आज के इस लेख में त्रिलोचन शास्त्री का जीवन परिचय को पढेंगे। प्रगतिशील काव्यधारा का प्रमुख कवि त्रिलोचन शास्त्री का जीवन काल 1917 ईस्वी से 2007 ईस्वी तक रहा है।
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क्योंकि मैं अपनी पढ़ाई के दौरान सबसे सरल शब्दों में नोट्स को बनाए थे। इसलिए मैं आपको त्रिलोचन जी के जीवन परिचय को सबसे आसान भाषा में समझा सकता हु।
सबसे पहले हम लोग एक टेबल के माध्यम से Trilochan Shastri Ka Jivan Parichay को संक्षिप्त में जानेंगे उसके बाद से हम उनके पूरे जीवन परिचय को पढ़ने वाले हैं।
कवि का नाम | त्रिलोचन शास्त्री |
मूल नाम नाम | वासुदेव सिंह त्रिलोचन |
जन्म वर्ष | 20 अगस्त सन 1917 ईस्वी |
जन्म स्थान | उत्तर प्रदेश राज्य के सुल्तानपुर जिले के अंतर्गत कटघरा चिरानी पट्टी में। |
मृत्यु वर्ष | 9 दिसंबर सन 2007 ई |
मृत्यु स्थान | गाजियाबाद जिले में |
पिता का नाम | जगर देव सिंह जी |
माता का नाम | मनबस्ता देवी |
शिक्षा | अंग्रेजी में एम० ए० |
पेशा | कवि एवं |
काल | आधुनिक काल |
भाषा | शुद्ध खड़ी बोली |
शैली | रचनात्मक एवं चित्रात्मक शैली |
प्रमुख रचनाये | धरती, ताप के ताए हुए दिन, मेरा घर, चैती, जीने की कला आदि। |
पुरस्कार | साहित्य अकादमी पुरस्कार 1981 ईस्वी में मिला। |
त्रिलोचन शास्त्री का जीवन परिचय
कवि त्रिलोचन शास्त्री की हिंदी साहित्य की प्रगतिशील काव्य धारा के प्रमुख कवि माने जाते हैं। इनका जन्म 20 अगस्त सन 1917 ईस्वी में उत्तर प्रदेश राज्य के सुल्तानपुर जिले के कटघरा चिरानी पट्टी नामक ग्राम में हुआ था।
त्रिलोचन जी का मूल वास्तविक नाम वासुदेव सिंह था। इनके पिता का नाम जगरदेव सिंह और माता का नाम मनबस्ता देवी था। त्रिलोचन जी प्रगतिशील काव्य धारा के तीन प्रमुख स्तंभों में से एक है।
अन्य दो स्तंभ कवि नागार्जुन एवं केदारनाथ सिंह को माना जाता है। इन्होंने काशी हिंदू विश्वविद्यालय से अंग्रेजी विषय में एम०ए० किया था तथा लाहौर संस्कृत में शास्त्री की उपाधि भी प्राप्त की थी।
इन्हें हिंदी में सानेट जो की अंग्रेजी का छंद है उसका प्रयोग करने वाले कवि के रूप में जाना जाता है। इन्होंने जीवन यापन करने के लिए अनेक पत्र – पत्रिकाओ में पत्रकारिता का कार्य किया था।
त्रिलोचन जी प्रभाकर, वानर, हंस, आज एवं समाज इत्यादि पत्र पत्रिकाओं का संपादन का कार्य किया था। त्रिलोचन शास्त्री की मृत्यु 9 दिसंबर सन 1960 को उत्तर प्रदेश गाजियाबाद जिले में हो गई थी।
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इस पीडीएफ फाइल में त्रिलोचन का जीवन परिचय रचनाएं, भाषा शैली एवं अन्य सभी महत्वपूर्ण घटक शामिल है जिसको आप डाउनलोड करने के बाद अपने मोबाइल में बिना इंटरनेट के भी पढ़ सकते हैं।
त्रिलोचन की प्रमुख रचनाएं
त्रिलोचन शास्त्री की प्रमुख रचनाएं धरती, गुलाब और बुलबुल, दिगंत, धरती, ताप के ताए हुए दिन, शब्द, मेरा घर, चैती, जीने की कला आदि है। इसके अतिरिक्त त्रिलोचन शास्त्री की रचनाओं को हम कुछ निम्न प्रकार से भी लिख सकते हैं –
- कविता संग्रह: धरती, गुलाब और बुलबुल, मेरा घर, चैती, अनकही भी कुछ कहानी है, अरधान।
- डायरी: दैनंदिनी।
- संपादित: मुक्तिबोध की कविताएं।
शास्त्री की पहली कविता संग्रह धरती 1945 में प्रकाशित हुआ था उसके बाद इन्होंने कई सफल रचनाओं की थी। त्रिलोचन जी के कुल 17 कविता संग्रह प्रकाशित हुए थे।
त्रिलोचन का साहित्य में स्थान
आधुनिक काल के वरिष्ठ कवियों में प्रतिष्ठित त्रिलोचन का लोक जीवन से गहरा जुड़ाव रहा है। अपनी सरलता तथा सहजता के लिए वह साहित्य में हमेसा स्मरण किए जाएंगे। आधुनिक काल के रचनाओं में त्रिलोचन का महत्वपूर्ण स्थान है।
त्रिलोचन की भाषा शैली
त्रिलोचन जी की काव्य भाषा शुद्ध हिंदी खड़ी बोली थी। इन्होंने अपने कविताओं में भाषा को बहुत ही सहजता से प्रयोग किया है। अनेकों बार संस्कृत के कठिन शब्दों को भी सुगमता से प्रयोग कर रचनाओं को समझने लायक बनाया है।
इन्होंने लोक भाषा ‘अवधि’ और प्राचीन भाषा ‘संस्कृत’ से प्रेरणा लेकर काव्य की रचनाये की और इनकी कृतियों में दोनों भाषाओं की प्रधानता दिखती है।
इनकी शैली रचनात्मक एवं चित्रात्मकता को दर्शाता था। इन्होंने भाषा शैली के माध्यम से अपनी अलग-अलग साहित्य में छाप छोड़ी है। त्रिलोचन जी नए लेखकों के लिए प्रेनास्रोत थे और इन्हें हिंदी सॉनेट का साधन माना जाता है।
त्रिलोचन का भाव पक्ष कला पक्ष
त्रिलोचन का भाव पक्ष कला पक्ष के संदर्भ में उनकी कविताओं में उन्होंने अपनी भावनाओं और विचारों को कविता के माध्यम से बयां किया है। वे अपने काव्य के माध्यम से सामान्य लोगों की भावनाओं और अनुभवों को सुंदरता और गहराई के साथ प्रस्तुत करते हैं।
उनके कविताओं में आत्मा की गहराईयों में जाने का प्रयास होता है और वे अपने काव्य में अपनी विचारधारा और भावनाओं को निहित करते हैं।
इससे पाठकों को उनकी कविताओं में सामान्य जीवन की अनमोल भावनाओं का महसूस होता है और वे उनके काव्य के माध्यम से अपनी भावनाओं के साथ जुड़ सकते हैं।
त्रिलोचन शास्त्री की काव्यगत विशेषताएँ
त्रिलोचन एक अद्भुत कवि थे जिन्होंने अपनी कविताओं में भावनाओं की गहराईयों को एक अलग और सुंदर रूप से व्यक्त किया है।
इनकी काव्य व्यक्तिगत और सामाजिक भावनाओं को सरलता और सहजता से प्रस्तुत करता है। त्रिलोचन शास्त्री की काव्यगत विशेषताएँ निम्न है –
सामान्य जीवन का चित्रण: त्रिलोचन शास्त्री की कविताएं आम जीवन के पहलुओं को सुंदरता से चित्रित करती हैं. उनकी कविताएं हमें गाँवों और लोगों के सामान्य जीवन का अच्छा विवरण प्रदान करती हैं.
सरल भाषा: उनकी कविताएं आम भाषा में हैं और वे लोगों के सामान्य भाषा के शब्दों का प्रयोग करते हैं. इससे उनकी कविताएं सामान्य लोगों को समझने में आसानी प्रदान करती हैं.
भावनाओं की गहराई: उनकी कविताएं व्यक्तिगत और सामाजिक भावनाओं की गहराई को छूने में सक्षम हैं. वे अपनी कविताओं में भावनाओं को विस्तार से और सहजता से प्रस्तुत करते हैं, जिससे पाठकों को उनकी भावनाओं का सही अहसास होता है.
राष्ट्रीय भावनाओं का महत्व: उनकी कविताएं अक्सर राष्ट्रीय भावनाओं और मूल्यों को प्रमुख रूप से उजागर करती हैं। वे अपनी रचनाओं में राष्ट्रीय चिंताओं को साफ और स्पष्ट ढंग से प्रस्तुत करते हैं.
लोकप्रियता: त्रिलोचन शास्त्री की कविताएं आम जनमानस के बीच विशेष प्रिय हैं, क्योंकि वे सरल भाषा में लिखी जाती हैं और जीवन की सामान्यता को छूने का प्रयास करती हैं।
FAQs: त्रिलोचन शास्त्री का जीवन परिचय से सम्बंधित
अब हम लोग शास्त्री के जीवन के संबंधित प्रश्न उत्तर को जानेंगे। त्रिलोचन शास्त्री का जीवन परिचय से संबंधित अक्सर पूछे सवालों का जवाब दिया है जिसे आप पढ़ सकते हैं।
प्रश्न: त्रिलोचन शास्त्री का मूल नाम क्या है?
उत्तर: त्रिलोचन शास्त्री का मूल नाम ‘वासुदेव सिंह त्रिलोचन’ था बाद में इन्हें शास्त्री की उपाधि मिलने के बाद इन्हें लोग त्रिलोचन शास्त्री का कह करके पुकारने लगे।
प्रश्न: त्रिलोचन शास्त्री जी का जन्म कब हुआ था?
उत्तर: त्रिलोचन शास्त्री जी का जन्म 20 अगस्त सन 1917 ईस्वी में उत्तर प्रदेश राज्य के सुल्तानपुर जिले में स्थित कटघर चिरानी पट्टी में हुआ था।
प्रश्न: त्रिलोचन शास्त्री जी का मृत्यु कब हुआ था?
उत्तर: त्रिलोचन शास्त्री जी का मृत्यु 9 दिसंबर सन 1907 ईस्वी में यूपी के गाजियाबाद जिले में हुआ था।
प्रश्न: त्रिलोचन शास्त्री के पिता का नाम क्या था?
उत्तर: त्रिलोचन शास्त्री के पिता जी का नाम जगरदेव सिंह जी था और कुछ लोग उनके पिता का नाम जगदेव सिंह भी मानते हैं।
प्रश्न: त्रिलोचन के माता का नाम क्या था?
उत्तर: त्रिलोचन शास्त्री के माता जी का नाम श्रीमती मनबस्ता देवी जी था।
प्रश्न: त्रिलोचन की दो रचनाएं?
उत्तर: त्रिलोचन की दो रचनाएं धरती और ताप के ताए हुए दिन है।
प्रश्न: त्रिलोचन को कौन सा पुरस्कार मिला?
उत्तर: त्रिलोचन शास्त्री को हिंदी अकादमी में इन्हें शलाका का सम्मान से सम्मानित किया है। इसके साथ ही इन्हें सबसे उत्कृष्ट योगदान के लिए इन्हें शास्त्री और साहित्य रत्न जैसे सम्मान से सम्मानित किया गया है।
इनकी रचना ‘ताप के ताए हुए दिन’ के लिए उन्हें साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया है।
इसके अतिरिकित कुछ अन्य सामान जैसे मैथिली शरण गुप्त सम्मान, भवानी प्रसाद मिश्र राष्ट्रीय पुरस्कार, सुलभ साहित्य अकादमी सम्मान आदि से भी सम्मानित किया गया है।
निष्कर्ष
आज के हमने इस लेख में “त्रिलोचन शास्त्री का जीवन परिचय” को बहुत ही अच्छे से समझा है और पढ़ा है। हमने आज जाना त्रिलोचन शास्त्री के रचनाओं के बारे में इसके साथ ही त्रिलोचन जी के साहित्य स्थान एवं भाषा शैली को भी समझा है।
त्रिलोचन जी हिंदी काव्यधारा के तीनों स्तंभों में से एक स्तंभ इन्हें भी माना जाता है और इन्होंने साहित्य के लिए सफल काव्य रचनाएं करके हिंदी साहित्य में अपना नाम बनाया है।
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