संज्ञा किसे कहते हैं – परिभाषा, अर्थ, प्रकार, भेद एवं उदाहरण

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आज के इस आर्टिकल में संज्ञा किसे कहते हैं, संज्ञा की परिभाषा, संज्ञा के भेद एवं उदाहरण को बहुत ही बेहतरीन तरीके से समझना वाले हैं।

संज्ञा के बारे में यह आर्टिकल मैं बहुत सारे पुस्तकों का अध्ययन करने के पश्चात लिख रहा हूं। इसलिए Sangya Kise Kahate Hain लेख अंत तक पढ़िए मैं भरोसा दिलाता हूं कि यह जानकारी सबसे बेस्ट होने वाली है।

संज्ञा किसे कहते हैं?

आपके आस – पास मौजूद सभी वस्तुएं एवं सभी चीज जो आप देखते हैं, महसूस करते हैं, सुनते हैं वह सभी संज्ञा कहलाती है।

चाहे वह आपका स्मार्टफोन हो या आपके शहर का नाम या आपकी अपनी खुद का नाम हो इन सभी को संज्ञा कहते है।

संज्ञा का अर्थ

संज्ञा दो शब्दों से मिलकर बना है ‘सम् + ज्ञा’ जिसमे ‘सम्’ का मतलब होता है सम्यक (सभी चीजे) और ‘ज्ञा ‘का मतलब होता है ज्ञान।

इस प्रकार से कह सकते है की संज्ञा का अर्थ होता है सभी चीजो का ज्ञान मतलब की दुनिया में जो भी चीज है वह सब संज्ञा ही है।

संज्ञा की परिभाषा

किसी व्यक्ति, वस्तु, नाम, जाती, स्थान या भाव के नाम को संज्ञा कहते हैं। हर वह वस्तु जो दिखता है अथवा नहीं दिखता है वह सभी संज्ञा कहलाती है।

सबसे सरल और आसान भाषा में मैं आपको बताऊं तो वह सभी चीज संज्ञा है जो आप देख सकते हैं अथवा नहीं देखते हैं या फिर सोचते हैं या नहीं सोचते हैं।

संज्ञा के उदाहरण

वह सभी चीज जो आप अपने आस – पास देख रहे हैं या सोच रहे हैं वह सभी संज्ञा का उदाहरण है। जैसे टेबल, मेंज – कुर्सी, गाड़ी, आपके शहर का नाम, पंखा, टीवी, घर, आपकी खुद की नाम यह सभी संज्ञा का उदाहरण है।

आपके आस पास में पड़ी हुई सभी वस्तुएं, भौतिक रूप में उपस्थित संसाधन अथवा समान इत्यादि एक संज्ञा का ही उदहारण होती है।

संज्ञा के भेद अथवा प्रकार

मूल रूप से संज्ञा केवल दो प्रकार के ही होती है एक भाववाचक संज्ञा और दूसरा यथार्थ वाचक संज्ञा और इसके अंतर्गत व्यक्ति वाचक जातिवाचक पदार्थ वाचक समूह वाचक चारों संज्ञा आती है।

प्राचीन हिंदी के विद्वानों के अनुसार संज्ञा के भेद पांच बताए गए हैं जो की निम्न है –

  1. व्यक्तिवाचक संज्ञा
  2. जातिवाचक संज्ञा
  3. भाववाचक संज्ञा
  4. समूहवाचक संज्ञा
  5. पदार्थवाचक संज्ञा

आधुनिक हिंदी में संज्ञा के तीन भेद बताए गए हैं जिसमें व्यक्तिवाचक, जातिवाचक और भाववाचक संज्ञा है बाकी दो पदार्थवाचक और समूहवाचक संज्ञा को आधुनिक हिन्दी संज्ञा के जातिवाचक संज्ञा के अंतर्गत ही रखा गया है।

कुल मिलाकर देखा जाए तो संज्ञा के भेद पाँच ही है जिसको समय के साथ अलग-अलग विद्वानों ने इसको कुछ अन्य तरीके से भी बाँटा था।

व्यक्तिवाचक संज्ञा

जो किसी विशेष व्यक्ति या वस्तु अथवा स्थान का नाम बताएं और जिसे देखा जा सके वह व्यक्तिवाचक संज्ञा कहलाती है। व्यक्तिवाचक संज्ञा हमेशा एकवचन में होते हैं और वह दुनिया में विशेष और एकमात्र होते हैं।

व्यक्तिवाचक संज्ञा का उदाहरण एफिल टावर, श्री कृष्णा, सिंधु, गंगा, जनवरी, होली, बुधवार, भारत, रक्षाबंधन, पृथ्वी, चंद्रमा, हिमालय आदि है। यह सभी एक वचन में हमेशा रहते हैं और यह दृश्य होते हैं इन्हें देखा जा सकता है।

जातिवाचक संज्ञा

जो किसी जाति या उपजाति को बताता है और उसके जैसे दुनिया में और भी हो उन्हें जातिवाचक संज्ञा कहते हैं। जातिवाचक संज्ञा का बहुवचन भी बनता है और यह भी दृश्य होते हैं इन्हें देखा जा सकता है।

जातिवाचक संज्ञा का उदाहरण फूल, गुलाब, लाल गुलाब, गाय, काली गाय, देसी गाय, आम, मंत्री, प्रोफेसर, लड़के, स्त्री, कुर्सी, नगर, प्राकृतिक आपदा, भूकंप, ज्वालामुखी, नेता, शेर आदि है जिसके जैसे और भी बहुत सारे होते हैं।

भाववाचक संज्ञा

जो किसी भाव, गुण, दोष, अवस्था आदि को दर्शाती है वह सभी भाववाचक संज्ञा कहलाती है। भाववाचक संज्ञा अदृश्य होती है अर्थात इन संज्ञा को देखा नहीं जा सकता है और यह सदैव एक वचन में होती है।

भाववाचक संज्ञा का उदाहरण प्यार, क्रोध, प्यास, ईमानदारी, बेईमानी, चिकित्सा, ठगी, पढ़ाई, चढ़ाई, मोहब्बत, बुढ़ापा, मीठास, सजावट, बनाव,ट शीघ्रता, गिनती, लोकतंत्र, राजतन्त्र आदि है।

समूहवाचक संज्ञा

समूहवाचक संज्ञा वह होती है जिनकी गिनती की जा सकती है अर्थात एक समूह में होती है जिनको आसानी से गिना जा सकता है।

समूह वाचक संज्ञा का उदाहरण संगठन, गिरोह, आर्मी, पुलिस, कक्षा, संसद, सेना, दल, टोली आदि है। इनमें मौजूद सभी को गिना जा सकता है इसलिए यह समूह वाचक संज्ञा का उदाहरण है।

पदार्थवाचक संज्ञा

पदार्थवाचक संज्ञा वह होती है जिनकी गिनती न की जा सके अर्थात इनको गिना नहीं जा सकता है इनकी संख्या है अनगिनत हो सकती है।

पदार्थवाचक संज्ञा को द्रव्यवाचक संज्ञा भी कहते हैं। यह संज्ञा दृश्य होती हैं अर्थात इनके उदाहरण को हम अपनी आंखों से देख सकते हैं।

पदार्थवाचक संज्ञा का उदाहरण तेल, घी, दूध, पानी, डालडा, सोना, चांदी इत्यादि है जिनको गिना नहीं जा सकता और इनको आप अपने नग्न आंखों से देख सकते हैं।

FAQs

हम लोगों ने संज्ञा किसे कहते हैं और उसके भेद को बहुत ही बेहतरीन तरीके से समझा और पढ़ा है। आईये संज्ञा से अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्नों का उत्तर जानते हैं।

संज्ञा किसे कहते हैं कितने प्रकार के होते है?

वह सभी चीज है जिन्हें आप देख सकते हैं अथवा नहीं देख सकते हैं या फिर महसूस कर सकते हैं, संज्ञा कहलाती है।
संज्ञा कुल पांच प्रकार के होती है जो व्यक्तिवाचक, भाववाचक, पदार्थ वाचक, समूह वाचक एवं जातिवाचक संज्ञा है।

आधुनिक हिन्दी के अनुसार संज्ञा के कितने भेद है?

आधुनिक हिंदी के मतानुसार संज्ञा के भेद कुल तीन है जो व्यक्तिवाचक, जातिवाचक और भाववाचक संज्ञा है। जातिवाचक संज्ञा में पदार्थवाचक और समूहवाचक संज्ञा को मिला करके एक में कर दिया गया है।

प्राचीन हिन्दी के अनुसार संज्ञा के कितने भेद होते है?

प्राचीन हिंदी के अनुसार संज्ञा के कुल पांच भेद है। प्राचीन हिन्दी कहती है संज्ञा के भेद व्यक्तिवाचक, भाववाचक, पदार्थवाचक, समूहवाचक, जातिवाचक यह कुल पांच होती है।

दूध में कौन सी संज्ञा है?

दूध में पदार्थवाचक संज्ञा है क्योंकि दूध एक द्रव है जिसको गिना नहीं जा सकता है।

दशहरी आम में कौन सी संज्ञा है?

दशहरी आम में जातिवाचक संज्ञा होती है क्योंकि दशहरी आम जैसे अनेकों आम हो सकते हैं। चाहे वह किसी प्रकार का आम हो वह सब जातिवाचक संज्ञा होगी।

संज्ञा से समबन्धित YouTube विडियो

निष्कर्ष

अब आप लोग खुद अनुभव कर सकते हैं कि आपको संज्ञा किसे कहते हैं उदाहरण सहित, संज्ञा के कितने भेद होते हैं, संज्ञा की परिभाषा क्या है एवं संज्ञा का उदाहरण क्या है इन सारे चीजों के बारे में बहुत ही बेहतरीन तरीके से समझ आ गई है।

यदि आप व्याकरण को बेहतरीन तरीके से समझना चाहते हैं तो संज्ञा का ज्ञान होना अति आवश्यक था। इसलिए मैंने आज की इस लेख में संज्ञा के बारे में काफी विस्तार से समझा दिया है और अब आपको संज्ञा से संबंधित कोई शिकायत नहीं है।।

प्रिय स्टूडेंट्स, मेरा नाम आशीर्वाद चौरसिया है और मैंने हिन्दी विषय से स्नातक भी किया है। आपको इस ब्लॉग पर हिन्दी से जुड़े सभी तरह के जानकारिय मिलेगी। इसके अतिरिक्त आपको सभी क्लासेज की नोट्स एवं विडियो लेक्चर हमारे NCERT eNotes YouTube चैनल पर मिल जाएगी।

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