[PDF] केदारनाथ सिंह का जीवन परिचय | Kedarnath Singh Ka Jivan Parichay Class 12th

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प्रिय छात्रो आज हम जानेंगे Kedarnath Singh Ka Jivan Parichay के बारे में. इसके साथ हम साहित्यिक परिचय, प्रमुख रचनाएं, भाषा शैली आदि को बहुत ही अच्छे से जानेंगे.

यदि आप इस लेख को पूरा अंत तक पढ़ते हैं तो मैं दावे के साथ कह सकता हूं कि आपको केदारनाथ सिंह का जीवन परिचय कभी जिंदगी में नहीं भूलने वाला है.

क्योंकि मैं आपको kedarnath singh jeevan parichay in hindi बहुत ही सरल शब्दों में आसान तरीके से बताने वाला हूं. कक्षा 12 में केदारनाथ सिंह जीवन परिचय काफी बार पूछा जा चुका है.

यदि आप बोर्ड एग्जाम की तैयारी कर रहे हैं तो आप इनके जीवन परिचय को अच्छे से तैयार कीजिए.

केदारनाथ सिंह एक हाल ही के कवि रह चुके है जिनका निधन 2018 में ही हुआ है. केदारनाथ सिंह हिन्दी साहित्य के एक जाने माने प्रतिनिधि कवि, नाटकार थे.

केदरनाथ सिंह ने साहित्य के क्षेत्र में अनेको योगदान दिए और मन को भावित करने वाले रचनाये भी की जिसके वजह से इनको अनेको पुरस्कार से भी नवाजा गया है.

Table of Contents

संक्षिप्त में जानिए Kedarnath Singh Ka Jivan Parichay Class 12th

प्रिय छात्रो पहले हम लोग एक टेबल के माध्यम से Kedarnath Singh Ka Jivan Parichay Class 12th के लिए जान लेते है. यह जीवन परिचय कक्षा 12th में पढ़ रहे विद्यार्थियों के लिए जरुरी तो है ही साथ में उन लोगो के लिए भी जरुरी है जो किसी न किसी प्रकार से हिन्दी की पढाई से जुड़े हुए है.

पूरा नामकेदारनाथ सिंह
अन्य नामकेदारनाथ
जन्म वर्ष07 जुलाई सन् 1932 ईस्वी
जन्म स्थानउत्तर – प्रदेश के बलिया जिले के अंतर्गत चकिया गाव में
पिता जी का नामश्री डोमन सिंह जी
माता जी का नामलालझरी देवी जी
पत्नी का नामअरुणा सिंह
पुत्र/पुत्रीपाँच पुत्र एवं एक पुत्री
नागरिकताभारतवासी
कालआधुनिक काल
भाषाहिन्दी, भोजपुरी
शैलीअत्यंत सुन्दर एवं चित्रात्मक
पेशाहिन्दी कवि
शिक्षाएम० ए० एवं पीएचडी तक
प्रमुख रचनाये‘जमीन पक रही है’, ‘यहाँ से देखो’, ‘अकाल में सारस’, ‘कल्पना और छायावाद’ आदि
पुरस्कारसाहित्य अकादमी एवं ज्ञानपीठ पुरस्कार से सम्मानित
मृत्यु वर्ष19 मार्च सन् 2018 में
मृत्यु स्थाननई दिल्ली भारत में

प्रिय छात्रो आप लोग Kedarnath Singh Ka Jivan Parichay को टेबल के माध्यम से समझ चुके है. अगर आप लोग उपरोक्त टेबल को भी यद् कर लेते हैतो इनका सम्पूर्ण जीवन समझ लीजिये की आपको याद हो गया. अब आगे हम लोग विस्तार से जानेंगे केदारनाथ सिंह की पूरी जीवनी को विस्तार से.

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विस्तार से ‘केदारनाथ सिंह का जीवन परिचय’ को समझिये

केदारनाथ सिंह का जन्म 7 जुलाई सन् 1934 ईस्वी को उत्तर प्रदेश के बलिया जिले के अंतर्गत चकिया गाँव में हुआ था.

उन्होंने अपनी प्रारंभिक शिक्षा गाँव के स्कूल में प्राप्त की और उच्च शिक्षा के लिए बनारस से एम.ए. की पढाई की थी. इसके अलवा सन् 1964 में काशी हिन्दू विश्वविद्यालय से आधुनिक हिन्दी कविता में पी.एच.डी. की डिग्री प्राप्त की थी.

केदारनाथ सिंह का निधन 19 मार्च सन् 2018 को ही नई दिल्ली में तबियत ख़राब होने के वजह से हो गया था.

केदारनाथ सिंह कौन है

केदारनाथ सिंह (Kedarnath Singh) एक प्रमुख हिंदी कवि और साहित्यकार थे. वे भारतीय साहित्य के महत्वपूर्ण और प्रमुख कवि माने जाते हैं और उनका योगदान हिंदी साहित्य के क्षेत्र में महत्वपूर्ण है.

केदारनाथ सिंह ने अपनी कविताओं में सामाजिक और मानविक मुद्दों को छूने का प्रयास किया. केदारनाथ सिंह को अज्ञेय द्वारा सम्पादित तीसरा सप्तक के कवि के रूप में भी जाना जाता है तथा  और उन्हें कई प्रमुख पुरस्कारों से नवाजा गया है.

केदारनाथ सिंह का जन्म वर्ष एवं स्थान

केदारनाथ सिंह का जन्म 7 जुलाई वर्ष 1934 ईस्वी को उत्तर प्रदेश राज्य के बलिया जिले के चकिया गाँव में हुआ था. केदारनाथ सिंह एक प्रमुख हिंदी कवि और साहित्यकार थे जिन्होंने अपने योगदान के लिए कई पुरस्कार भी जीते थे जैसे कि साहित्य अकादमी पुरस्कार और ज्ञानपीठ पुरस्कार.

केदारनाथ सिंह का माता – पिता

केदारनाथ सिंह के पिता जी का का नाम डोमन सिंह जी था और माता जी का नाम लालझरी देवी जी था. उनके पिता जी एक सामान्य किसान थे और वे उत्तर प्रदेश राज्य के बलिया जिले के ग्राम चकिया में अपने परिवार के साथ रहते थे.

केदारनाथ सिंह जी का परिवार एक गौतम क्षत्रिय (राजपूत) परंपरागत था. उनके माता-पिता ने उनकी शिक्षा को प्राथमिक स्तर पर गाँव के स्कूल में पूरी की और उनके पढ़ाई की प्रेरणा दी जिससे वे बड़े होकर हिंदी साहित्य में अपना महत्वपूर्ण स्थान बना सके.

केदारनाथ सिंह का शिक्षा

केदारनाथ सिंह ने अपनी शिक्षा को गाँव के स्कूल से प्रारंभ किया और फिर बनारस जाकर उच्च शिक्षा प्राप्त की थी. उन्होंने बनारस विश्वविद्यालय से मास्टर्स डिग्री (एम० ए०) हिंदी में हासिल की थी, जोकि उनकी अध्ययन और कविता रचना के क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण कदम था.

इसके बाद उन्होंने सन् 1964 में काशी हिन्दू विश्वविद्यालय से ‘आधुनिक हिन्दी कविता में बिम्ब विधान’ विषय पर पी.एच.डी. प्राप्त कर ली थी, जोकि उनके कविता रचना में और भी गहराई और समृद्धि लाने में मदद करी.

केदारनाथ सिंह ने अपनी शिक्षा के पश्चात् उच्च शिक्षा के क्षेत्र में और भी महत्वपूर्ण योगदान किया और हिंदी साहित्य के क्षेत्र में अपने ज्ञान को साझा किया.

केदारनाथ सिंह का वैवाहिक जीवन

केदारनाथ सिंह की शादी बचपन में हुई थी, जब उनकी उम्र मात्र 15 वर्ष थी. केदारनाथ सिंह का पत्नी का नाम ‘अरुणा सिंह’ था. वे एक हाईस्कूल के छात्र थे और उनके प्रामाणिक परिवारिक मौजूदगी के कारण इस निर्णय के खिलाफ नहीं जा सके.

वे खुद इसका समर्थन नहीं करते थे लेकिन परिवार की परम्परागत सोच के कारण इसे अपनाने में मजबूर रहे.

केदारनाथ सिंह ने बताया कि शादी के बाद वे सही अर्थ में दाम्पत्य जीवन का आनंद लिया और शादी के साथ ही प्रेम उनके जीवन में आया.

वे अपनी पत्नी अरुणा सिंह के साथ अपने जीवन के सभी अच्छे-बुरे पलों को साझा किया. केदारनाथ जी की पाँच पुत्र एवं एक पुत्री है.

केदारनाथ सिंह की रूचि

केदारनाथ सिंह जी पढ़ाई के साथ-साथ हिंदी साहित्य के काव्य में भी बहुत गहरी रुचि रखते थे. केदारनाथ ने अपने कविता में गंभीरता और सौंदर्य का मिलान किया और अपनी रचनाओं में भारतीय संस्कृति, जीवन के मामूली और गहरे पहलुओं को प्रकट किया.

उनकी कविताएँ सामाजिक और मानविक मुद्दों को छूने का प्रयास करती हैं और उन्होंने अपने शब्दों के माध्यम से आधुनिक भारतीय समाज की भावनाओं को व्यक्त किया.

केदारनाथ सिंह जी की कविताएँ भाषा के सौंदर्य को महत्वपूर्ण धारा के रूप में प्रस्तुत करती हैं. उन्होंने हिंदी साहित्य को उसकी सुंदरता और व्यक्तिगत अभिव्यक्ति के माध्यम से आगे बढ़ाने का महत्वपूर्ण योगदान दिया.

केदारनाथ सिंह जी की कविताओं में भाषा का जादू होता है, जो पाठकों को उनकी रचनाओं में खो जाने का अवसर प्रदान करता है.

उनका साहित्य कविता के माध्यम से सामाजिक सुधार और मानवाधिकारों की रक्षा के माध्यम से बदलाव की प्रेरणा प्रदान करता है.

केदारनाथ सिंह का मृत्यु वर्ष एवं स्थान

केदारनाथ सिंह जी का मृत्यु 19 मार्च सन् 2018 में ईलाज के दौरान हुआ था. उनका देहावसान 19 मार्च 2018 को नई दिल्ली, भारत में हुआ.

उनकी मृत्यु के बाद भारतीय साहित्य जगत ने उनके योगदान को समर्पित किया और उनके साहित्यिक और काव्य कला को सदैव याद किया है.

केदारनाथ सिंह जी का निधन एक महत्वपूर्ण साहित्यिक कवि के निधन के रूप में भारतीय साहित्य के क्षेत्र में एक गहरा शोक से संबंधित था, और उनकी रचनाएँ हमें उनकी अमूल्य योगदान का स्मरण दिलाती हैं.

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Free Kedarnath Singh Jivan Parichay PDF

प्रिय छात्रो अब हम लोग Kedarnath Singh Jivan Parichay PDF फाइल को डाउनलोड करना सीखेंगे. मैं आपको केदारनाथ जी की जीवन परिचय , साहित्यिक परिचय, रचनाये एवं काव्यगत विशेषताए pdf बिलकुल फ्री में देने वाला हु.

इसके अलवा आपको मैं जल्द ही केदारनाथ सिंह books pdf भी दे दूंगा इसके लिए आप लोग मुझे निचे कमेंट करके बताये.

Kedarnath Singh Jivan Parichay PDF
File Nameकेदारनाथ का जीवन परिचय
File Size437 KB
No of Pages08
LanguageHindi
QualityHigh

आपको जो पीडीऍफ़ निचे दिख रही है उस पीडीऍफ़ के अंदर सभी तरह के कंटेंट मौजूद है जो आपको इनकी जीवनी के बारे में चाहिए.

इस फाइल में आपको केदारनाथ सिंह की काव्य विशेषता pdf में मिलेंगी जिसे आप लोग और अच्छे से पढ़ सकते है.

इस पीडीऍफ़ को सेव करने के लिए आपको उपर जो पीडीऍफ़ का व्यू देखने को मिल रहा है उसके राईट साइड कोने में एक तीर का आप्शन होगा आपको उस पर क्लिक करना है.

उसके बाद आप google drive के मैं फाइल पे चले जायेंगे और वहा से थ्री डॉट पे क्लिक करके डाउनलोड का विकल्प चुन करके अपने पीडीऍफ़ फाइल को सेव कर सकते है.

इसके आलवा आपको निचे डाउनलोड का बटन दिख रहा होगा आपलोग उस पे डायरेक्ट क्लिक करके वह तक पहुच सकते है.

मैंने आगे निचे के लेख में भी पीडीऍफ़ का लिंक दिया है आप लोग वह से भी इसे सेव कर सकते है. आपको एक ही पीडीऍफ़ के अंदर सभी तरह के हैडिंग में Kedarnath Singh Jivan Parichay की जानकारी मिल जाएगी.

केदारनाथ सिंह का साहित्यिक परिचय

केदारनाथ सिंह भारतीय साहित्य के प्रमुख हिंदी कवि में से एक थे, जिनका जन्म 7 जनवरी 1934 में हुआ था. उनका साहित्य करियर काव्य, निबंध, और समीक्षा के क्षेत्र में श्रेष्ठि प्राप्त करता है.

उन्होंने कविता में ग्रामीण और नगरीय जीवन का सुंदर प्रतिष्ठापन किया और उनकी कविता ‘बाघ’ एक प्रमुख कविता है, जिसे अपनी सामाजिक चेतना के लिए प्रसिद्ध किया गया है.

केदारनाथ सिंह को मध्य प्रदेश सरकार द्वारा जाशुआ सम्मान, साहित्य अकादमी पुरस्कार, मैथिलीशरण गुप्त सम्मान, और व्यास सम्मान जैसे अनेक पुरस्कार से नवाजा गया.

उनकी कविताओं में भाषा का महत्वपूर्ण स्थान होता है, और उन्होंने भोजपुरी के शब्दों का सही तरीके से उपयोग किया है. उनका साहित्य हिंदी साहित्य के महत्वपूर्ण हिस्से का हिस्सा है और उन्हें एक महान कवि के रूप में स्मरण किया जाता है.

केदारनाथ सिंह की प्रमुख रचनाएं

केदारनाथ सिंह की प्रमुख रचनाएँ उनका पहला कविता संग्रह “अभी बिल्कुल अभी” ने उन्हें साहित्यिक जगत में प्रकटि प्राप्त करने में मदद की. इसके बाद उन्होंने कई और कविता संग्रह लिखे, जैसे “जमीन पक रही है”, “अकाल में सारस”, “बाघ”, “यहाँ से देखो”, और “उत्तर कबीर और अन्य कविताएँ”.

इन रचनाओं में ग्रामीण और नगरीय जीवन की तथा मानव-प्राकृतिक संबंधों की विविधता को सुंदरता से चित्रित किया गया है.

उनकी कविताएँ सामाजिक और मानवाधिकार सम्बंधित विषयों पर भी चर्चा करती हैं, जिससे उनका साहित्य और भी महत्वपूर्ण होता है.

केदारनाथ सिंह की कविता – संग्रह

  • “अभी बिल्कुल अभी” (1960) – केदारनाथ सिंह की प्रमुख कविता संग्रह, जिसमें उन्होंने ग्रामीण और नगरीय जीवन को सुंदरता से चित्रित किया.
  • “जमीन पक रही है” (1980) – इस कविता संग्रह में केदारनाथ सिंह ने जगह-जगह पकने जा रहे प्राकृतिक संसाधनों की महत्वपूर्ण चित्रण किया.
  • “यहाँ से देखो” (1983) – इस संग्रह में कवि ने अपनी दृष्टि को अपने परिवेश के प्रति व्यक्त किया और उसके अद्वितीय रूप को दर्शाया.
  • “बाघ” (1996) – यह पुस्तक के रूप में प्रकाशित कविता संग्रह है और इसमें उन्होंने जीवन और प्राकृतिकता के संबंधों को गहराई से छूने का प्रयास किया.
  • “अकाल में सारस” (1988) – इस संग्रह में केदारनाथ सिंह ने अकाल के समय के सामाजिक और राजनीतिक मुद्दों को अपनी कविताओं के माध्यम से उजागर किया.
  • “उत्तर कबीर और अन्य कविताएँ” (1995) – इस संग्रह में कवि ने कबीर जी की भावनाओं और अन्य विचारों को अपनी कविताओं के माध्यम से प्रकट किया.
  • “तालस्ताय और साइकिल” (2005) – इस संग्रह में केदारनाथ सिंह ने उपन्यास, ग़ज़ल, और निबंध की रचनाओं का संग्रह किया है.
  • “सृष्टि पर पहरा” (2014) – इस संग्रह में कवि ने सृष्टि, प्राकृतिक विश्व, और मानवीय जीवन के बारे में अपने विचार और भावनाओं को व्यक्त किया.

केदारनाथ सिंह की संपादन

  • “ताना-बाना” – आधुनिक भारतीय कविता से चुनी गई कविताओं का संग्रह.
  • “समकालीन रूसी कविताएँ” – रूसी कविताओं का हिंदी में अनुवाद करने का प्रयास.
  • कविता दशक – “कविता दशक” एक संग्रह है जो केदारनाथ सिंह की कविताओं को उनके सृजनात्मक सफर के दशकों में संकलित करता है.
  • साखी (अनियतकालिक पत्रिका) – “साखी” एक अनियतकालिक पत्रिका है, जिसमें केदारनाथ सिंह ने अपनी साहित्यिक योगदान को प्रकाशित किया और साहित्यिक समुदाय के साथ जुड़े रहते थे.
  • शब्द (अनियतकालिक पत्रिका) – “शब्द” भी एक अनियतकालिक पत्रिका है, जिसमें केदारनाथ सिंह ने अपने साहित्यिक योगदान को साझा किया और समय-समय पर अपने पाठकों के साथ साहित्यिक मुद्दों पर चर्चा की.

केदारनाथ सिंह की आलोचना

  • “कल्पना और छायावाद” – इस लेख में केदारनाथ सिंह ने कल्पना और छायावाद के साहित्यिक परिप्रेक्ष्य में अपने विचार और समीक्षा किए.
  • “आधुनिक हिंदी कविता में बिंबविधान” – केदारनाथ सिंह ने आधुनिक हिंदी कविता में बिंबविधान की महत्वपूर्ण भूमिका और महत्व के बारे में लिखा.
  • “मेरे समय के शब्द” – इस लेख में कवि ने अपने समय की भाषा और साहित्य के परिप्रेक्ष्य में अपनी विचारधारा को साझा किया.
  • “मेरे साक्षात्कार” – केदारनाथ सिंह ने अपने जीवन और साहित्य से जुड़े कुछ महत्वपूर्ण साक्षात्कारों का वर्णन किया.

केदारनाथ सिंह की काव्य विशेषता PDF

प्रिय छात्रो हम लोग अब ‘केदारनाथ सिंह की काव्य विशेषता PDF’ को डाउनलोड करने वाले है इसके साथ ही हम लोग काव्य विशेषता को पढने वाले भी है.

यदि आप भी इन्टरनेट पे खोजते – खोजते थक गए है तो अब आप एक दम सही जगह आये है क्योंकि यहाँ पर आपको केदारनाथ सिंह की काव्यगत विशेषताएँ pdf जरुर मिएगी और साथ ही पढने को भी मिलेगी.

केदारनाथ सिंह की काव्य विशेषता उनके साहित्य के एक महत्वपूर्ण पहलु है जो निम्न है –

  • भाषा और व्यक्तिगतता: केदारनाथ सिंह की कविताओं की भाषा अत्यंत सारल और व्यक्तिगत होती है. उन्होंने ग्रामीण और नगरीय भाषा का सही संयोजन किया, जिससे उनकी कविताओं में आसान संवाद और सहजता रहती है.
  • ग्रामीण जीवन का पोर्ट्रेट: केदारनाथ सिंह की कविताओं में ग्रामीण जीवन का विवरण किया गया है. उनकी कविताओं में गांव के व्यक्तियों की आवाज़ और उनकी समस्याओं का सुंदर पोर्ट्रेट मिलता है.
  • छवियों की जादू: केदारनाथ सिंह की कविताओं में छवियों का जादू होता है. वे अपनी कविताओं में विविध छवियों को सुंदरता से चित्रित करते हैं, जिससे पठकों के दिलों में गहरा प्रभाव छोड़ते हैं.
  • सामाजिक चेतना: केदारनाथ सिंह की कविताओं में सामाजिक सुधार की एक गहरी चेतना व्यक्त होती है. उन्होंने समाज की अच्छाई और बुराई, समस्याओं और समाधानों को उनकी कविताओं के माध्यम से बड़े सुवाद और सहजता से प्रस्तुत किया है.
  • कल्पना का उपयोग: उनकी कविताओं में कल्पना की शक्ति अत्यंत महत्वपूर्ण है. वे अद्वितीय तरीके से रूप, गंध, रंग, और ध्वनि का उपयोग करते हैं जो पाठकों की भावनाओं को स्पर्श करते हैं.

केदारनाथ सिंह की कविताओं में इन विशेषताओं की मौजूदगी उन्हें एक अद्वितीय साहित्यकार बनाती है और उनका साहित्य हिन्दी साहित्य के अत्यंत महत्वपूर्ण हिस्से में शामिल होता है.

केदारनाथ सिंह की भाषा शैली

प्रिय छात्रो चलिए अब हम लोग Kedarnath Singh Ki Bhasha Shaili के बारे में जान लेते है. केदारनाथ सिंह की भाषा शैली उनके काव्य के विशेषता में एक महत्वपूर्ण प्रमुख आंश है.

उनकी भाषा शैली अत्यंत सुन्दर और सामाजिक तथा सांस्कृतिक विविधताओं को प्रकट करने का माध्यम है. यहाँ कुछ महत्वपूर्ण प्रमुख विशेषताएँ हैं:

ग्रामीण भाषा का प्रयोग: केदारनाथ सिंह अक्सर ग्रामीण भाषा के शब्दों का प्रयोग करते हैं, जिससे उनकी कविताओं में स्थानीय और लोकाचार्य रस्मों की व्यापकता बढ़ती है.

चित्रणकारी भाषा: उनकी भाषा शैली कविता के प्रत्येक दृश्य को जीवंत करने में मदद करती है. उनकी ख़ासियत है कि वे शब्दों का चुनाव करते हैं, जो अपने विचारों को सटीकता से व्यक्त करते हैं.

सामाजिक संवाद: उनकी कविताएं अक्सर सामाजिक संवाद के माध्यम से लिखी जाती हैं, जिसमें वे लोगों के जीवन की विभिन्न पहलुओं को प्रकट करने का प्रयास करते हैं.

भाषा का उपयोग: उनका भाषा शैली अत्यंत सौजन्यपूर्ण और सुंदर होता है, जिससे उनकी कविताएं पाठकों के दिलों में छू जाती हैं.

केदारनाथ सिंह की भाषा शैली ने उनके साहित्य को एक नए दिमेंशन में उचाईयों तक पहुंचाया है और उन्हें एक महत्वपूर्ण हिन्दी कवि के रूप में मान्यता दिलाई है.

केदारनाथ सिंह का भाव पक्ष एवं कला पक्ष

केदारनाथ सिंह का भाव पक्ष और कला पक्ष साहित्य में महत्वपूर्ण है. उनकी कविताएं भावनाओं, भावनात्मक अनुभवों, और समाजिक संवाद को व्यक्त करने के लिए एक प्रमुख माध्यम हैं.

भावनाओं की गहराई: केदारनाथ सिंह की कविताओं में भावनाओं की गहराई और ऊर्जा होती है. उन्होंने अपनी कविताओं में प्यार, उत्साह, उदासी, आक्रोश, और विचारशीलता के विभिन्न रूपों को सुंदरता के साथ प्रस्तुत किया है.

समाजिक संवाद: उनकी कविताएं समाज के मुद्दों और समस्याओं के प्रति संवेदनशीलता को प्रकट करती हैं. वे अक्सर अधिकार, न्याय, और सामाजिक न्याय के मुद्दों पर चर्चा करते हैं.

कला पक्ष: उनकी कविताओं में कला के प्रति विशेष प्रेम है. वे रंग, संगीत, और छवियों के माध्यम से अपने भावनाओं को व्यक्त करने का प्रयास करते हैं, जिससे उनकी कविताएं रंगीन और जीवंत होती हैं.

प्राकृतिक और सांस्कृतिक तत्व: उनकी कविताओं में प्राकृतिक तत्वों का भी महत्वपूर्ण स्थान होता है, और वे अक्सर ग्रामीण जीवन और सांस्कृतिक मूल्यों के प्रति सहज और संवेदनशील दृष्टिकोण रखते हैं.

केदारनाथ सिंह के भाव पक्ष और कला पक्ष का मिलन उनकी कविताओं को एक अद्वितीय और गहरा दिमाग देता है, जो साहित्य की दुनिया में महत्वपूर्ण है.

केदारनाथ सिंह का पुरस्कार

केदारनाथ सिंह को उनके साहित्यिक योगदान के लिए कई महत्वपूर्ण पुरस्कार और सम्मानों से सम्मानित किया गया है.

1989 में उनकी कृति ‘अकाल में सारस’ के लिए साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया था, जिससे उनके विशेष योगदान को मान्यता मिली.

उन्हें भारतीय ज्ञानपीठ पुरस्कार से भी नवाजा गया जो वर्ष 2013 में उन्हें प्राप्त हुआ. इस पुरस्कार से सम्मानित होने के बाद वे हिन्दी साहित्य के महत्वपूर्ण साहित्यकारों में से एक बन गए और भारतीय साहित्य के उत्कृष्ट योगदान को समझाने और प्रशंसा करने में मदद मिली.

उन्हें अन्य भी विशेष पुरस्कार और सम्मानों से नवाजा गया, जैसे कि व्यास सम्मान, मध्य प्रदेश का मैथिलीशरण गुप्त सम्मान, उत्तर प्रदेश का भारत-भारती सम्मान, बिहार का दिनकर सम्मान, और केरल का कुमार आशान सम्मान.

इन पुरस्कारों और सम्मानों से सम्मानित होने के साथ केदारनाथ सिंह ने भारतीय साहित्य के क्षेत्र में अपनी महत्वपूर्ण जगह बनाई.

Video Lecture on Kedarnath Singh Ka Jivan Parichay

FAQs: अक्सर पूछे जाने वाले सवाल

प्रश्न: केदारनाथ सिंह जी का जन्म कब हुआ था?

उत्तर: केदारनाथ सिंह जी का जन्म 7 जुलाई 1934 ईस्वी को बलिया जिले में हुआ था.

प्रश्न: उनकी शिक्षा का विवरण क्या है?

उत्तर: केदारनाथ सिंह ने वाराणसी विश्वविद्यालय से मास्टर्स डिग्री प्राप्त की थी. इसके अलवा इन्होने पीएचडी भी कर रखी थी.

प्रश्न: केदारनाथ सिंह की रचनाएं कौन कौन सी हैं?

उत्तर: केदारनाथ सिंह की मुख्य रचनाएं में ‘अभी बिल्कुल अभी’, ‘जमीन पक रही है’, ‘अकाल में सारस’, ‘उत्तर कबीर और अन्य कविताएँ’, ‘बाघ’, ‘यहाँ से देखो’, ‘कल्पना और छायावाद’, ‘आधुनिक हिन्दी कविता में बिम्ब विधान’, ‘मेरे समय के शब्द उनकी आलोचना’ आदि शामिल हैं.

प्रश्न: केदारनाथ का जन्म कब और कहां हुआ था?

उत्तर: केदारनाथ सिंह का जन्म 7 जुलाई वर्ष 1934 ईस्वी को उत्तर प्रदेश राज्य के बलिया जिले में हुआ था.

प्रश्न: केदारनाथ सिंह कौन से काल के कवि हैं?

उत्तर: केदारनाथ सिंह आधुनिक काव्य के एक महान कव्वी थे जिन्होंने साहित्य के क्षेत्र में अनेको योगदान दिए.

प्रश्न: केदारनाथ सिंह के द्वारा प्राप्त पुरस्कार क्या-क्या हैं?

उत्तर: केदारनाथ सिंह को भारतीय ज्ञानपीठ पुरस्कार (2013), साहित्य अकादमी पुरस्कार (1989), व्यास सम्मान, मध्य प्रदेश का मैथिलीशरण गुप्त सम्मान, उत्तर प्रदेश का भारत-भारती सम्मान, बिहार का दिनकर सम्मान, और केरल का कुमार आशान सम्मान मिला है.

प्रश्न: केदारनाथ सिंह का काव्य विशेषता क्या है?

उत्तर: केदारनाथ सिंह की कविताओं में ग्रामीण और नगरीय जीवन का विवरण और भाषा का अद्वितीय प्रयोग है. उन्होंने अपनी कविताओं में भाषा का खुदा उपयोग करते हुए अपने विचारों को प्रस्तुत किया है.

निष्कर्ष

प्रिय छात्रो आज के इस लेख में हम लोगो ने “Kedarnath Singh Ka Jivan Parichay” के बारे में बहुत ही विस्तार से जाना और समझा है.

मैंने केदारनाथ का जीवन परिचय Class 12th के बच्चों को याद करना आसन हो जाये इसलिए मैंने pdf भी आप लोगो के साथ साझा किया है.

केदारनाथ सिंह भारतीय साहित्य के प्रमुख हिन्दी कवि में से एक थे, जिन्होंने अपनी कविताओं के माध्यम से समाज की समस्याओं, ग्रामीण जीवन के पीछे छिपे भावनाओं और व्यक्तिगत अनुभवों को प्रकट किया.

केदारनाथ सिंह ने वाराणसी विश्वविद्यालय से मास्टर्स डिग्री प्राप्त की और उन्होंने शिक्षा के क्षेत्र में कई वर्षों तक काम किया.

उन्होंने कविता के क्षेत्र में अपने उत्कृष्ट योगदान के लिए भी महत्वपूर्ण पुरस्कार प्राप्त किए, जैसे कि भारतीय ज्ञानपीठ पुरस्कार और साहित्य अकादमी पुरस्कार.

केदारनाथ सिंह की कविताओं में ग्रामीण और नगरीय जीवन का सुंदर चित्रण होता है और उन्होंने भाषा का खुदा उपयोग करते हुए अपने विचारों को प्रस्तुत किया.

उनकी कविताएं साहित्य के उच्च स्तर पर समझी जाती हैं और उन्होंने भाषा, विचार, और भावनाओं के माध्यम से पाठकों को अपनी साहित्य दुनिया का दर्शन कराया.

उन्होंने भारतीय साहित्य को एक महत्वपूर्ण योगदान दिया और उनका साहित्य हिन्दी साहित्य के इतिहास में महत्वपूर्ण स्थान रखता है.

प्रिय छात्रो आप सभी केदारनाथ का जीवन परिचय को अपने सभी मित्रो के पास जरुर साझा करे ताकि वह लोग भी इसके बारे में जान सकते है.

प्रिय स्टूडेंट्स, मेरा नाम आशीर्वाद चौरसिया है और मैंने हिन्दी विषय से स्नातक भी किया है। आपको इस ब्लॉग पर हिन्दी से जुड़े सभी तरह के जानकारिय मिलेगी। इसके अतिरिक्त आपको सभी क्लासेज की नोट्स एवं विडियो लेक्चर हमारे NCERT eNotes YouTube चैनल पर मिल जाएगी।

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