सुमित्रानंदन पंत का जीवन परिचय हिंदी में | Sumitranandan Pant Ka Jeevan Parichay Class 10

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आज के इस लेख में हम सुमित्रानंदन पन्त का जीवन परिचय के बारे में जानेंगे. सुमित्रानंदन जी का वास्तविक नाम गुसाई दत्त था जोकि अल्मोड़ा जिला के निवासी थी.

इस लेख में एक-एक कर के सभी टॉपिक को प्श्ने वाले है. जो आपके बोर्ड व अन्य एग्जाम के लिए यह प्रश्न सबसे ज्यादा अति महत्वपूर्ण है. तो चलिए अब इस लेख को पूरा अंत तक पढ़ते है.

नामसुमित्रानंदन पंत
मूल नामगुसाईं दत्त
पिता का नामपंडित गंगा दत्त
माता जी का नामश्रीमती सरस्वती देवी
जन्मसन् 1900 ई
जन्म स्थानकौसानी, अल्मोड़ा (उप्र)
प्रारम्भिक शिक्षागाँव की पाठशाला में
प्रमुख रचनाएँवीणा, पल्लव, सुभगवावी लोकायतन आदि
पुरस्कारभारतीय ज्ञानपीठ पुरस्कार
भाषा-शैवीखड़ी बोली, अवयात्मक शैली
निधनसन 1977 ई० में
  • सुमित्रानंदन पंत का जीवन परिचय
  • प्रमुख रचनाएँ
  • साहित्यिक परिचय
  • भाषा-शैली
  • जीवन परिचय एग्जाम में कैसे लिखे
  • अंत में क्या पढ़ा

सुमित्रानंदन पंत का जीवन परिचय

कविवर सुमित्रानन्दन पन्तजी का जन्म अल्मोड़ा जनपद में लगभग 25 मील उत्तर की ओर कौसानी नामक ग्राम सन् में 1900 ई० में प० गंगादत्त पन्त के परिवार में हुआ था.

इनकी माता श्रीमती सरस्वती देवी पुत्र को जन्म देकर कुछ घण्टे बाद ही इस संसार से विदा हो गई और इनका मूल नाम गुसाईं दत्त था.

पन्तजी की प्रारम्भिक शिक्षा गाँव की पाठशाला में ही सम्पन्न हुई. लगभग 12 वर्ष की अवस्था में इनको राजकीय हाईस्कूल अल्मोड़ा में प्रवेश दिलाया गया.

यहां से इन्होंने नवीं कक्षा उत्तीर्ण की व इसके पश्चात् काशी आ गए और यहाँ पर हाईस्कूल और इण्टरमीडिएट परीक्षा उत्तीर्ण की थी.

इस बीच ये स्वतन्त्र रूप से संस्कृत-हिन्दी, बाँग्ला और अंग्रेजी भाषाओं का अध्ययन करते रहे. इन्होंने सन् 1921 ई० में असहयोग आन्दोलन आरम्भ होने पर कॉलेज छोड़ दिया.

पन्तजी की आयु जब सात वर्ष की थी, तभी इन्होंने एक कविता लिखी थी. इन्हें पं० शिवाधर पाण्डेय ने बहुत प्रेरणा -प्रदान की व पन्तजी सन् 1931 ई० में कालाकांकर चले गए और वहाँ इन्होंने मार्क्सवाद का अध्ययन किया.

अरविन्द दर्शन से प्रभावित होकर इन्होंने ‘स्वर्णकिरण’ ‘स्वर्ण धूलि’ ‘उत्तरा’ आदि काव्य संकलनों की रचना की. सन् 1950 ई० में पन्तजी आकाशवाणी से जुड़ गए थे.

सुमित्रानन्दन पन्तजी प्रयाग में रहकर इन्होने स्वच्छन्द रूप से साहित्यिक परिचय व रचना में संलग्न रही थी. सन् 1977 ई० में पन्तजी का निधन ही गया.

प्रमुख रचनाएँ

प्रिय स्टूडेंट इस लेख में अब सुमित्रानन्दन की इन्होने अपने जीवन में क्या-क्या लिखा है और इनकी कृतियाँ क्या है इस लेख में पढने वाले है. जो निचे निम्नलिखित है.

इनकी रचनाएँ विस्तार से:- पन्तजी ने अपनी बहुमुखी प्रतिभा से कविता के साथ-साथ उपन्यास, कहानी, नाटक, आलोचना आदि विधाओं पर भी अपनी लेखनी चलाई. इनकी प्रमुख काव्य कृतियाँ इस प्रकार हैं.

‘वीणा’ ‘पल्लव”गुंजन”प्रन्थि’ ‘युगान्त’ ‘युगवाणी’ ‘स्वर्णकिरण’ ‘स्वर्ण धूलि’ ‘उत्तरा’ ‘अतिमा’ आदि. लोकायतन — पन्तजी का महाकाव्य है.

इन ‘रचनाओं के अतिरिक्त ‘वाणी’ ‘कला और बूढ़ा चाँद’ ‘चिदम्बरा’ ‘रश्मिबन्ध’ ‘रजतशिखर’ ‘शिल्पी’ आदि शीर्षक से भी काव्य कृतियाँ उपलब्ध होती है.

Trick- वीर लोक कलयुग में स्वर्ण की तरह गुंजते है.

  • वी- वीणा
  • र- रश्मिबन्ध
  • लोक- लोकायतन
  • कल- कला और बूढ़ा चाँद
  • युग- युगान्त, युगपथ, युगवाणी
  • पल- पल्लव, पल्लवि
  • स्वर्ण- स्वर्णकरण, स्वर्णधुल
  • गुंज- गुंजन

Trick- युगवीर की उपचिता स्वर्ग लोक में है

  • युग- युग पथ
  • युग- युगवाणी
  • युग- युगान्तर
  • वी – वीणा
  • र – रजत रश्मि
  • र रश्मि बन्ध
  • कि किरण- वीणा
  • उ – उत्तरा
  • प – पल्लव
  • प – पल्लविनी
  • प परिवर्तन
  • चि – चितम्बरा
  • ता – तारापथ
  • स्व- स्वर्ण धूलि
  • स्व- स्वर्ण किरण
  • स्व- स्वच्छन्द
  • ग – ग्रन्थि
  • ग – गंगा
  • ग- गुंजन
  • लो- लोकायतन
  • क – कला और बूढ़ा चाँद

सुमित्रानंदन पंत का साहित्यिक परिचय

साहित्यिक परिचय:- पन्त जी बहुमुखी प्रतिभा के धनी थे. कविवर सुमित्रानन्दन पन्तजी ने कविता के अतिरिक्त यानि के इनके कई नाटक, उपन्यास और कहानियों की भी अनेको रचनाएँ इन्होने की थी.

इन्होंने उपनिषद्, दर्शन, आध्यात्मिक साहित्य और रवीन्द्रनाथ टैगौर के साहित्य का गम्भीर अध्ययन किया.

इससे इनकी साहित्यिक प्रतिभा को बड़ा बल प्राप्त हुआ. प्रसिद्ध साहित्यिक पत्रिका ‘सरस्वती’ में इनकी कविताओं के प्रकाशन के बाद काव्य-मर्मज्ञों के हृदय में इनकी धाक जम गई.

पन्तजी ने अपनी छायावादी, प्रगतिवादी और दार्शनिक कविताओं से हिन्दी साहित्य को धनी बनाया.

इन्हें ‘कला और बूढ़ा चाँद’ पर साहित्य अकादमी, ‘लोकायतन’ पर सोवियत लैण्ड पुरस्कार और ‘चिदम्बरा’ पर भारतीय ज्ञानपीठ पुरस्कार प्राप्त हुआ.

पन्तजी की साहित्य सेवाओं से प्रभावित होकर भारत सरकार ने उन्हें ‘पद्मभूषण’ की उपाधि से विभूषित किया गया था.

हिन्दी साहित्य में स्थान

पन्तजी हिन्दी काव्य में नवीन विचार और नई काव्यधारा को लेकर आए. वे सबसे बड़े मानवतावादी कलाकार युग चिन्तक, स्वप्नदृष्टा और आधुनिक काव्य को नवीन गतिविधि प्रदान करनेवाले कवि रहे.

इन्होंने प्रकृति सौन्दर्य और मानव जीवन को कौतूहल, उल्लास और रहस्य की दृष्टि से देखा. भाव और कला दोनों दृष्टि से पन्तजी का काव्य वैभवपूर्ण है. आधुनिक हिन्दी काव्य में पन्तजी का स्थान सर्वोपरि है.

सुमित्रानंदन पंत की भाषा शैली

सुमित्रानंदन पंत की भाषा

भाषा-पन्तजी खड़ीबोली के सबसे अधिक लोकप्रिय कवि हैं. इन्होंने अपनी रचनाओं में संस्कृत, ब्रजभाषा, फारसी भाषा के शब्दों का भी प्रयोग किया है. इनकी शब्दावली सरस, सरल, संक्षिप्त, लघु, सामाजिक पदावली से युक्त होती है.

इसमें व्याकरण की कठोरता भी कोमल हो गई है. पन्तजी की काव्यभाषा में माधुर्य, चित्रोपमता और कोमलता अधिक है. मुहावरे और कहावतों का पन्तजी के काव्य में अभाव है.

सुमित्रानंदन पंत की शैली

पन्तजी की शैली चित्रमयता और संगीतात्मकता के गुणों से सुशोधित है. दूसरे शब्दों में कह सकते हैं कि इनकी कविता राग, नाद और संगीत की त्रिपुटी से सुशोधित हैं.

इनकी शैली के साधारण रूप से दो स्वरूप दिखाई देते हैं. जहाँ कहीं वह जागृति की बात कहते हैं.

वहाँ इनकी शैली सरल और स्पष्ट हो जाती है तथा जहाँ वे दार्शनिक भूमि पर उतरकर मानव जीवन का विश्लेषण परीक्षण करने लगते हैं, वहाँ इनकी शैली दुरूह और दुर्बोध हो जाती है.

पन्तजी ने अपने काव्य में मात्रिक छन्दों का प्रयोग किया है. इन्होंने निरालाजी की भाँति मुक्त छन्द पर विशेष बल दिया है. सुमित्रानन्दन पन्त ने अपने काव्य में गीति और प्रबन्धात्मक शैली का प्रयोग किया है.

रूपमाला, सखी, रोला, पीयूषवर्षण, पद्धटिका आदि छन्दों का प्रयोग पन्तजी के काव्य में देखने को मिलता है.

इन्हें भी पढ़े:- डॉ राजेंद्र प्रसाद का जीवन परिचय


FAQ (Sumitranandan Pant Ka Jeevan Parichay से जुड़े कुछ सवाल और उसके जवाब )

इस लेख में आपके द्वारा पूछे गए सुमित्रानंदन से जुड़ी कुछ महत्वपूर्ण सवालों का उत्तर देखने वाले है. इस लेख में आपके द्वारा जो-जो पूछा गया है उसका उत्तर देखने वाले है. अगर आपको और कुछ सुमित्रानंदन पंत से सम्बन्धित सवाल पूछना है तो आप हमे निचे कॉमेंट में बता सकते है.

सुमित्रानंदन पंत का मूल नाम क्या था?

सुमित्रानंदन पंत जी का मूल नाम गोंसाई दत्त है. जो एक महान कवि भी है. इन्होने अपने जीवन में कई यानि की अनेको कविताएँ लिखी है.

सुमित्रानंदन पंत की प्रमुख रचनाएं क्या है?

सुमित्रानंदन पंत की प्रमुख रचनाएं यह रही जैसे-
अनुदित रचनाएँ:- 1.वीरांगना 2.मेघनाद- वध 3.वृष्ठ-संहार इत्यादि है.
मौलिक रचनाए:- 1.साकेत 2.भारत-भारती 3.यशोधरा इनकी यह रही मौलिक रचनाए

अंत में क्या पढ़ा

इनका Sumitranandan Pant Ka Jeevan Parichay पढ़ चुके है जो इनका जन्म 20 मई, 1900 में हुआ था जो यह एक कवि के रूप में जाने जाते है. इन्होने कई अनेको रचनाएँ व निबन्ध लिखे है.

इन्होने एक स्कूल में हाईस्कूल व इण्टरमीडिएट परीक्षा उत्तीर्ण की थी. पन्त जी का देहान्त सन 1977 ई० वह दुनिया को छोड़ कर चले गए.

प्रिय स्टूडेंट्स, मेरा नाम आशीर्वाद चौरसिया है और मैंने हिन्दी विषय से स्नातक भी किया है। आपको इस ब्लॉग पर हिन्दी से जुड़े सभी तरह के जानकारिय मिलेगी। इसके अतिरिक्त आपको सभी क्लासेज की नोट्स एवं विडियो लेक्चर हमारे NCERT eNotes YouTube चैनल पर मिल जाएगी।

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