मैथिलीशरण गुप्त का जीवन परिचय हिंदी में – Maithili Sharan Gupt Ka Jeevan Parichay Class 12th

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प्रिय स्टूडेंट इस लेख में आपको Maithili Sharan Gupt Ka Jeevan Parichay और इनकी साहित्यिक परिचय क्या है. इस लेख में सारे टॉपिक को एक-एक कर के पढने वाले है. जो आपके सभी बोर्ड व अन्य एग्जाम के लिए यह प्रश्न अति महत्वपूर्ण है. तो चलिए इस जीवन परिचय को सबसे सॉर्ट व आसान भाषा में अंत तक पढ़ते है.

नाममैथिलीशरण गुप्त
जन्म1886 ई.
जन्म स्थानचिरगाँव, झाँसी, उ० प्र०
मृत्यु1964 ई.
मृत्यु स्थानचिरगाँव झाँसी
पिता का नामसेठ रामचरण गुप्त
माता का नामकाशीबाई
गुरुमहावीर प्रसाद द्विवेदी
कृतियाँभारत भारती, साकेत, यशोधरा, पंचवटी, द्वापर, जयद्रथ वध आदि
  • मैथिलीशरण गुप्त का जीवन परिचय
  • इनकी साहित्यिक परिचय
  • इनकी रचनाएँ
  • भाषा-शैली
  • अंत में क्या पढ़ा

मैथिलीशरण गुप्त का जीवन परिचय बताइए – Maithili Sharan Gupt Ka Jeevan Parichay Short Mein

इस लेख में इनकी Maithili Sharan Gupt Ka Jeevan Parichay Short Mein पढने वाले है. और इस लेख में मैथिलीशरण गुप्त किस युग के कवि हैं व मैथिलीशरण गुप्त का जन्म कहाँ हुआ था. तो चलिए अब इस लेख को सबसे सॉर्ट में पढ़ते है. जो आपके कक्षा 10th व 12th के लिए इम्पोर्टेंट है.

मैथिलीशरण गुप्त का जीवन परिचय

मैथिलीशरण गुप्त जी का जन्म 3 अगस्त 1886 को चिरगाँव, उत्तर प्रदेश में हुआ था. मैथिलीशरण गुप्त दिवेदी सर्वाधिक लोकप्रिय सबसे महान प्रसिद्ध कवि एवं साहित्यकारो में से एक थे. मैथिलीशरण युग गुप्त के पहले बृज भाषा में काविता लिखते थे.

परंतु दिवेदी युग के प्रवर्तक महावीर प्रसाद द्विवेदी के आज्ञा अनुसार उन्होंने खड़ी बोली हिंदी में लिखना प्रारंभ किया और तब से उनकी रचनाएं उस समय के सबसे प्रमुख पत्रिका “सरस्वती पत्रिका” में छपने लगी, जिसके संपादक महावीर प्रसाद द्विवेदी स्वयं थे. इनके मैथिलीशरण गुप्त जी के पिता का नाम सेठ रामचरण वह हिन्दी के सबसे अच्छे कवि थे और पिता से कविता का अच्छा ज्ञान हुआ.

माता का नाम श्रीमती काशीबाई था. मैथिलीशरण गुप्त की शिक्षा की बात करें तो इन्होंने हाई स्कूल तक की पढ़ाई की पश्चात घर में ही संस्कृत, हिंदी, बांग्ला का अध्ययन किया. मैथिलीशरण गुप्त को दद्दा, राष्ट्रकवि तथा आधुनिक काल के तुलसी आदि नाम से भी जाना जाता है.

सन् 1935 को मैथिलीशरण गुप्त को उनकी रचना साकेत के लिए “हिंदुस्तान अकादमी पुरस्कार” से सम्मानित किया गया. वहीं मंगला प्रसाद पुरस्कार, पद्म भूषण पुरस्कार आदि जैसे पुरस्कारों से भी उनको नवाजा गया था.

इनकी जयन्ती प्रत्येक वर्ष यानि की हर साल को 3 अगस्त कवि दिवस के रूप में धूमधाम से यह दिवस मनाई जाती है. मैथिलीशरण गुप्त जी को दो बार राज्य सभा सदस्य के रूम में भी मनोनीत हुए है. भारत सरकार द्वारा इन्हें पद्मभूषण पुरस्कार से सम्मानित किया था. ऐसे महान कवि एवं साहित्यकार की मृत्यु 12 दिसंबर 1964 को लगभग 78 वर्ष की आयु में हो जाती है. (यह है Maithili Sharan Gupt Ka Jeevan Parichay Short Mein)

मैथिलीशरण गुप्त का प्रमुख रचनाएँ

अब इस लेख में अब आगे Maithili Sharan Gupt Ka Jeevan Parichay से जुड़ी कुछ महत्वपूर्ण प्रश्न जो की काव्यगत विशेषताएं व कृतिया के बारे में विस्तार पूर्वक पढने वाले है जो उदाहरण सहित निम्नलिखित है. इनकी प्रमुख रचनाएं कुछ इस प्रकार के है. यह रचनाएँ आने वाले सभी एग्जाम के लिए महत्वपूर्ण है.

मैथिलीशरण गुप्त का प्रमुख कृतिया:- साकेत, यशोधरा, जयद्रथ वध, भारत भारती, पंचवटी, द्वापर, विश्व वेदना, किसान, जय भारत आदि. इनकी प्रमुख नाटक “रंग में भंग” “राजा प्रजा” इत्यादि हैं. (यह है Maithili Sharan Gupt Ka Jeevan Parichay से जुड़ीं महत्वपूर्ण रचनाएँ)

ट्रिक से – जय सा (परम) विद्वान अतिभागुरु हि है.

ज – जय भारत
ज – जयद्रथ बध
य – यशोधरा
सा- साकेत
पं – पंचवटी
रं – रंग में भंग
मं – मंगल घट
वि – विष्णु प्रिया
द्वा – द्वापर

मैथिलीशरण गुप्त का साहित्यिक परिचय क्या है- Maithili Sharan Gupt Ka Jeevan Parichay Aur Sahityik Parichay

इस लेख में इनकी Maithili Sharan Gupt Ka Jeevan Parichay व इनकी साहित्य में स्थान व साहित्यिक परिचय को पढने वाले है. जो आपके कक्षा 12th एग्जाम के लिए अति महत्वपूर्ण है. तो चलिए इस लेख को पूरा अंत तक पढ़ते है.

मैथिलीशरण गुप्त का साहित्यिक परिचय

साहित्यक परिचय:- मैथिलीशरण गुप्त जी का जन्म 3 अगस्त 1886 को हुआ इन्होने राष्ट्रीय विशेषताओ से परिपूर्ण रचना करते थे इनकी रचनाओं में राष्ट्रभक्ति एवं राष्ट्रप्रेम स्पष्ट रूप से दिखाई देता है इसलिए इनके सभी कवियों ने इन्हें राष्ट्रकवि की उपाधि दिया है.

साकेत महाकाव्य के लिए इन्हें हिन्दी साहित्य सम्मेलन द्वारा मंगलाप्रसाद परितोषित से सम्मानित किया गया और भारत सरकार ने गुप्त जी को द्मभूषण की उपाधि से सम्मानित किया. गुप्त जी ने खड़ीबोली के विकास मे भी अपना महत्वपूर्ण योगदान दिया है. ये द्विवेदी युग के सबसे लोकप्रिय व प्रसिद्ध कवि माने जाते हैं.

मैथिलीशरण गुप्त का साहित्यक में स्थान

इन्होने युगीन चेतना और उसके विकसित होते हुए भी मैथिलीशरण जी स्वरूप के प्रति विशेष रूप से सजग तथा सचेष्ट थे. इसकी स्पष्ट झलक उनके काव्य में मिलती है.

राष्ट्र की आत्मा को जीवन देने के कारण वे राष्ट्र कवि कहलाये और आधुनिक हिन्दी काव्य-धारा के साथ विकास पथ पर चलते हुए युग-प्रतिनिधि कवि के रूप में स्वीकार किये गये. निश्चय ही मैथिलीशरण जी आधुनिक युग के सबसे प्रसिद्ध व महान श्रेष्ठ कवियों में विशिष्ट स्थान रखा गया है. (यह रही Maithili Sharan Gupt Ka Jeevan Parichay Aur Sahityik Parichay)

भाषा-शैली

प्रिय स्टूडेंट अब इस लेख में इनके Maithili Sharan Gupt Ka Jeevan Parichay को पढ़ चुके है और अब इस लेख में इनकी भाषा-शैली क्या है. इस लेख में यह टॉपिक को पढने वाले है. तो चलिए अब इस लेख को पूरा अंत त्याक पढ़ते है.

भाषा-शैली

भाषा:- खड़ीबोली भाषा यानि की शब्द को साहित्यिक रूप देने में गुप्त जी का महत्त्वपूर्ण योगदान है. मैथिलीशरण गुप्त जी की भाषा सरल सुसंगठित, प्रसाद तथा ओज गुण से युक्त है. इन्होने अपने काव्य में संस्कृत, अंग्रेजी, उर्दू तथा प्रचलित विदेशी शब्दों का भी प्रयोग किया है.

शैली:- मैथिलीशरण जी ने विविध शैलियों में काव्य व निबन्ध की रचना की है. साकेत, जयद्रथ वध, सिध्दराज में प्रबन्धात्मक शैली प्रयुक्त की गई है. हिन्दू व गुरुकुल अलंकृत उदाहरण यह है की उपदेशात्मक जो शैली है उनका उदाहरण है. पंचवटी, भारत-भारती में विवरणात्मक शैली है. यशोधरा, कुणालगीत, साकेत आदि काव्यों में नीति शैली का प्रयोग किया गया है.

इन्हें भी पढ़े:- हजारी प्रसाद द्विवेदी

FAQ (Maithili Sharan Gupt Ka Jeevan Parichay Aur Sahityik Parichay से जुड़े कुछ सवाल और उसके जवाब)

अब इस लेख में Maithili Sharan Gupt Ka Jeevan Parichay Aur Sahityik Parichay से जुड़ी कुछ महत्वपूर्ण आपके द्वारा ही प्रश्नों का उत्तर को पढने वाले है. जो आपके सभी तरह के एग्जाम के लिए इम्पोर्टेंट है. तो चलिए अब इस लेख में एक-एक कर के सभी प्रश्नों का उत्तर देखने वाले है.

मैथिलीशरण गुप्त का जीवन परिचय कैसे लिखें?

आपसे पहले आपको जीवन परिचय को हेडिंग डाले कला पेन से उसके बाद मैथिलीशरण गुप्त जी का जन्म कब हुआ था. गुप्त जी का जन्म स्थान और इनके माता-पिता जी का नाम को लिख दे उसके बाद मैथिलीशरण गुप्त जी का शिक्षा कहाँ तक पढ़ाई की थी. इतना चीज पहले लिखना होगा और लास्ट में इनका देहान्त कब हुआ.

मैथिलीशरण गुप्त की प्रमुख रचनाएं कौन कौन सी हैं?

मैथिलीशरण गुप्त जी की प्रमुख रचनाएँ दो थी. पहला है अनुदित रचनाएँ और दूसरा है मौलिक रचनाएँ है. पहला है- वीरांगना इत्यादि है. इनकी दूसरी भारत भारती

मैथिलीशरण गुप्त कैसे कवि थे?

मैथिलीशरण गुप्त जी एक महान प्रसिद्ध कवियों में से एक थे. गुप्त की एक कविता व निबन्धकार है.

अंत में क्या पढ़ा

इस लेख में पढ़ चुके है की कैसे मैथिलीशरण गुप्त जी अपने घर पर ही पढ़ाई पूरी की थी. सबसे पढ़ा योगदान इनके पिता जी का रहा है जो सबसे बड़ा कवि थे और कविता लिखते थे. मैथिलीशरण गुप्त जी शुरु से ही सबसे तेज थे. इस लेख में Maithili Sharan Gupt Ka Jeevan Parichay Aur Sahityik Parichay को पूरा विस्तार से पढ़ चुके है. जो आपके आने वाले सभ एग्जाम के लिए महत्वपूर्ण है.

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