बिहारीलाल का जीवन परिचय हिंदी में – Bihari Lal Ka Jeevan Parichay Class 10th

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प्रिय स्टूडेंट इस लेख में आपको Bihari Lal Ka Jeevan Parichay और साहित्यिक परिचय इनकी प्रमुख रचनाएँ क्या है. इस लेख में पूरा विस्तार से एक-एक कर के पढने वाले है. इससे सम्बन्धित कई प्रश्नों का उत्तर भी देखने वाले है जो आपके आने वाले बोर्ड व अन्य एग्जाम के लिए अति महत्वपूर्ण है. तो चलिए इस लेख को पूरा अंत तक पढ़ते है.

नामबिहारीलाल
पिता का नामपं० केशवराय चौबे
जन्मसन् 1603 ई०
जन्म-स्थानबसुआ (गोविन्दपुर गाँव) निकट ग्वालियर (म०प्र०)
शिक्षाग्वालियर में (काव्यशास्त्र की शिक्षा)
भाषा-शैलीभाषा-प्रौढ़, परिमार्जित ब्रजभाषा
शैलीमुक्तक
प्रमुख रचनाएँबिहारी सतसई’ (श्रृंगार, भक्ति, नीतिपरक दोहे)
निधनसन् 1663 ई०
साहित्य में स्थानएकमात्र रचना ‘सतसई’ के कारण हिन्दी-साहित्य में उच्च स्थान प्राप्त है
  • बिहारीलाल का जीवन परिचय
  • इनकी प्रमुख रचनाएँ क्या है
  • साहित्यिक परिचय
  • भाषा-शैली
  • अंत में क्या-क्या पढ़ा

बिहारीलाल का जन्म कब हुआ था जीवन परिचय – Bihari Lal Ka Jeevan Parichay Short mein

प्रिय स्टूडेंट अब इस लेख में आपको सबसे सॉर्ट में Bihari Lal Ka Jeevan Parichay को पढने वाले है. जो आपके आने वाले कक्षा 10th एग्जाम के लिए अति महत्वपूर्ण है. तो चलिए इस लेख को पूरा अंत तक पढ़ते है.

बिहारीलाल का जीवन परिचय

महान कवि बिहारी का जन्म सन् 1603 ई० के लगभग बसुआ गोविन्दपुर गाँव में ग्वालियर के समीप चतुर्वेदी ब्राह्मण परिवार में हुआ था. इनके पिता का नाम केशवराय था. बिहारी बचपन से ही कुशाग्र बुद्धि थे. ऐसा कहा जाता है कि बिहारी के गुरु बाबा नरहरि सिंह ने अपने प्रतिभा-सम्पन्न शिष्य का परिचय तत्कालीन सम्राट् जहाँगीर से कराया.

इस तरह बिहारी जी को जहाँगीर के दरबार में आश्रय प्राप्त हो गया है. यह भी कहा जाता है कि शाहजहाँ ने भी बिहारी को बड़ा सम्मान दिया. इनका ससुराल मथुरा उत्तर-प्रदेश में है और वह युवावस्था में महान कवि बिहारी जी अपने ससुराल में रहने लगे थे. बाद में बिहारी जयपुर के महाराजा जयसिंह के यहाँ पहुँचे और वहाँ कवि ने महाराज को नवविवाहिता रानी के प्रेम में विभोर पाया.

महाराज की विलास प्रियता के कारण राज्य का समस्त कार्य चौपट हो गया था और बिहारी को यह बुरा लगा. उन्होंने निम्नलिखित दोहा लिखकर रनवास में मालिन द्वारा प्रेमोन्मत्त महाराज जय सिंह के पास भेजा था. राजा के प्रेम के नशे और विलासिता के मद को उतारने में इस दोहे ने जादू का काम किया. महाराज जयसिंह बिहारी की विलक्षण प्रतिभा को देखकर बहुत प्रसन्न हुए.

उन्होंने बिहारी को सुन्दर दोहों की रचना करने का आदेश दिया और प्रत्येक दोहे पर एक स्वर्ण-मुद्रा देने का वचन दिया. बिहारी ने जब अपनी कृति ‘सतसई’ की रचना पूरी की, उसके कुछ दिन बाद ही इनकी पत्नी का देहान्त हो गया. इस दुःख समय घटना ने इस श्रृंगारी कवि को वैराग्य की ओर उन्मुख कर दिया. (Bihari Lal Ka Jeevan Parichay) जीवन के अन्तिम काल में बिहारी वृन्दावन आ गए और यहीं पर इस अमर कवि ने अपने नश्वर शरीर को सन् 1663 ई० में त्याग दिया.

(यह रही Bihari Lal Ka Jeevan Parichay जो आपके आने वाले एग्जाम के लिए इम्पोर्टेंट है.)

बिहारी की प्रसिद्ध रचना क्या है

प्रिय स्टूडेंट अब इस लेख में पढने वाले है Bihari Lal Ka Jeevan Parichay से जुड़ी इनकी प्रमुख रचनाएँ क्या-क्या है.

कृतियाँ:- बिहारी की बहुत-सी कृतियाँ नहीं है. उन्होंने लगभग 750 दोहों की रचना की है और ये दोहे ‘बिहारी सतसई’ में संगृहीत हैं. बिहारी इसी एकमात्र रचना से हिन्दी साहित्य जगत् में लोकप्रिय हो गए थे. हिन्दी-साहित्य में ‘बिहारी सतसई’ को अपूर्व सम्मान और लोकप्रियता प्राप्त है.

बिहारीलाल का साहित्यिक परिचय

प्रिय स्टूडेंट इस लेख में Bihari Lal Ka Jeevan Parichay Aur Sahitya Parichay को पूरा विस्तार से पढने वाले है. जो यह भी आपके एग्जाम के लिए अति महत्वपूर्ण रहेगा. तो चलिए साहित्यिक परिचय को पूरा अंत तक पढ़ते है.

साहित्यिक परिचय:- बिहारी विस्मयकारी सृजन प्रतिभा से सम्पन्न कवि थे. इन्होंने किसी महाकाव्य की रचना नहीं की, परन्तु इनकी एकमात्र रचना ‘सतसई’ ने इन्हें अमर बना दिया. ऐसा कोई कवि नहीं मिलेगा, जिसकी कविता कहीं रसहीन न हो गई हो, परन्तु बिहारी के सभी दोहे रस से परिपूर्ण है.

महान कवि इन्होने ने अपने दोहों में यानि की जो इनका दोहे थे उनमे उन्होंने ‘गागर में सागर’ भर दिया थे. बिहारी ने किसी लक्षण ग्रन्थ की चना नहीं की, फिर भी काव्य रचना करते समय इनका ध्यान काव्यांगों पर रहा. श्रृंगार, ज्योतिष, गणित, आयुर्वेद, भक्ति, जोति तथा ऋतु वर्णन भी इनके काव्य के विषय रहे, परन्तु प्रधानता प्रेस और श्रृंगार की है. महान कवि रीतिकाल बिहारी लाल जी श्रेष्ठ कवियों में गिने जाते हैं.(यह रहे Bihari Lal Ka Jeevan Parichay Aur Sahitya Parichay हिन्दी में जो आपके परीक्षा के लिए है)

हिन्दी-साहित्य में स्थान

हिन्दी-साहित्य में स्थान:- बिहारी ने भाषा के प्रयोग में जो विलक्षण सावधानी बरती, उसके कारण इनकी भाषा में माधुर्य एवं लालित्य आ गया. इन्होंने केवल ‘सतसई’ की रचना की. एक कृति की रचना करनेवालों में बिहारी सर्वश्रेष्ठ हैं. जब तक हिन्दी का अस्तित्व रहेगा, तब तक बिहारी का यश अजर-अमर रहेगा.

बिहारी लाल जी की भाषा-शैली

प्रिय विधार्थियों अब इस लेख में आपको Bihari Lal Ka Jeevan Parichay से जुड़ी कुछ महत्वपूर्ण प्रश्नों का उत्तर पढने वाले है. इस लेख में इनकी भाषा-शैली के बारे में पढने वाले है. जो आपके सभी तरह के परीक्षाओ के लिए इम्पोर्टेंट है.

भाषा-शैली

भाषा:- बिहारी की भाषा प्रौढ़ और परिमार्जित है. इनके द्वारा काव्य रचना में प्रयुक्त की गई ब्रजभाषा में पूर्वी-बुन्देलखण्डी, खड़ीबोली, फारसी और अरबी भाषा के शब्द भी प्रयुक्त हुए हैं. इन शब्दों के प्रयोग से स्वाभाविकता कहीं भी नष्ट नहीं हुई है.

बिहारी की भाषा में रीतिकाल के अन्य कवियों के समान तोड़-मरोड़ बहुत कम है. इनकी भाषा में समास-शक्ति ही इनकी सफलता का प्रमुख कारण है. मुहावरे और लाक्षणिक प्रयोगों से भाषा में सजीवता आ गई है. (यह रही Bihari Lal Ka Jeevan Parichay की भाषा)

शैली:- बिहारी ने अपने काव्य में मुक्तक शैली का प्रयोग किया. इन्होंने अपनी काव्य-रचना के लिए अड़तालीस मात्राओं के छोटे से छन्द ‘दोहा’ को अपनाया. बिहारी के दोहों में अपने चरमोत्कर्ष पर पहुँच गए थे मुक्तक शैली में जो गुण होने चाहिए. बिहारी ने अपने विषय के अनुसार ही शैली को अपनाया.

इनकी शैली इनके समस्त भावों का सजीव और स्पष्ट प्रतिनिधित्व करने में पूर्ण सफल है. इसी कारण इनकी ‘सतसई’ का एक-एक दोहा रत्न के समान है, जिसे कवि ने एक जौहरी की भाँति चुन-चुनकर अपने काव्य में रखा है. बिहारी की शैली का अनुसरण अनेक परवर्ती कवियों ने किया, परन्तु किसी को इनके समान सफलता प्राप्त न हो सकी.

इनके हिन्दी के किसी अन्य कवि में देखने को समान समाहार शक्ति नहीं मिलती है. सारांश यह है कि शैली की दृष्टि से बिहारीलाल का काव्य पूर्ण सफल है. इनके काव्य में शैली के निम्नांकित रूप देखने को मिलते हैं. (यह भी Bihari Lal Ka Jeevan Parichay से सम्बन्धित है)

इन्हें भी पढ़े:- तुलसीदास का जीवन परिचय

FAQ (Bihari Lal Ka Jeevan Parichay से जुड़े कुछ सवाल और उसके जवाब)

प्रिय विधार्थियों इस लेख में Bihari Lal Ka Jeevan Parichay से सम्बन्धित महत्वपूर्ण प्रश्न का उत्तर पढने वाले है. यह प्रश्न आपके द्वारा ही पूछा गया प्रश्न है जो इस लेख में इस प्रश्न का जवाब देखने वाले है. तो चलिए इस प्रश्न को एक-एक कर के पूरा अंत तक पढ़ते है.

कबीर बिहारी जी का जीवन परिचय?

बिहारी जी का जन्म 1603 ई० को गोविन्दपुर ग्वालियर मध्य-प्रदेश में है इनका जन्म हुआ था. यह बहुत प्रसिद्ध कवि भी है. इन्होने कई ज्यादा अनेको दोहे लिखे है. यह रही Bihari Lal Ka Jeevan Parichay

बिहारीलाल की ससुराल कहाँ थी?

महान कवि बिहारी लाल जी का ससुराल मथुरा में स्थित है. इनका विवाह उत्तर-प्रदेश में हुआ था जो मथुरा में है. इन्होने युवावस्था ससुराल में आ गए थे.

बिहारी जी की मृत्यु कब हुई थी?

महान कवि बिहारी जी ने अपने अन्तिम काल में बिहारी वृन्दावन आ गए और बिहारी जी का देहान्त सन् 1663 ई० में हो गया.

अंत में क्या-क्या पढ़ा

इस लेख में बिहारी जी के बारे में पढ़ा है. इस लेख में इनकी जीवनी व रचनाएँ क्या-क्या थी सारे टॉपिक को पढ़ चुके है. इस लेख में बिहारी जी की साहित्यिक परिचय और भाषा-शैली क्या है. इस लेख में पूरा विस्तार से पढ़ चुके है. जो बिहारी जी थे उनका जन्म-स्थान गोविन्दपुर एक बसुआ गाव में हुआ था.

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