[PDF] माखनलाल चतुर्वेदी का जीवन परिचय – Makhanlal Chaturvedi Ka Jivan Parichay

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क्या आप ‘Makhanlal Chaturvedi Ka Jivan Parichay’ को खोज रहे है? तो यह लेख आपके लिए ही समर्पित है. मैं आज आपको इस लेख में माखन लाल चतुर्वेदी के जीवन परिचय को बताने वाला हु और वह भी सबसे आसान भाषा में तो इस लेख को पूरा जरुर पढ़े.

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यदि आप इस लेख को पूरा पढ़ते है तो मैं यह दावा करता हु की आपको माखनलाल चतुर्वेदी का जीवन परिचय के बारे में सब कुछ याद हो जाने वाला है. मैंने बहुत ही गहन अध्धयन करके यह आर्टिकल लिखा है इसलिए आप सभी इसे अच्छे से पढ़े मुझे पूरा उम्मीद है की यह सबसे बेस्ट लेख होने वाली है.

नाममाखन लाल चतुर्वेदी
अन्य नामपंडित जी
जन्मसन् 1889 ई०
जन्म स्थानमध्य – प्रदेश के बवाई नमक ग्राम में
पिता जी का नामपंडित नन्दलाल चतुर्वेदी
माता जी का नामसुन्दरी बाई
शिक्षाप्राथमिक शिक्षा के बाद घर पे ही भाषाओ का अध्ययन
भाषासरल एवं प्रवाहपूर्ण खड़ीबोली
शैलीमुक्तक
उपाधिपद्मभूषण
कालआधुनिक काल के कवि थे
सम्पादनप्रभा, कर्मवीर
प्रमुख रचनायेरामनवमी, साहित्य देवता, समपर्ण, युगचार आदि
साहित्य में स्थानराष्ट्रीय कवियों में श्रेष्ठ स्थान
मृत्युसन् 1968 ई०

प्रिय छात्रो मैंने टेबल के माध्यम से Makhanlal Chaturvedi Ka Jivan Parichay का एक सरांस समझा दिया है. अब इसी के माध्यम से हम लोग माखन लाल चतुर्वेदी का जीवन परिचय को और बेहत्तर से समझेंगे. आगे हम लोग जीवन परिचय के साथ – साथ साहित्यिक परिचय और माखन लाल के रचनाओ के बारे में भी जानेंगे.

जानिये ‘Makhanlal Chaturvedi Ka Jivan Parichay’ शोर्ट में

प्रिय छात्रो चलिए अब हम लोग Makhanlal Chaturvedi Ka Jivan Parichay को विस्तार से समझते हुए आगे बढ़ते है. आपको माखन लाल चतुर्वेदी का जीवन परिचय को रटने की जरूरत नही पड़ेगी बस आप लोग इसे एक बार अच्छे से पढ़ते चलिए फिर अंत तक आपको महसूस होगा की आपको यह याद हो चूका है.

माखनलाल चतुर्वेदी का जीवन परिचय माखनलाल चतुर्वेदी का जन्म सन 1889 ई० में मध्य प्रदेश के होशंगाबाद जनपद के अन्तर्गत बावई नामक ग्राम में हुआ था. इनके पिताजी का नाम पंडित नंदलाल चतुर्वेदी था. माखनलाल चतुर्वेदी जी के माता जी का नाम सुंदरी बाई था. माखनलाल चतुर्वेदी का अन्य नाम पंडित जी था. माखन लाल को लोग अन्य नाम ‘पंडित जी’ कह कर भी बुलाते थे.

इनके पिता का नाम पं० नन्दलाल चतुर्वेदी था. वह एक कुशल अध्यापक थे, परिणामतः माखनलालजी की शिक्षा-दीक्षा अपने पिता की देखरेख में ही हुई. इन्होंने विद्यार्थी जीवन में ही तुकबन्दी प्रारम्भ कर दी थी. इनकी औपचारिक शिक्षा अधिक नहीं चली. माखनलाल चतुर्वेदी जी प्राथमिक शिक्षा के बाद घर पर ही अंग्रेजी, संस्कृत, बंगला, गुजराती आदि भाषाओ का गहन अध्ययन किया.

माखन लाल चतुर्वेदी जी नॉर्मल पास करके अध्यापक हो गए, परन्तु शीघ्र ही नौकरी से त्याग-पत्र देकर पत्रकारिता के क्षेत्र में आ गए. ‘कर्मवीर’ नामक पत्र का कुशल सम्पादन किया. इन्होंने श्री गणेशशंकर विद्यार्थी की प्रेरणा से कानपुर के ‘प्रभा’ नामक पत्र का भी सफल सम्पादन किया.

देश-प्रेमी होने के कारण चतुर्वेदीजी ने राष्ट्रीय आन्दोलनों में बढ़-चढ़कर भाग लिया और अनेक बार जेल – यात्राएँ भी कीं. सन् 1943 ई० में इन्हें हिन्दी-साहित्य-सम्मेलन का अध्यक्ष चुना गया. इनकी विद्वत्ता एवं साहित्य – साधना से प्रभावित होकर सागर विश्वविद्यालय ने इन्हें डी०लिट्० की उपाधि प्रदान की और भारत सरकार ने ‘पद्मभूषण‘ की उपाधि से विभूषित किया. माखन लाल चतुर्वेदी जी की मृत्यु सन् 1968 ई० में इस नश्वर शरीर को त्यागकर स्वर्ग सिधार गए.

प्रिय छात्रो आशा करता हु की आपको Makhanlal Chaturvedi Ka Jivan Parichay बहुत ही बढ़िया लगा होगा. अब हम लोग चलिए माखन लाल चतुर्वेदी जी का जीवनी को एक pdf के माध्यम से समझते है. आगे हम लोग इनके सम्पूर्ण जीवनी को एक pdf के अंदर पढेंगे.

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माखनलाल चतुर्वेदी का जीवन परिचय pdf

प्रिय छात्रो आप लोग Makhanlal Chaturvedi Ka Jivan Parichay को काफी सरलता से पढ़ चुके है. अब मैं आपको माखनलाल चुतर्वेदी का जीवन परिचय pdf में देने वाला हु, जिसके सहायता से आप और भी आसानी से पढ़ सकते है.

मैंने इस पीडीऍफ़ को खुद अपने हाथो से बनाया है. इस पीडीऍफ़ में आपको माखनलाल चतुर्वेदी जी की जीवन परिचय एवं साहित्यिक परिचय के साथ ही साथ आपको माखन लाल की रचनाये भी पढने को मिलेगी.

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आपको तीनो महत्वपूर्ण घटक इस पीडीऍफ़ फाइल के अंदर मिल जायेंगे. Makhanlal Chaturvedi Ka Jivan Parichay आप लोगो के लिए बहुत ही महत्वपूर्ण है. आप लोग इसे अच्छे से तैयार कर लीजिये. आपको इस लेख में माखन लाल चतुर्वेदी जी की जीवन परिचय का एक डेडिकेटेड विडियो लेक्चर भी मिल जाएँगी जिसके मदद से आप न केवल पढ़ कर बल्कि विडियो देख के भी और अच्छे से समझ पाएंगे.

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माखनलाल चतुर्वेदी का साहित्यिक परिचय

चतुर्वेदीजी प्रतिभासम्पन्न कवि थे, इन्होंने सोलह वर्ष की अवस्था में ही पहला पद रचा था. वास्तव में चतुर्वेदीजी एक कवि, साहित्यकार, विचारक और राष्ट्रीय नेता थे. इन्होंने हिन्दी – साहित्य-सेवा के लिए नौकरी से त्याग-पत्र दे दिया था. इन्होंने ‘कर्मवीर’ नामक पत्र का 30 वर्ष तक सम्पादन किया. चतुर्वेदीजी गांधीवादी विचारधारा से विशेष प्रभावित थे. इनके काव्य में देशप्रेम की भावना कूट-कूटकर भरी हुई है. इन्होंने काव्य के साथ-साथ नाटक, निबन्ध और कहानी-साहित्य की भी रचना की.

माखनलाल चतुर्वेदी की प्रमुख रचनाएं

प्रिय छात्रो अब हम लोग माखनलाल चतुर्वेदी की दो रचनाएं के साथ – साथ हम लोग माखनलाल चतुर्वेदी की प्रमुख रचनाएं अथवा कृतिया को बहुत ही सरल तरीके से समझेंगे. चलिए अब हम लोग इसको भी शुरू करते है.

माखन लाल चतुर्वेदी जी की प्रमुख रचनाये अथवा कृतियाँ—

माखन लाल चतुर्वेदीजी के मुख्य काव्य-संग्रह हैं— ‘हिमकिरीटिनी’, ‘रामनवमी’, ‘हिमतरंगिनी’, ‘माता’, ‘युगचरण’, ‘समर्पण’, ‘वेणु लो गूँजे घरा’ आदि. ‘साहित्य-देवता’ भावात्मक निबन्धों का संग्रह है. ‘चिन्तक की लाचारी’ और ‘आत्मदीक्षा’ में चतुर्वेदीजी के ओजस्वी और विचारशील भाषण संगृहीत है. इन्होंने ‘नागार्जुन’ नाटक की रचना की, साथ ही ‘कर्मवीर’ और ‘कला का अनुवाद’ दो कहानी-संग्रह भी है.

सन् 1913 में माखनलाल चतुर्वेदी ने किस पत्रिका का सह-संपादनकिया-

सन् 1913 में माखनलाल चतुर्वेदी ने ‘प्रभा पत्रिका’ का सह-संपादन किया और इसके मुख्य सम्पादक कालूराम गंगराडे थे. प्रभा पत्रिका को प्रकाशित माखन लाल चतुर्वेदी ने सन् 1913 में कर दिया था.

माखनलाल चतुर्वेदी हिन्दी साहित्य में स्थान

हिन्दी साहित्य में स्थान- चतुर्वेदीजी हिन्दी-साहित्य जगत् की अमर विभूति थे, उनका काव्य आज भी देश-प्रेम का पावन सन्देश दे रहा है. चतुर्वेदीजी ने यद्यपि कम लिखा है, लेकिन जो कुछ लिखा है अच्छा लिखा है. निःसन्देह चतुर्वेदीजी का राष्ट्रीय कवियों में श्रेष्ठ स्थान है.

माखनलाल चतुर्वेदी जी की भाषा-शैली

माखनलाल चतुर्वेदी जी की भाषा –

चतुर्वेदीजी की भाषा सरल एवं प्रवाहपूर्ण है. इसमें उर्दू के चलते शब्दों का भी प्रयोग हुआ है. इन्होंने वीर रस के अनुकूल शब्दावली का प्रयोग किया है. छोटी-छोटी पंक्तियों में बड़े जोशीले भाव व्यक्त किए हैं. संस्कृत के तत्सम शब्दों का प्रयोग भी दृष्टिगत होता है। इनकी भाषा अत्यन्त मिठास है.

माखनलाल चतुर्वेदी जी की शैली –

माखन लाल चतुर्वेदीजी की शैली मौलिक है, उस पर किसी अन्य कवि की छाप नहीं है. इनका काव्य सच्चे हृदय की पुकार है. अतः इसे प्रस्तुत करने में इन्होंने किसी प्रकार की कृत्रिमता का आश्रय नहीं लिया है. इन्होंने मुक्तक-शैली को अपनाया है; क्योंकि इनके सभी काव्य मुक्तक है. इनकी शैली में किसी प्रकार की कृत्रिमता या अस्वाभाविकता नहीं है, उसमें स्वाभाविकता और सजीवता सर्वत्र दिखाई देती है.

इन्होंने लक्षणा और व्यंजना शब्द-शक्तियों के स्थान पर अभिधा शक्ति से काम लिया है, इसी कारण इनकी भाषा और शैली में सादगी का गुण विद्यमान है. किसी बात को घुमा-फिराकर कहना पसन्द नहीं करते हैं, अपितु सीधे स्वभाव से जो मन में आता है वही कह देते हैं. इस प्रकार इनकी शैली में सरसता, सुबोधता, मधुरता और ओजस्विता जैसे गुण विद्यमान है. छन्दों के प्रयोग में इन्होंने छायावादी कवियों की तरह स्वच्छन्दता से काम लिया है. अपनी रचनाओं में ये छन्द के बन्धन को स्वीकार नहीं करते हैं.

निष्कर्ष

प्रिय छात्रो आज हम लोगो ने ‘Makhanlal Chaturvedi Ka Jivan Parichay’ को काफी आसान भाषा में जाना है और मुझे उम्मीद है की आपको यह काफी अच्छा लगा होगा. आज आप लोगो ने न केवल इनके बारे में जीवनी पढ़ा बल्कि आप लोगो ने आज माखन लाल चतुर्वेदी जी के साहित्यिक परिचय को भी जाना है.

आज आप लोगो ने इनके कृतिया रचनाये एवं भाषा – शैली को भी जाना है. आप लोगो को माखन लाल चतुर्वेदी का जीवन परिचय pdf भी दिया गया है. आप सभी लोग इसे अपने सभी पढ़ रहे मित्रो के पास साझा जरुर करे.

FAQ ‘Makhanlal Chaturvedi Ka Jivan Parichay’ से सम्बंधित

प्रिय छात्रो अब हम लोग माखनलाल चतुर्वेदी जी से सम्बंधित कुछ सवाल जवाब जानेंगे. यदि आपके मन में भी कोई सवाल है तो आप लोग निचे कमेंट के माध्यम से हमसे पूछ सकते है. यह सवाल आप लोगो के द्वारा ही ज्यादातर पूछे जाने वाला सवाल है जिसका जवाबा मैंने दिया है.

Makhanlal Chaturvedi Ka Ek Anya Naam Kya Tha

माखनलाल चतुर्वेदी का एक अन्य नाम ‘पंडित जी’ भी था. माखनलाल चतुर्वेदी जी एक ब्राहम्ण जात से थे इसलिए लोग इनको पंडित जी कहते थे.

Makhanlal Chaturvedi Kis Kaal Ke Kavi The

माखनलाल चतुर्वेदी जी आधुनिक काल के कवि थे.

माखनलाल चतुर्वेदी किसकी रचना है?

माखन लाल चतुर्वेदी एक कवि का नाम है जिसने कर्मवीर, रामनवमी और साहित्य देवता जैसे रचनाये की थी.

माखन लाल चतुर्वेदी जी ने कौन सी तीन पत्रिकाओं का सम्पादन किया था?

माखन लाल चतुर्वेदी जी ने प्रभा, प्रताप और कर्मवीर जैसे तीन पत्रिकाओं का सम्पादन आजादी के लडाई के लिए किया था.

माखनलाल चतुर्वेदी कौन से युग के कवि हैं?

माखनलाल चतुर्वेदी जी छायावाद युग के कवि थे.

माखनलाल चतुर्वेदी की शिक्षा………हुई थी।

माखनलाल चतुर्वेदी की शिक्षा गाव के प्राथमिक विद्यालय से हुई थी।

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