आज के इस आर्टिकल में शब्द किसे कहते हैं और शब्द के भेद के साथ शब्द की परिभाषा और उदाहरण को भी अच्छे से समझने वाले है।
यदि आप इस आर्टिकल को अंत तक पढ़ते है तो भरोसा कीजिये आपको Shabd Kise Kahate Hain के बारे में बहुत ही सही और अच्छा जानकरी मिलने वाला है।
शब्द क्या है अगर इसकी बात करे तो दो वर्ण को जोड़कर शब्द बनता है जैसे ‘क’ एक वर्ण है और ‘ल’ भी एक वर्ण है और दोनों को जोड़े तो ‘क + ल = कल’ शब्द बनता है।
जानिए शब्द किसे कहते हैं उदाहरण सहित
दो या दो से अधिक वर्ण अथवा अक्षर से मिलकर बनी हुई सार्थक ध्वनि को शब्द कहते हैं। वर्णों के मेल के पश्चात जो इकाई बनता है उसका अर्थ होना जरूरी है।
शब्द भाषा का ही अंग है और यह भाषा का छोटी इकाई होता है। शब्द अपने आप में कोई ना कोई अर्थ रखता है एवं यह स्वतंत्र होता है और यही शब्द मिलकर के वाक्य को बनाते भी है।
शब्द का उदाहरण
शब्द जो है वह वर्ण एवं मात्रा की संयोजन से बनता है जिसका एक अर्थ होता है। शब्द का उदाहरण फूल, सूरत, सूरज, घर, पैसा, किताब, पुस्तक आदि है। वर्णों के संयोजन से बना शब्द का उदाहरण निम्न है –
- क + ी +म + त = कीमत
- क + म + ल = कमल
- घ + र = घर
- स + र = सर
- च + ल = चल
- न + ल = नल
- ब + ल = बल
- ध + न = धन
शब्द के कुछ अन्य उदाहरण निचे टेबल में वर्णों को संयोग करके दर्शायी गयी है।
क्र० स० | वर्ण + वर्ण | शब्द |
1. | ह + ल | हल |
2. | र + थ | रथ |
3. | ई + ख | ईख |
4. | ध + न | धन |
5. | म + न | मन |
6. | ज + ल | जल |
7. | फ + ल | फल |
8. | स + च | सच |
9. | ग + म | गम |
10. | ज + य | जय |
समझिये शब्द के कितने भेद होते हैं
शब्द के भेद कुल चार प्रकार से है जिनको आगे उप भागों में भी बांटा गया है –
- अर्थ के आधार पर शब्द
- सार्थक शब्द
- निरर्थक शब्द
- व्युत्पत्ति अथवा रचना के आधार पर शब्द
- रूढ़ शब्द
- यौगिक शब्द
- योगरूढ़ शब्द
- उत्पत्ति अथवा स्रोत के आधार पर शब्द
- तत्सम शब्द
- तद्भव शब्द
- देशज शब्द
- विदेशज शब्द
- रूपांतर अथवा प्रयोग के आधार पर शब्द
- विकारी शब्द
- अविकारी
अर्थ के आधार पर शब्द
अर्थ के आधार पर शब्द दो प्रकार के होते हैं जिसमे पहला सार्थक शब्द और दूसरा निरर्थक शब्द है।
सार्थक शब्द किसे कहते हैं
सार्थक शब्द वे होते है जो अपने आप का कोई न कोई अर्थ रखते है। सार्थक शब्द का उदाहरण रोटी, दाल, चाय, कुर्सी, पैसा, सामान, मोबाइल, गाड़ी आदि है जिनका एक निश्चित अर्थ है।
जैसे यदि ‘जल’ सार्थक शब्द है तो इसका एक उचित अर्थ ‘जल अर्थात पानी’ है इसलिए ये भी सार्थक शब्द है।
निरर्थक शब्द शब्द किसे कहते हैं
निरर्थक शब्द वे होते है जिनका स्वयं का कोई भी उचित अर्थ नही होते है। निरर्थक शब्द का ज्यादातर उपयोग व्यक्ति शब्दों के उच्चारण करने में सुलभ और रस के उद्देश्य से करता है।
निरर्थक शब्द का उदाहरण है वोटी, वाल, वाय, वुर्सी, वोबाईल, वाडी आदि है जिनका कोई भी मूल अर्थ नही है।
यह सभी शब्द सार्थक शब्द के साथ मिले होते है जैसे ‘दाल – वाल’ शब्द में ‘दाल’ तो सार्थक शब्द है परन्तु ‘वाल’ निरर्थक शब्द का उदाहरण है।
व्युत्पत्ति अथवा रचना के आधार पर शब्द
व्युत्पत्ति अथवा रचना के आधार पर शब्द को तीन प्रकार से विभाजित किया गया है जिसमे पहला ‘रूढ़ शब्द’ और दूसरा ‘यौगिक शब्द’ और तीसरा ‘योगरूढ़ शब्द’ है।
रूढ़ शब्द
जिन शब्दों की व्युत्पत्ति किसी शब्द से नही होती है वह रूढ़ शब्द कहालती है। इनको खंडन अर्थात तोड़ने पे इनका कोई उचित अर्थ नहीं निकलता है।
रूढ़ शब्द का उदाहरण तेल, सेल, आदमी, छत, आज, कल, चल, धन, नल आदि है जिनको तोड़ने पे इनका कोई अर्थ नही निकलेगा और यह स्वतंत्र होते है।
यौगिक शब्द
यौगिक शब्द वे होते है जो दो या दो से अधिक शब्दों के योग अर्थात मिलकर बने होते है। इनको तोड़ने पर इनका एक उचित अर्थ भी निकलता है।
यौगिक शब्द का उदाहरण विद्यार्थी, शिक्षार्थी, भोजनालय, देवयालय आदि है जो दो शब्दों से मिलकर बने होते है और इनको तोड़ने पे इनका एक उचित अर्थ होता है।
जैसे ‘विद्यार्थी’ शब्द का विखंडन किया जाए अर्थात तोड़ा जाए तो यह ‘विद्या + अर्थी’ होगा जो दो अलग – अलग शब्दों से मिलकर बने थे और यह दोनों अपने आप में एक नया अर्थ रखते है।
योगरूढ़ शब्द
वे शब्द जो दो शब्दों के संयोग से बनते हैं परंतु वह स्वयं का सामान्य अर्थ छोड़ करके किसी विशेष के लिए भी जाने जाते हो, योगरूढ़ शब्द कहलाते हैं।
योगरूढ़ शब्द का उदाहरण नीलकंठ, पंचानन, चक्रपाणी, शूलपाणी, लम्बोदर आदि है जो अपना सामन्य अर्थ के आलावा किसी विशेष के लिए जाने जाते है।
- नीलकंठ → नीला कंठ है जिसका अर्थात ‘शंकर भगवन’ को विशेष रूप से दर्शाता है।
- पंचानन → पाँच मुख वाला अर्थात भगवान शिव।
- चक्रपाणि → जो चक्र को धारण करते है अर्थात भगवन विष्णु एवं कृष्ण।
- शूलपाणि → जिसने हाथो में शूल (त्रिशूल) को लिया हो अर्थात भगवन शिव जी।
- लम्बोदर → जिसका लम्बा अथवा मोटा पेट हो अर्थात भगवन गणेश जी।
उत्पत्ति अथवा स्रोत के आधार पर शब्द
उत्पत्ति अथवा स्रोत के आधार पर शब्द को चार प्रकार से विभाजित किया गया है जिसमे पहला ‘तत्सम शब्द’ और दूसरा ‘तद्भव शब्द’ और तीसरा ‘देशज शब्द’ एवं चौथा ‘विदेशज शब्द’ है।
तत्सम शब्द
तत्सम शब्द ‘तत् + सम’ से मिलकर बना है जिसमें ‘तत्’ का मतलब ‘उसके’ और ‘सम’ का मतलब ‘समान’ होता है अर्थात ‘उसके सामान’ शब्द।
इस प्रकार हम कह सकते हैं जो सब हिंदी में संस्कृत से सीधे आए हैं तत्सम शब्द कहलाते हैं। तत्सम शब्द संस्कृत का शब्द होते हैं जो की हिंदी में भी उसी प्रकार से प्रयोग किए जाते हैं।
तत्सम शब्द का उदाहरण ताम्र, एकत्र, क्षत्रिय, श्रावण, वक्र, प्रात: आदि है जोकि संस्कृत में भी इसी प्रकार से प्रयोग किये जाते है।
तद्भव शब्द
वे शब्द जो संस्कृत से थोड़ा बदलाव होकर हिंदी भाषा में प्रयोग किए जाते हैं तद्भव शब्द कहलाते हैं। यह संस्कृत के ही शब्द होते हैं परंतु इनका रूप बदलने के बाद हिंदी में प्रयोग किया जाता है।
तद्भव शब्द का उदाहरण पक्षी, सूरज, मोर आदि है इसका अनु उदाहरण टेबल के माध्यम से समझ सकते हैं।
क्र. स. | संस्कृत शब्द | तद्भव शब्द |
1. | पक्षी | पंक्षी |
2. | अंगरक्षक | अँगरक्खा |
3. | सूर्य | सूरज |
4. | वृक | भेड़िया |
5. | मयूर | मोर |
देशज शब्द
वे शब्द जो अलग-अलग स्थान पर विभिन्न नामो से पुकारा जाता है, देशज शब्द कहलाता है। देशज शब्द विभिन्न स्थानीय एवं क्षेत्रीय इलाकों पर बदलते रहते हैं।
देशज शब्द का उदाहरण लोटा, ठेला, पगड़ी, खुरपा, परात, खिड़की, ठठेरा, खिचड़ी, चक्का आदि है जो अलग-अलग स्थान पर अलग-अलग नाम से भी जाना जाता है।
उदाहरण के लिए हम इसमें से एक शब्द ‘खिड़की’ को लेते हैं और आप सुने होंगे कि कहीं पर ‘खिड़की’ और किसी स्थान पर ‘दरवाजा’ और किसी स्थान पर ‘फाटक’ के नाम से भी जाना जाता है इसलिए यह देश शब्द का उदाहरण है।
विदेशज शब्द
वे शब्द जो विदेशी भाषा से लिए गए हैं, विदेशज शब्द कहलाते हैं। इनका प्रयोग प्राय: विदेश में होता था परंतु इनका हिंदी भाषा में भी प्रयोग किए जाने लगा।
विदेशज शब्द का उदाहरण इंसान, दौलत, डॉक्टर, कॉलेज, फीस, कम्पनी, कलेक्टर, अलमारी, हवालात, हौसला, किला, किस्मत आदि है।
विदेशज शब्द परिवर्तित या अपरिवर्तित रूप से अरबी, फारसी, पुर्तगाली, चीनी, फ़्रांसिसी, लैटिन, तुर्की, अंग्रेजी आदि शब्द भी हो सकते हैं जिन्हें हिंदी भाषा में प्रयोग किया जाता है
रूपांतर अथवा प्रयोग के आधार पर शब्द
रूपांतर अथवा प्रयोग या फिर विकार के आधार पर शब्द दो प्रकार का होता है जिसमें पहला ‘विकारी शब्द’ एवं दूसरा ‘अविकारी शब्द’ होते हैं।
विकारी शब्द
विकारी शब्द वे होते हैं जो लिंग, कारक, वचन एवं पुरुष के आधार पर बदले जाते हैं। विकारी शब्द भी चार तरह के होते हैं।
- संज्ञा → वह सभी शब्द जो आप देख सकते है सोच सकते है। जैसे – नाम, स्थान, भाव आदि। आप संज्ञा किसे कहते है के बारे में पिछले लेख में पढ़ सकते है।
- सर्वनाम → जो संज्ञा के स्थान पे इस्तेमाल होते है जैसे मैं, हम, तुम आदि। मैंने सर्वनाम किसे कहते है के बारे में विस्तार से बताया है।
- क्रिया → जो किसी कार्य का होना या करना बताते है जैसे हँसना, पीना, रोना आदि
- विशेषण → जो शब्द संज्ञा या सर्वनाम की विशेषता बताये। जैसे ‘मौसम बहुत सुहाना’ है।
अविकारी शब्द
अविकारी शब्द वह होते हैं जिनमे लिंग, वचन और काल की दृष्टि से कोई रूप परिवर्तन नहीं होता है, उन्हें अव्यय या अविकारी शब्द कहते हैं। अविकारी शब्द भी पांच होते हैं –
- क्रियाविशेषण अव्यय
- सम्बन्धबोधक अव्यय
- समुच्चयबोधक अव्यय
- विस्मयादिबोधक अव्यय
- निपात अव्यय
अविकारी शब्द का उदाहरण ‘मेरी दादी जी धीरे-धीरे चलती है’ वाक्य में ‘धीरे-धीरे’ अविकारी शब्द का उदाहरण है।
यह ही जाने संकर शब्द किसे कहते हैं
वे शब्द जो दो भाषा के शब्दों से मिलकर बने होते हैं, शंकर शब्द कहलाते हैं। यह किसी भी दो भाषा के संयोग से बनते हैं।
यह अंग्रेजी भाषा और हिंदी भाषा का योग से बन सकता है या फिर अंग्रेजी और देशज आदि शब्दों के योग से भी बन सकता है।
संकर शब्द का उदाहरण निम्न है जो दो भाषाओ के योग से बने हुए है –
- टिकट घर → अंग्रेजी + हिन्दी
- अश्रु गैस → तत्सम + अंगेजी
- उद्योगपति → तत्सम + हिन्दी
- बस अड्डा → अंगेजी + देशज
- डबल रोटी → अंग्रेजी + हिन्दी
- रेलगाड़ी → अंग्रेजी + हिन्दी
निष्कर्ष
अब आप लोगों को शब्द किसे कहते हैं शब्द के कितने भेद होते हैं आदि के बारे में उदाहरण सहित बहुत ही बेहतरीन तरीके से समझ में आ गई है।
मैंने आपको Shabd Kise Kahate Hain और Arth ke aadhar par Shabd ke kitne Bhed hote Hain के बारे में भी बेहतरीन तरीके से समझाया है।
आज इस आर्टिकल में शब्द किसे कहते हैं Class के आर्टिकल में उदाहरण सहित शब्द के चारो प्रकारों को गहराई से समझा एवं पढ़ा है।
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