[PDF] सूरदास का जीवन परिचय – Surdas Ka Jivan Parichay Class 10th

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क्या आप भी ‘Surdas Ka Jivan Parichay’ के बारे में जानना चाहते है? इस लेख में सूरदास का जीवन परिचय के बारे में ही बात होने वाली है, जोकि क्लास 10th में आते है. आपको गूगल पे बहुत सारे लेख मिल जायेंगे परन्तु मैंने देखा है किसी भी लेख में उतनी सटीक जानकारी नही है.

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इसलिए आज मैं खुद अपने गहन अध्धयन से सूरदास का जीवन परिचय लिख रहा हु. पहले हम एक संक्षिप्त जीवन परिचय देखेंगे एक टेबल के माध्यम से फिर हम उन्ही शब्दों का प्रयोग करते हुए एक विस्तृत जीवनी पढेंगे. चलिए अब हम लोग संक्षिप्त में surdas ji ka jivan parichay को पहले जान लेते है.

नाममहाकवि सूरदास
पिता जी का नामपण्डित रामदास
माता जी का नामजमुनादास
जन्म वर्षसन् 1478 ई०
जन्म स्थानआगरा के निकट ‘रुनकता’ नामक ग्राम में
जन्म कालभक्ति काल
पत्नी का नामरत्नावली
शिक्षाअपने गुरु बल्लभचार्या से ली थी
गुरु का नामश्री बल्लभचार्या
भाषाब्रज भाषा
भक्तिकृष्ण जी की भक्ति
प्रमुख रचनायेसुरसागर , साहित्य – लहरी, सूरसारावली आदि
साहित्य में स्थानवात्सल्य रस के सम्राट और कृष्ण भक्त कवियों में सर्वोच्च स्थान
मृत्यु वर्षसन् 1583 ई०
मृत्यु स्थानपारसौली नमक ग्राम में

विस्तार से जानिए ‘Surdas Ka Jivan Parichay Class 10th के बारे में

प्रिय छात्रो surdas ka jivan parichay class 10th और Class 11th के बाद Class 12th में भी पढने को मिलता है. आज हम जो सूरदास का जीवन परिचय जानेंगे वह आप हर तरह के परीक्षाओ में लिख सकते है.

सूरदास का जीवन परिचय: महाकवि सूरदास जी का जन्म सन् 1478 ई० में आगरा जिले के नजदीक ‘रुनकता’ नामक ग्राम में हुआ था. सूरदास जी के पिता जी का नाम पंडित रामदास था, ये सास्वत ब्राहमण थे. सूरदास जी के माता जी का नाम जमुनादास था. कहा जाता है की सूरदास जन्म से अंधे थे फिर भी ये अद्भुत रचनाये कर इतिहास बना डाला.

कुछ विद्वान् सूरदास जी का जन्म स्थान को सीही नामक ग्राम को मानते है. इनके जन्म स्थान को लेकर विद्वानों में मतभेद देखने को मिलता है. सूरदास जी जन्म से अंधे थे या नही थे इस्पे भी कई मतभेद है हालाँकि ज्यादातर विद्वानों का यही मानना है किस सूरदास जी जन्मान्ध थे.

कुछ विद्वानों का ऐसा कहना था की इन्होने ऐसा बाल मानोवृतियो और मानव स्वभाव का कुछ इस प्रकार का सुंदर वर्णन किया है जिसे कोई बिना आखो देखे नही कर सकता था. इसलिए ये हो सकता है की वे बाद में जाके अंधे हो गए होंगे.

सूरदास जी ने अपनी शिक्षा अपने गुरु श्री बल्लभचार्य से ली थी. सूरदास जी मथुरा में स्थित गरुघाट पर श्री नाथ जी के मंदिर में रहते थे. सूरदास जी ने विवाह भी की थी और इनके पत्नी का नाम रत्नावली था परन्तु इनके विवाह को लेकर भी मतभेद बने है क्योंकि इनके विवाह का कोई साक्ष्य नही मिला है. संसार की मोह – माया से मुक्ति होने के पहले सूरदास जी अपने परिवार के साथ ही रहते थे.

अपने गुरु श्री बल्लभचार्य के सम्पर्क में आने से ये कृष्ण भक्त बन गए और कृष्ण लीला का गान गाने लगे थे. विद्वानों का ऐसा कहना है की मथुरा में सूरदास जी की मुलाकात गोस्वामी तुलसीदास जी से हो गयी थी और धीरे – धीरे इन दोनों लोगो में प्रेम भाव बढ़ गया था. सूरदास जी से ही प्रभावित होने के बाद तुलसीदास जी ने श्रीकृष्ण गीतावली की रचना की थी.

सूरदास जी की मृत्यु सन् 1583 ई० में गोवर्धन के निकट स्थित पारसौली नमक ग्राम में हो गयी थी. सूरदास जी के मृत्यु के समय इनके गुरु बल्लभचार्य के बेटे विठ्लनाथ जी वही पे उपस्थित थे. अंतिम समय में सूरदास जी ने गुरु – वन्दना सम्बंधित निम्न पद को गाया था –

भरोसो दृढ़ इन चरनन केरो । श्रीबल्लभ नख-छन्द - छटा-बिनु सब जग माँझ अँधेरो ।

प्रिय छात्रो यही पे Surdas ji ka Jivan Parichay का समापन होता है. अब हम लोग सूरदास का जीवन परिचय pdf के बारे में पढेंगे. आपको जीवन परिचय का एक पीडीऍफ़ दूंगा जिसके मदद से आप और बेहतर तरीके से पढ़ सकते है.

सूरदास का जीवन परिचय PDF Class 10th

प्रिय छात्रो अब हम लोग सूरदास का जीवन परिचय Class 10 PDF के बारे में जानेंगे. आपको इस पीडीऍफ़ में Surdas ka Jivan Parichay in Hindi में और साहित्यिक परिचय के साथ – साथ रचनाये भी जानेंगे. यह पीडीऍफ़ आपको एग्जाम टाइम में काफी मदद करेगा.

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आप अपने एग्जाम टाइम में इस पीडीऍफ़ के मदद से सूरदास का जीवन परिचय को काफी सरलता से फ़ास्ट रिविजन कर पाएंगे. आप इस पीडीऍफ़ को अपने स्मार्ट फ़ोन में सेव करके रख लीजियेगा. अगर कभी आपके पास ये पीडीऍफ़ गुम हो जाती है तो आप वापस से हमारे इस ब्लॉग पर आकर इस पीडीऍफ़ को पढ़ सकते है.

बहुत सारे स्टूडेंट्स का ये कहना था की उन्हें सूरदास का जीवन परिचय Class 11 तथा Class 12 का एक पीडीऍफ़ व्यूव दिया जाए. आपको मैं बता दू की इसमें आपको Surdas ka Jivan Parichay जो मिलेंगे वह हर तरह के एग्जाम और क्लासेज के लिए है.

सूरदास का साहित्यिक परिचय

प्रिय छात्रो चलिए अब हम लोग Surdas ka Sahityik Parichay के बारे में भी एक नजर देख लेते है. हम अब इसमें जानेंगे की सूरदास का साहित्यिक परिचय क्या रहा है और इनका साहित्य में क्या योगदान रहा है. चलिए अब हम आगे साहित्यिक परिचय की तरफ बढ़ते है.

सूरदास साहित्यिक परिचय: सुरदास जी के काव्य की मुख्य विषय कृष्ण-भक्ति है. इन्होंने अपनी रचनाओं में बाधा – कृष्ण की लीला के विभिन्नों रूपों का चित्रण किया है. इनका काव्य “श्रीमद् भागवत” से अत्याधीक प्रभावित रहा है. अपनी रचनाओं मे सूरदास ने भावपक्ष को सर्वाधिक महत्त्व दिया है.

सुरदास जी जन्म से अंधे होने के बाद भी इन्होने बाल मानोवृतियो और मानव स्वभाव का अत्यंत सुन्दर वर्णन प्रस्तुत किया है. महाकवि सूरदास हिन्दी के भक्त कवियों मे श्रेष्ठ माने जाते है. इनकी काव्य रचनाये इतनी काव्यांगपूर्ण है कि आगे आने वाले कवियों की श्रृंगार एवं वात्सल्य पर आधारित रचनाएँ सूर की जूठन सी जान पड़ती है. इनका काव्य विनय भाव के ओत प्रोत है. उनके काव्य का प्रमुख लक्षण श्रीकृष्ण की सेवाओं का वर्णन करना है.

सूरदास जी का हिन्दी – साहित्य में स्थान:

महाकवि सूरदास जी हिन्दी – साहित्य के प्रतिभासम्पन्न कवि थे. सूरदास जी जहाँ वात्सल्य रस के सम्राट् हैं, वहाँ श्रृंगार रस को सौन्दर्य प्रदान करने में भी समर्थ हैं. सूरदास जी ने विरह का भी अपनी रचनाओं में बड़ा ही मनोरम चित्रण किया है. हिन्दी साहित्य के कृष्णभक्त कवियों में महाकवि सूरदास जी का सर्वोच्च स्थान है.

सूरदास की प्रमुख रचनाएं

प्रिय छात्रो चलिए अब हम लोग सूरदास की प्रमुख रचनाएं के बारे भी जान लेते है. हालाँकि surdas ki rachnaye बहुत सी है परन्तु सभी रचनाये इनकी आज तक मिली नही है. कुछ प्रमुख रचनाये ही सिर्फ मिली है और सिद्ध हो पाई है.

रचनाये अथवा कृतियाँ: सूरदास जी ने लगभग सवा लाख पदों की रचना की थी परन्तु ‘काशी नागरी प्रचारिणी सभा की खोज तथा पुस्तकालय में सुरक्षित नामावली के अनुसार महाकवि सूरदास जी के ग्रन्थों की संख्या 25 मानी जाती है, किन्तु इनके तीन ग्रन्थ ही उपलब्ध हुए हैं जोकि निम्नलिखित है –

  1. सूरसागर
  2. सूरसारावली
  3. साहित्य – लहरी

सूरदास जी की रचना ‘सूरसागर’ के बारे में

‘सूरसागर’ सूरदास की एकमात्र प्रामाणिक कृति है किन्तु इसके सवा लाख पदों में से केवल 8-10 हजार पद ही उपलब्ध हो पाए हैं. पूरा ‘सूरसागर’ एक गीतिकाव्य है. सूरसागर के पद तन्मयता के साथ गाए जाते हैं.

सूरदास जी की रचना ‘सूरसारावली’ के बारे में

यह ग्रन्थ अभी तक विवादयुक्त स्थिति में है, किन्तु कथावस्तु, भाव, भाषा-शैली और रचना की दृष्टि से निःसन्देह यह सूरदास की प्रामाणिक रचना माना जाता है. सूरसारावली में कुल 1,107 छन्द हैं.

सूरदास जी की रचना ‘साहित्य – लहरी‘ के बारे में

‘साहित्य लहरी’ में सूरदास जी के 118 दृष्टकूट पदों का संग्रह है. इसमें सूरदास जी ने मुख्य रूप से नायिकाओं एवं अलंकारों की विवेचना की गई है. कहीं-कहीं पर सूरदास जी ने श्रीकृष्ण की बाललीला का वर्णन तथा एक-दो स्थलों पर महाभारत की कथा के अंशों की झलक भी दिखाई है.

सूरदास जी का भाषा – शैली

प्रिय छात्रो चलिए अब हम लोग सूरदास की रचनाओ में प्रयोग होने वाली भाषा एवं शैली को जानते है. आप लोग अब ये जानेंगे की सूरदास जी ने अपनी रचनाओ में किन भाषा एवं शैली का प्रयोग किया था.

सूरदास जी की रचनाओ में प्रयोग भाषा

सर्वप्रथम महाकवि सूरदास जी ने ही ब्रज – भाषा को साहित्यिक सौन्दर्य एवं प्रौढ़ता प्रदान की. सूरदास जी ने ही काव्य की भाषा लोक प्रचलित ब्रजभाषा होते हुए भी साहित्यिक गुणों से परिपूर्ण है. इसके अतिरिक्त भाषाभिव्यंजकता, संगीतात्मकता एवं चित्रात्मकता तो सूरदासजी की भाषा की अपनी विशेषता है. इसमें लोक गीतों जैसी मोहक मधुरता एवं सहजता है. सूरदास जी की भाषा में जैसी कोमलकान्त पदावली, शब्द चयन की माधुरी, प्रवाह, संगीत एवं ध्वनि की सजीवता पाई जाती है वैसी अन्यत्र दुर्लभ है.

सूरदास जी की रचनाओ में प्रयोग शैली

सूरदासजी ने सरल एवं प्रभावपूर्ण शैली का प्रयोग किया है. सूरदास जी के काव्य में दो प्रकार की शैली दिखाई देती है— सरल शैली और कूट शैली सरल शैली की विशेषता यह है कि इसमें प्रवाह है और सरलता है. इसे जनसाधारण भी समझ सकता है. कूट शैली बड़ी कठिन है. इसे समझना सरल नहीं है. सूर का एक-एक पद सरसता, मधुरता, कोमलता और प्रेम के पवित्र भावों से पूर्ण है.

अंत में क्या सिखा

प्रिय छात्रो हमने आज Surdas Ka Jivan Parichay के बारे में विस्तार से जाना है. इसके साथ ही साथहम लोगो ने सूरदास का जीवन परिचय pdf का व्यूव भी देखा है जिसके मदद से हम कभी भी सूरदास जी का जीवन परिचय अथवा साहित्यिक परिचय को आसानी से पढ़ सकते है.

आज हम लोगो ने सूरदास की साहित्यिक परिचय को भी सरल शब्दों का प्रयोग करते हुए पढ़ा है. हम लोगो ने सूरदास के बारे में बहुत कुछ आज जाना है और इनके कुछ प्रमुख रचनाओ के बारे में भी अच्छे से जाना है. आज हम लोगो ने सूरदास की जीवनी के बारे में विस्तार से जाना और पढ़ा है. मुझे उम्मीद है की आप लोगो को ‘Surdas Ka Jivan Parichay’ काफी अच्छा लगा होगा इसे अपने सारे मित्रो के पास साझा जरुर करे.

Surdas Ka Jivan Parichay

FAQs

प्रिय छात्रो अब हम लोग Surdas Ka Jivan Parichay से सम्बंधित कुछ सवाल और उनके जवाब के बारे में जानेंगे. यह सवाल सूरदास जी के जीवन परिचय से सम्बधित है जो आप ही लोगो के द्वारा अक्सर गूगल पे पूछे जाते है.

सूरदास का जन्म कब और कहाँ हुआ था?

कवि सूरदास जी का जन्म सन् 1478 ई० में आगरा के निकट ‘रुनकता’ नामक ग्राम में हुआ था हालाँकि कुछ विद्वानों का कहना है की उनका जन्म ‘सिही’ नमक ग्राम में हुआ था.

सूरदास जी की मृत्यु कहाँ हुई थी?

सूरदास जी की मृत्यु सन् 1583 ई० में गोवर्धन के निकट स्थित पारसौली नामक ग्राम हुआ था जहा पर इनके गुरु के बेटे मौजूद थे.

सूरदास जी कैसे अंधे हुए थे?

सूरदास जी के अंधे होने पे भी मतभेद है. ऐसा कहना है की सूरदास जन्म से अंधे थे लेकिन इनके रचनाओ को देखकर ऐसा नही लगता की ये जन्म से अंधे थे. विद्वानों का ऐसा कहना भी है कीसूरदास आगे जाकर अंधे हो गए थे.

सूरदास जी का जन्म कब हुआ था?

सूरदास जी का जन्म सन् 1478 ई० में हुआ था. सूरदास जी एक महान कवि रहे है. सूरदास जी एक कृष्ण भक्त कवि थे और ये कृष्ण की गान गाते थे.

सूरदास जी का जीवन परिचय कैसे लिखें?

सुरदास जी का जीवन परिचय लिखते समय कुछ बातो का विशेष ध्यान रखे. आपको साफ़ – सुथरी लिखनी है. कॉपी में ज्यादा कट – पिट न करे. हमेशा हेडिंग देते हुए शब्दों को अंडरलाइन करते हुए लिखे.

सूरदास की भाषा शैली क्या है?

सूरदास की भाषा ब्रज – भाषा थी. इन्होने अपनी रचनाओ में ब्रज भाषा का प्रयोग किया है. सूरदासजी ने सरल एवं प्रभावपूर्ण शैली का प्रयोग करते हुए अपनी रचनाओ का गथन किया है.

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