट नही दिखती हैं.
घनानंद की साहित्यिक विशेषता यह भी है कि वह अपने रचनाओं में विरह वेदना का चित्रण करते हैं. ये अपना अधिकतर जीवन सुजान की बेवफ़ाई के कारण दुख व पीड़ा को सहते हुए बिताया है.
घनानंद ने अपनी अधिकतर रचनाओं में सुजान का वर्णन किया है. घनान्द की रचनाओं में विरह वेदना का वर्णन स्पष्ट रूप से देखने को मिलता है.
घनानंद की प्रमुख रचनाएँ
प्रिय छात्रो घनानंद की प्रमुख रचनाएँ निम्न है. घनानन्द ने अपनी अधिकतर रचनाओ में ब्रज भाषा और श्रृंगार रस का प्रयोग करते हुए अपनी प्रेमिका सुजान का जिक्र किया है. चलिए हम लोग घनानन्द की रचनाये के बारे में जान लेते है.
- घनानंद कवित्त
- आनन्द घन के कवित्त
- ऑनन्द घन जू के कवित्त
- सुजान हित
- सुजानहित प्रबन्ध
- कृपाकन्द निबन्ध
- वियोग बेला
- इश्क लता
प्रिय छात्रो आपको उपर पॉइंट के रूप में लिखी हुई घनानन्द के कुछ प्रमुख रचनाये डी गयी है. यह रचनाये आप याद कर लीजिये यह प्रमुख रचनाये है.
घनानन्द के जीवनी के बारे में आज हमने बहुत कुछ सिखा आप हमें निचे कमेंट करके बताये की आपको यह सब कैसा लगा और आप इसी तरह के और भी जानकरी के लिए आप हमारे ब्लॉग के होम पेज पे जा सकते है.
FAQ(Ghananand Ka Jivan Parichay)
प्रिय छात्रो FAQ का अर्थ होता है Frequently Asked Question अर्थात वह प्रश्न जो अक्सर आप लोगो द्वारा पूछा जाता है.
अब हम उन्ही प्रश्नों का जवाब आप लोगो को देंगे. अगर आप लोगो के मन में भी ‘Ghananand Ka Jivan Parichay’ को लेकर कोई सवाल है तो हमसे निचे कमेंट में पूछ सकते ही जिसका जवाब मैं आप लोगो को दे दूंगा.
घनानंद की रचनाएं कौन सी है?
घनंद की रचनाए घनानंद कवित्त, आनन्द घन के कवित्त, ऑनन्द घन जू के कवित्त, सुजान हित, सुजानहित प्रबन्ध आदि है.
घनानंद की नायिका का क्या नाम है?
घनानंद की नायिका का नाम ‘सुजान’ था.
घनानंद का जन्म कब और कहाँ हुआ था?
घनानंद का जन्म सन् 1689 ई० (संवत 1746) में हुआ था परन्तु इनका जन्म स्थान अज्ञात है और कुछ विद्वानों का मानना है की इनका जन्म दिल्ली के आस – पास हुआ है.
सुजान किसकी प्रेमिका थी?
सुजान ‘घनानंद’ की प्रेमिका थी जिससे घनानन्द अटूट प्रेम करते थे.
घनानंद को प्रेम की पीर क्यों कहा जाता है?
घनानंद को प्रेम की पीर इसलिए कहा जाता है क्योंकि वह अपनी प्रेमिका सुजान से बेवफाई पाने के बाद जीवन भर दुःख एवं पीड़ा में रहे और अपनी रचनाओ में सुजान का जिक्र किया.
निष्कर्ष
प्रिय छात्रो हमने Ghananand Ka Jivan Parichay को आज अच्छे से जाना है साथ ही साथ हम लोगो ने घनानन्द के जीवन परिचय का pdf फाइल भी पा लिया है. आप इसे अपने सारे मित्रो के पास साझा कर सकते है.
हम लोगो ने आज घनानन्द का साहित्यिक परिचय को भी जाना है एवं इनके कृतिया को भी पढ़ा है. मुझे उम्मीद है की आप सभी को ये काफी अच्छा लगा होगा.
आप ऐसे ही और भी जीवन परिचय हमारे इस ब्लॉग पे पढ़ सकते है जहा मैं हर रोज एक नया लेख लेके आता हु.
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